‘पाकिस्तान जिस पर थूकते थे, उसे ही उन्हें चाटना पड़ रहा है’

चीनी नेता शी ने उन्हें भरपूर मदद का आश्वासन दिया है जैसा कि वे मालदीव और श्रीलंका के नेताओं को दिया करते थे लेकिन इन दोनों समुद्री देशों को जल्दी ही चीन की चाल समझ में आ गई, वैसे ही पता नहीं पाकिस्तान कब समझेगा ?

New Delhi, Nov 06 : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की हालत भी कितनी दयनीय है ? प्रधानमंत्री बनते ही उन्हें ही भिक्षाटन के लिए विदेश जाना पड़ा है। पहले वे सउदी अरब गए और अब उन्हें चीन जाना पड़ा है। उनके पहले पाकिस्तानी नेता भी सउदी अरब जाते थे लेकिन वे उमरा के लिए जाते थे लेकिन उन्हें अभी रियाद इसलिए जाना पड़ा है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी नाजुक मुकाम पर पहुंच गई है।

यदि अगले दो माह में उसे अरबों रु. की मदद नहीं मिली तो उसका आयात बंद हो सकता है। उसके रुपए की कीमत डाॅलर के मुकाबले बराबर गिरती जा रही है। विदेशी कर्जों की ब्याज की किश्तें वह नहीं भर पा रहा है। बेरोजगारी और मंहगाई बढ़ती जा रही है। ऐसी खतरनाक स्थिति पहले जब भी सामने आई, अमेरिका ने उसकी मदद के लिए अपना छाता तान दिया लेकिन इस बार डोनाल्ड ट्रंप ने हाथ खींच लिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से भी कर्ज मिलना मुश्किल हो गया है।

ऐसे में सउदी अरब से 6 बिलियन डाॅलर का कर्ज पटाकर इमरान गदगद हैं। अब चीन में चार दिन का प्रवास निपटा कर उन्होंने 15 समझौतों पर दस्तखत किए हैं। यों भी चीन अभी तक अपने इस परम मित्र देश को 60 बिलियन डाॅलर की मदद कर चुका है। पाकिस्तान हथियार खरीदने पर बेशुमार पैसा खर्च करता है। उसने चीन से अपने आधे से ज्यादा हथियार खरीद डाले हैं। चीन का दावा है कि पाक से उसकी दोस्ती इस्पाती है लेकिन वह उसे भी ठगने से बाज नहीं आता। अपने कर्ज पर 15 से 18 प्रतिशत ब्याज लेता है। इमरान खान प्रधानमंत्री बनने के पहले इस चीनी कर्ज का कड़ा विरोध करते थे लेकिन उनकी मजबूरी कितनी भयानक है कि जिस पर थूकते थे, उसे ही उन्हें चाटना पड़ रहा है।

चीनी नेता शी ने उन्हें भरपूर मदद का आश्वासन दिया है जैसा कि वे मालदीव और श्रीलंका के नेताओं को दिया करते थे लेकिन इन दोनों समुद्री देशों को जल्दी ही चीन की चाल समझ में आ गई, वैसे ही पता नहीं पाकिस्तान कब समझेगा ? इस वक्त तो चीन अपने सिंक्यांग से पाकिस्तान के ग्वादर तक सड़क बनाने पर अमादा है ताकि वह पश्चिम एशिया में अपना प्रभाव फैला सके। चीन तभी तक पाकिस्तान को हथेली पर थामे हुआ है, जब तक कि भारत के साथ उसके रिश्ते खट्टे-मीठे हैं। भारत-चीन सदभाव स्थापित हुआ नहीं कि पाकिस्तान को पता चलेगा कि उसकी इस्पाती दोस्ती सूखे पत्तों की तरह झर गई है।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)