मुलायम परिवार में फूट से बीजेपी को फायदा, अपर्णा यादव बनेंगी अखिलेश को घेरने का अचूक हथियार

मुलायम परिवार में फूट करने में आखिरकार बीजेपी सफल हुई । अपर्णा यादव का बीजेपी में आना आने वाले चुनाव में पार्टी के लिए तुरुप का पत्‍ता साबित हो सकता है ।

मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अब समाजवादी पार्टी का नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी का हिससा है । बीजेपी ने अपर्णा यादव को अपने पाले में लाकर हाल के दिनों में अपने कुनबे में हुई बगावत का जवाब दिया है, साथ ही सपा परिवार में फूट का संदेश देकर चुनावों में भी बढ़त बनाने की कोशिश की है । राजनीति का इतिहास देखें तो स्‍पष्‍ट है कि जब-जब किसी सियासी कुनबे में फूट पड़ी है, तब-तब उसे कुछ न कुछ सियासी नुकसान तो उठाना ही पड़ा है। हालांकि अपर्णा का भगवा पार्टी में आना बीजेपी को कितना फायदा पहुंचाता है इसका पता 10 मार्च को चल जाएगा ।

अखिलेश पर निशाना साधने का अचूक हथियार हैं अपर्णा
मुलायम परिवार की बहू अपर्णा यादव का भाजपा प्रेम पिछले कुछ समय से उमड़ – उमड़ कर सामने आता रहा है । अब चुनाव से ऐन पहले उन्‍हें अपने पाले में खींचकर भाजपा ने सपा को झटका दे दिया। अपर्णा के जरिए बीजेपी को भले वोटों में फायदा ना हो, लेकिन अखिलेश पर निशाना साधने के लिए वो एक अचूक हथियार जरूर हैं । जिसका इस्‍तेमाल करना बीजेपी ने शुरू भी कर दिया है ।

कौन हैं अपर्णा यादव?
अपर्णा यादव, मुलायम परिवार की बहू बनने से पहले अपर्णा बिष्ट थीं । उनके पिता पेशे से पत्रकार हैं । 32 साल की अपर्णा ने साल 2011 में मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव से शादी की थी । अपर्णा को संगीत और समाजसेवा में गहरी रुचि है । वो राजनीति में भी इंट्रस्‍ट रखती हैं, अपने बयानों और सक्रियता से वो अक्सर चर्चाओं का हिस्‍सा बन ही जाती हैं । वह एक एनजीओ भी चलाती हैं, जो गौसेवा के साथ ही आवारा कुत्तों और भैंसों को लेकर भी काम करता है। वो तब चर्चा में आईं जब उन्‍होंने मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बेटे प्रतीक संग विवाह किया। अपर्णा और प्रतीक एक साथ पढ़ते थे । यहीं मुलाकात और फिर प्‍यार हो गया ।

राम मंदिर के लिए दिया था 11 लाख का चंदा
अपर्णा यादव ने साल 2014 के बाद से ही पीएम नरेंद्र मोदी के फैसलों को लेकर उनकी तारीफ करनी शुरू कर दी थी । वो मुख्यमंत्री योगी से भी प्रभावित थीं । अपर्णा कई बार योगी आदित्यनाथ से मिलीं भी हैं, योगी खुद उनकी गौशाला भी गए थे। अपर्णा ने समाजवादी पार्टी को तब बड़ी मुश्किल में डाल दिया था जब उन्‍होंने राम मंदिर के लिए 11 लाख का चंदा दिया था, दरअसल  चंदे को लेकर अखिलेश तब भाजपा पर हमलावर थे और उन्हें चंदाजीवी बता रहे थे । ऐसे में छोटी बहू का ये कदम पार्टी के लिए चोट था ।