बीजेपी का ये बड़ा दांव महागठबंधन को कर देगा फेल, विपक्षी खेमे में खलबली

लखनऊ में अलग-अलग जातियों के लोगों को बुला कर उनसे संवाद का सिलसिला शुरु हुआ है, फैसला ये हुआ है कि कुछ उनकी सुनेंगे और कुछ अपनी सुनाएंगे।

New Delhi, Sep 26 : एक शहर, एक मंच, एक स्थान और एक ही समय, वोट की जुगाड़ में लगी बीजेपी ने पिछड़ी जातियों के 21 सम्मेलन किये, इसके सफल होने के बाद अब इरादा यूपी के हर जिले में ऐसी है बैठकें करने का है। बीजेपी यूपी में पिछड़ी जातियों को साधने में लगी हुई है, ताकि एक बार फिर से पीएम मोदी की ताजपोश हो। यूपी में डिप्टी सीएम से लेकर पार्टी का हर छोटा बड़ा नेता इस बिरादरी को दुलारने में लगा हुआ है, सरकार से लेकर संगठन तक में हर जाति को मलाई देने का वादा किया जा रहा है।

पिछड़ों का दिल जीतने की कोशिश
पीएम मोदी भी कई चुनावी जनसभाओं में खुद को पिछड़ी बिरादरी का बता चुके हैं, इसके साथ ही समाजवादी पार्टी भी हर जिले में पिछड़ा वर्ग सम्मेलन करने की तैयारी कर रही है। आपको बता दें कि यूपी में इस बिरादरी के करीब 54 फीसदी वोटर हैं। यूपी चुनाव के नतीजे जातियों के गुणा-भाग से तय होते हैं, पिछड़ी जातियों की आबादी यहां सबसे अधिक है, इसलिये हर पार्टी इसी बिरादरी को लुभाने में लगी हुई है।

महागठबंधन ने बढा दी है चिंता
यूपी में सपा-बसपा के महागठबंधन की आहट ने बीजेपी की चिंता बढा दी है, प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडे अगड़ी जाति से आते हैं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कई बार इस पर तंज भी कस चुके हैं, कि बीजेपी वालों ने पिछड़ों का वोट लेकर किसी और को सीएम बना दिया। अमित शाह के निर्देश के बाद पिछड़ी जातियों के वोटरों को अपना बनाने के लिये होमवर्क शुरु हो चुका है। केशव प्रसाद मौर्य को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है, तय हुआ है कि सबसे पहले इस समाज के मन की बात सुना जाए।

संवाद का सिलसिला शुरु
लखनऊ में अलग-अलग जातियों के लोगों को बुला कर उनसे संवाद का सिलसिला शुरु हुआ है, फैसला ये हुआ है कि कुछ उनकी सुनेंगे और कुछ अपनी सुनाएंगे। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इस कार्यक्रम के आयोजक हैं, 40 पिछड़ी जातियों के 21 सम्मेलन कराने पर सहमति बनी है, जिस जाति की बैठक लखनऊ में हुई, उस जाति की कम से कम 10 लोग प्रदेश के हर जिले से बुलाये गये। मालूम हो कि बीजेपी के संगठन के लिहाज से यूपी में 92 जिले है।

मौर्या सभी को साधने में लगे
यूपी के अलग-अलग जिलों से लखनऊ पहुंचे इन लोगों के ठहरने और आव-भगत की जिम्मेदारी खुद केशव प्रसाद मौर्य और उनकी टीम ने संभाली, हाथ जोड़कर एक मेजबान की तरह सीएम योगी भी कई बैठकों में शामिल हुए। पार्टी प्रदेश अध्य़क्ष महेन्द्र नाथ पांडे भी करीब दर्जन भर सम्मेलनों में मंच पर रहे। जिस जाति का सम्मेलन होता था, उस बिरादरी के मंत्री और बीजेपी के नेताओं को भी बुलाया जाता है। ताकि उनके समाज के लोगों को लगे कि बीजेपी ने उनकी जाति को सरकार और पार्टी में स्थान दिया है।