सपा-बसपा के मंसूबों में सेंध लगाएगी भीम आर्मी और शिवपाल सेना, बीजेपी के लिये साबित होंगे ‘वरदान’

शिवपाल यादव और चंद्रशेखर की वजह से बसपा और सपा को बड़े नुकसान का अभी से डर सता रहा है।

New Delhi, Sep 20 : लोकसभा चुनाव की काउंटडाउन शुरु हो चुकी है, क्या 2019 में बीजेपी 2014 जैसा करिश्मा दोहरा पाएगी, खास कर यूपी में लगातार ये सवाल पूछा जा रहा है। ये सवाल इसलिये उठ रहे हैं, क्योंकि कैराना, नूरपुर, गोरखपुर और फूलपुर में उपचुनावों के मिली बीजेपी की हार के बाद बड़े-बड़े दावे और गठबंधन की बात कही जा रही है। हालांकि राजनीति में कुछ भी स्थाई या अस्थाई नहीं होता है, जोड़-तोड़ के इस खेल में यूपी में अभी बहुत कुछ होना है। कई नये सियासी समीकरण अभी बनेंगे और बिगड़ेंगे भी।

बौखलाहट में है मायावती
प्रेस कांफ्रेंस में मायावती की बौखलाहट और झल्लाहट साफ दिखती है, पिछले 5-6 सालों में मायावती का राजनीतिक कद घटा है, वो अपना वजूद बचाने के लिये लड़ रही हैं, लेकिन सामने वाले को इस बात का एहसास नहीं होने देना चाहती, इसी वजह से वो खुलकर सीटों के बंटवारे पर बात नहीं करती हैं, साथ ही कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिये अकेले चुनाव लड़ने की बात कहती है। मायावती से जब चंद्रशेखर रावण को लेकर सवाल पूछा गया, तो वो उस पर भी झल्ला गई थी, उन्होने भीम आर्मी प्रमुख के बुआ कहने के रिश्ते को खारिज करते हुए कहा कि उनका ऐसे संगठनों से कोई रिश्ता नहीं है, जो धंधा करते हैं, या हिंसा का सहारा लेते हैं।

खिसक रही है सियासी जमीन
यूपी की सियासत के असली बुआ-भतीजे यानी मायावती-अखिलेश की राजनीतिक झल्लाहट के पीछे असली वजह उनका सियासी जमीन है, शिवपाल यादव ने समाजवादी सेकुलर मोर्चा का गठन कर सपा के मुस्लिम यादव वोट बैंक पर डाका डालने की कोशिश की है, तो दलितों के स्वाभिमान और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाकर भीम आर्मी प्रमुख उनके बीच लोकप्रिय हुए हैं, बस यही बात बसपा प्रमुख को खटक रहा है, वो नहीं चाहती कि चंद्रशेखर आगे बढें।

बसपा-सपा को नुकसान
शिवपाल यादव और चंद्रशेखर की वजह से बसपा और सपा को बड़े नुकसान का अभी से डर सता रहा है, जहां भीम आर्मी प्रमुख की वजह से बसपा के जाटव वोटरों पर असर पड़ सकता है, तो शिवपाल यादव के अलग पार्टी बनाने से सपा के दूसरे बुजुर्ग, अपमानित और हाशिये पर पड़े नेता अखिलेश का साथ छोड़ शिवपाल के साथ हो सकते हैं, यही टूट-फूट बीजेपी के लिये वरदान साबित हो सकती है, क्योंकि ये हार-जीत का अंतर पैदा कर सकती है।

बीजेपी के खिलाफ गरजा था चंद्रशेखर
सहारनपुर जेल में करीब 16 महीने रहने के बाद चंद्रशेखर जब जेल से बाहर निकला, तो उनके समर्थकों ने उनका स्वागत किसी नायक की तरह किया था, जेल से बाहर आते ही उसने बीजेपी को सत्ता से बाहर करने की बात कही थी, और मायावती को बुआ जी कहा था, लेकिन मायावती का उनके प्रति उदासीन रवैया और उनके राजनीतिक महत्वाकांक्षा को देखते हुए लगता है कि वो बीजेपी को नहीं बल्कि बसपा के वोट बैंक में डाका डालेंगे। यानी 2019 में बीजेपी के लिये राह आसान होगी।