इस डकैत के आगे झुकते थे मंत्री और सांसद भी, चाकू से निकाल देता था आंखें

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आज हम आपको ऐसे ही एक डकैत की कहानी बताते हैं, जिसने दो राज्यों की पुलिस को परेशान कर रखा था। 

New Delhi, Feb 18 : यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश के 22 करोड़ जनता को सुरक्षा देने की जिम्मेदारी पुलिस-प्रशासन की है। उत्तर प्रदेश में अपराधियों के एनकाउंटर जारी रहेंगे, इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अपराधियों के प्रति सहानुभूति जताये जाने को भी दुर्भाग्यपूर्ण और लोकतंत्र के लिये खतरा बताया। सीएम के अनुसार अब तक यूपी में 1200 एनकाउंटर हुए हैं, अगर अपराधी नहीं सुधरे, तो ये अभियान नहीं रुकेगा। आज हम आपको ऐसे ही एक डकैत की कहानी बताते हैं, जिसने दो राज्यों की पुलिस को परेशान कर रखा था।

बीहड़ का आतंक
70 के दशक में शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ का नाम चंबल के बीहड़ों में दहशत का पर्याय था, करीब तीस साल चले ददुआ के आतंक का आलम ये था कि Daduaअगर किसी को प्रधान, विधानसभा या लोकसभा चुनाव लड़ना होता था, तो वो उसे मोटी रकम चढावे के रुप में देते थे। तब जाकर वो चुनाव लड़ सकते थे।

200 से ज्यादा मर्डर
ददुआ के एनकाउंटर में शामिल रहे आईपीएस यश ने उस ऑपरेशन की डीटेल्स साझा करते हुए जानकारी दी, कि ददुआ ने 200 से ज्यादा हत्याओं को अंजाम दिया था, dakuuजिसमें से कुछ ही पुलिस रिकॉर्ड्स में दर्ज हो पाए। ज्यादातर मामले पुलिस रिकॉर्ड्स में आ ही नहीं पाए।

चुनाव लड़ने के लिये इजाजत
बुंदेलखंड निवासी एक शख्स ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उन इलाकों में चुनाव लड़ने के लिये ददुआ से पहले इजाजत लेनी पड़ती थी, Dacaitउन्हें चढावा चढाना पड़ता था, हर चुनाव के लिये फीस तय थी, जैसे विधानसभा चुनाव के लिये 1 करोड़, तो लोकसभा चुनाव के लिये 2 करोड़, बिना पैसे दिये कोई भी नेता चुनाव में नहीं लड़ सकता है।

पहले पैर छुए फिर दाग दी गोलियां
16 मई 1978 को 22 साल का युवक चित्रकूट के रायपुरा गांव निवासी जगन्नाथ के घर गया था, जैसा कि गांव में होता है कि उसने आते ही उम्र में खुद से बड़े जगन्नाथ के पैर छुए, पैर छुने के बाद युवक ने जेब से पिस्तौल निकाली और जगन्नाथ के सिर में दो गोलियां उतार दी। अचानक हुए इस हमले से पूरा परिवार सन्न रह गया। वो युवक बीहड़ का कुख्यात डकैत ददुआ बना। ये उसकी जिंदगी का पहला बड़ा अपराध था।

पिता का बदला
हत्या करने के बाद ददुआ दौड़ते हुए अपने घर पहुंचा, वो रास्ते में कहते हुए जा रहा था, कि मैंने अपने पिता की मौत का बदला ले लिया, Crime2यहीं से ददुआ के जुर्म की दुनिया की शुरुआत हुई। बुंदेलखंड के चित्रकूट से लेकर एमपी के जबलपुर तक उसने अपना खौफ फैलाने के लिये कई अपराध किये। उस पर 150 प्लस हत्या के मुकदमे दर्ज थे।

चाकू घुसाकर निकाल दी थी आंखें
उत्तर प्रदेश के मानिकपुर के लाधौवा गांव के सरपंच पर ददुआ को शक था, उन्हें लगता था कि सरपंच जिमीदार अपना काम ईमानदारी से नहीं करता, Murderइसी वजह से उसने सरपंच को खौफनाक मौत दी थी। जिमीदार के पिता ने बताया कि उनका बड़ा बेटा रात को खाना खाने के बाद घर के बाहर खड़ा था, तभी उनकी कुछ गुंडों से बहस हो गई, झगड़ा बढता देख स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंच गई, उन्हीं गुंडों में शामिल ददुआ भी था, वो पुलिस के सामने ही मेरे बेटे को घसीटते हुए जंगल की तरफ ले गया, फिर पिटने के बाद उसने जेब से चाकू निकाली और मेरे बेटे की दोनों आंखें बाहर निकाल दी। फिर थोड़ी देर बाद उसे घर के बाहर छोड़ कर चला गया।

परिवार को देता था धमकी
सरपंच के भाई ने बताया कि ऐसा करने के बाद वो हमारे परिवार को लगातार धमकी देता रहा, कि अगर पुलिस वालों के सामने कुछ भी बोला, तो पूरे परिवार को ही खत्म कर दूंगा, Dadua2वो लोगों को परेशान करता था। हालांकि हम उसके खिलाफ पुलिस के पास पहुंचे थे।

ऐसे हुआ एनकाउंटर
15 अप्रैल 2007 को तत्कालीन सीएम मायावती की ऑर्डर पर एसटीएफ की टीम ने इस अपराधी को ढेर कर दिया था, Murderइसके लिये करीब तीन महीने तक एसटीएफ की टीम जाल बिछाती रही, जिसके बाद उन्हें कामयाबी मिली। ददुआ के साथ मुठभेड़ में 6 जवान भी शहीद हो गये थे।