विनाशकारी खतरे से जूझ रहे हैं देश के दो राज्य, वैज्ञानिकों ने दी बड़ी चेतावनी

देश के दो राज्यों के लिए वैज्ञानिकों ने विनाशकारी खतरे की चेतावनी दी है। इस बारे में उन्होंने एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। आप भी जानिए इस बारे में।

New Delhi, Mar 21: देश के दो राज्यों के लिए वैज्ञानिकों ने विनाशकारी चेतावनी दी है। इसकी वजह है ग्लेशियरों में बनने वाली झीलें। जी हां वैज्ञानिकों का साफ तौर पर कहवना है कि ग्लेशियरों पर जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर पड़ रहा है। इस वजह से इनमें कई ज्यादा ग्लेशियर झीलें तैयार हो रही हैं। वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के विज्ञानियों ने इसे लेकर बड़ी बात बताई है।

वैज्ञानिकों ने तैयार की रिपोर्ट
वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर झीलों की इन्वेंटरी तैयार की है। इस इन्वेंटरी में इन बातों का खुलासा किया गया है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की झीलों के मानचित्रण का काम पूरा कर लिया गया है। खास बात ये है कि हिमाचल प्रदेश को इससे ज्यादा खतरा है। हिमाचल में ग्लेशियर झीलों की तादात उत्तराखंड में तीन गुना ज्यादा है।

2013 की आपदा से लिया सबक
दरअसल 2013 में केदारनाथ में भयंकर आपदा आई थी। उस दौरान ना जाने कितनी जिंदगियां बाढ़ में ही समा गई थीं। कहा गया था कि केदारनाथ के ऊपर मौजूद चौराबाड़ी झील के फटने से ये तबाही आई थी। उस दौरान इस त्रासदी का मंजर देश दुनिया ने देखा था। इसके बाद वैज्ञानिकों ने ये ये जरूरत महसूस की और इसके बाद ग्लेशियर क्षेत्रों की झीलों का मानचित्रण किया गया।

ग्लेशियर पर बन रही हैं झीलें
वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे झीलों के बारे में वास्तविक स्थिति का पता लग रहा है। इसके साथ ही वक्त रहते कुछ उपाय किए जा सकेंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि झीलों के फटने से तबाही पर कंट्रोल करना मुश्किल होगा। वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने पहले फेज़ में उत्तराखंड की सभी झीलों का मैप तैयार किया।

झीलों की मैपिंग का काम शुरू
इसके बाद दूसरे फेज़ में हिमाचल प्रदेश के ग्लेशियर झीलों की मैपिंग का काम पूरा कर दिया गया है। इस रिपोर्ट को वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान की पत्रिका हिमालयन जियोलोजी में प्रकाशित कर दिया गया। अब जानिए इसकी खास बातें क्या हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तराखंड में 1474 ग्लेशियरों में 1266 झीलें मिली हैं।

बड़ा खतरा बन सकती हैं झीलें
21481 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली ये झीलें कभी भी बड़ा खतरा बन सकती हैं। इनमें ग्लेशियर बॉडी में तैयार होने वाली झीलों सुप्रा ग्लेशियर की तादात 809 है। हिमाचल के 3199 वर्ग किलोमीटर एरिया में 3273 ग्लेशियर है। यहां कुल झीलों की संख्या 958 है और सुप्रा ग्लेशियर झीलों की संख्या 228 है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि गढ़वाल ग्लेशियर निम्न अक्षांशों पर है।

सोलर रेडिएशन का खतरा
इस वजह से यहां सोलर रेडिएशन ज्यादा है। जलवायु परिवर्तन की वजह से यहां बर्फबारी कम और बारिश ज्यादा हो रही है। इस वजह से ग्लेशियरों में गलन ज्यादा है। इस क्षेत्र में मानसून ज्यादा प्रभावित हुआ है। इस वजह से आने वाले वक्त में यहां जलस्रोतों की भी परेशानी हो सकती है। कुल मिलाकर कहें तो देश के दो राज्य विनाशकारी खतरे से जूझ रहे हैं।