‘क्या हुआ जो मैंने अरबों चुराया, उसने भी तो टिफिन चुराया था’

क्या हुआ जो मैंने अरबों चुराया। उसने भी तो टिफिन चुराया था ! एक ही बात हुई। जनता जरूर दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी।

New Delhi, Sep 24 : चुनाव नजदीक है। इसलिए एक दूसरे पर आरोप लगाना जरूरी है। मान लीजिए कि कोई व्यक्ति सत्ता में रहा,फिर भी उस पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं बना। फिर प्रतिद्वंद्वी नेता क्या करेगा ? उसे वाॅक ओवर तो नहीं दे सकता। हां, एक काम तो वह कर ही सकता है।

आखिर उसे चुनाव जो लड़ना है। खुद उस पर भ्रष्टाचार का आरोप लग चुका है। विरोधी के खिलाफ ऐसा कोई आरोप लगना ही चाहिए ताकि उसे भी चोर कहा जा सके। हिसाब बराबर। वह पता लगाएगा कि हमारे प्रतिद्वंद्वी ने बचपन में कोई चोरी की है या नहीं।

अरे वाह ! क्या बात है ! सबूत तो मिल गया। उसने एक बार अपने सहपाठी की टिफिन चुरा ली थी।
उसका नाश्ता खा गया था। उसके खिलाफ स्कूल के प्रिंसिपल के यहां लिखित शिकायत गयी थी।
उसे सजा भी मिली थी।

उस स्कूल में लिखित शिकायत की वह काॅपी भी मिल गई। उसकी फोटोकाॅपी वह यह सोच कर ले आएगा कि अगले चुनाव में यह बहुत काम आएगा। इसके आधार पर उसे भी तो चोर कहा ही जा सकता है। चोर हीरे का हो या खीेरे का। चोर तो चोर ही है।
क्या हुआ जो मैंने अरबों चुराया। उसने भी तो टिफिन चुराया था ! एक ही बात हुई। जनता जरूर दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)