बिप्लब देब सरकार का अजीबो-गरीब फैसला, ड्यूटी पर जींस और सनग्लासेज ना पहनें

बिप्लब सरकार द्वारा जारी प्रेस रिलीज में 20 अगस्त को ड्रेस कोड के अंतर्गत जींस और कार्गो पैंट जैसे कुछ अनौपचारिक कपड़े पहनने से बचने के लिये कहा गया है।

New Delhi, Aug 28 : बिप्लब देब जब से त्रिपुरा के सीएम बनें हैं, किसी ना किसी वजह से सुर्खियों में छाये रहते हैं। या फिर ये भी कह सकते हैं, कि अपने बयानों और अजीबो-गरीब फैसलों की वजह से वो लाइमलाइट में रहते हैं, ऐसा ही एक और फैसला त्रिपुरा सरकार ने लिया है, जिसकी वजह उनकी खूब चर्चा हो रही है। दरअसल त्रिपुरा सरकार ने सरकार अधिकारियों को आदेश दिया है कि ड्यूटी के दौरान जींस पहनने और चश्मे लगाकर ना आएं।

विपक्ष कर रही आलोचना
त्रिपुरा सरकार के इस फैसले के बाद सीपीएम और कांग्रेस ने इसकी आलोचना करते हुए इसे सामंती विचारधारा बताया है। त्रिपुरा के प्रधान सचिव सुशील कुमार ने इस संबंध में ज्ञापन जारी करते हुए प्रदेश स्तरीय अधिकारियों की बैठकों में ड्रेस कोड के लिये उचित संबंध में पालन करने के लिये कहा है। आपको बता दें कि सुशील कुमार राजस्व, शिक्षा और सूचना तथा सांस्कृतिक मामलों के प्रधान सचिव हैं।

जींस और कार्गों पैंट ना पहनें
बिप्लब सरकार द्वारा जारी प्रेस रिलीज में 20 अगस्त को ड्रेस कोड के अंतर्गत जींस और कार्गो पैंट जैसे कुछ अनौपचारिक कपड़े पहनने से बचने के लिये कहा गया है। सुशील कुमार द्वारा जारी रिलीज में दावा किया गया है कि उनके पास भारत सरकार में काम करने के तीन दशकों का अनुभव है, अभी तक आईएएस या केन्द्रीय सेवाओं के अधिकारी को अनौपचारिक कपड़े पहने हुए नहीं देखा गया है।

मीटिंग में मोबाइल पर चैटिंग ना करें
इसके साथ ही इस ज्ञापन में ये भी कहा गया है कि ऑफिस मीटिंग के दौरान मोबाइल पर चैटिंग करना भी एक अनादर की तरह है, आपको बता दें कि त्रिपुरा में पिछली माणिक सरकार के दौरान भी सरकारी बाबूओं को जेब में हाथ डालकर घूमने से मना किया गया था, इस दौरान डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को ध्यान देने के लिये कहा गया था, कि अधिकारी बैठकों के दौरान ऑफिस के डेकोरम का पालन करें।

सामंती मानसिकता
त्रिपुरा के कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष तापस डे ने सरकार के इस फैसले पर कहा कि ये सत्तारुढ बीजेपी -आईटीएफटी सरकार के सामंती मानसिकता को दर्शाती है, जींस पहनना या चश्मा लगाने से रोकना सामंती मानसिकता है, सरकार बुनियादी समस्याओं को अनदेखा कर रही है, अपनी विफलताओं को छुपाने के लिये लोगों का ध्यान भटकाने के लिये गैर-मुद्दों को मुद्दा बना रही है।