इस तरह से गीदड़भभकियां देना और गुर्राना ट्रंप को मसखरा बना देता है

सउदी अरब की सरकार ने ट्रंप को ईंट का जवाब पत्थर से दिया है। जमाल खाशोगी की हत्या पर ट्रंप ने सउदी अरब को सख्त कार्रवाई की धमकी दी तो सउदी सरकार ने कहा कि वह अमेरिका के खिलाफ सख्त से भी ज्यादा सख्त कार्रवाई करेगा।

New Delhi, Oct 24 : सउदी अरब के प्रसिद्ध पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की किरकिरी पहले से हो ही रही है, अब उन्होंने एक नया शोशा छोड़ दिया है। वे कह रहे हैं कि 1987 में रुस के साथ परमाणु प्रक्षेपास्त्रों संबंधी जो संधि हुई थी, उसे अब वे रद्द करनेवाले हैं। यह संधि लंबी वार्ताओं के बाद राष्ट्रपति रोनाल्ड रेगन और मिखाइल गोर्वाच्योफ के बीच हुई थी। इस संधि के मुताबिक 300 से 3000 मील तक मार करनेवाले परमाणु प्रक्षेपास्त्रों पर प्रतिबंध लगाने की बात मानी गई थी।

अब ट्रंप का कहना है कि इस संधि की आड़ में रुस और चीन ने कई प्रक्षेपास्त्र चुपचाप बना लिये हैं और अमेरिका पिछड़ गया है। अमेरिका इस धोखाधड़ी के खिलाफ डटकर लड़ेगा। यदि रुस जमीन से मार करनेवाले नोवातोर मिसाइल बनाना बंद नहीं करेगा तो हम इस संधि को कूड़ेदान के हवाले करेंगे और हर तरह के प्रक्षेपास्त्र बनाना शुरु कर देंगे।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जाॅन बोल्टन ने मास्को पहुंचकर भी इसी तरह का बयान दिया है लेकिन रुसी सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि अमेरिकी सरकार को गलतफहमी हो गई है। इस तरह के कोई मिसाइल नहीं बनाए गए हैं। इस मामले में जल्दबाजी की बजाय धीरज से काम लिया जाना चाहिए। ट्रंप को चाहिए था कि खुली बयानबाजी करने की बजाय वे रुस को राजी करते और अंतरराष्ट्रीय निगरानी बिठाते। उसके बाद जो भी कार्रवाई जरुरी होती, वह करते लेकिन इस तरह से गीदड़भभकियां देना और गुर्राना ट्रंप को मसखरा बना देता है। बिल्कुल ऐसी ही नौटंकी उन्होंने पहले उत्तर कोरिया के साथ की और आजकल सउदी अरब के साथ कर रहे हैं।

सउदी अरब की सरकार ने ट्रंप को ईंट का जवाब पत्थर से दिया है। जमाल खाशोगी की हत्या पर ट्रंप ने सउदी अरब को सख्त कार्रवाई की धमकी दी तो सउदी सरकार ने कहा कि वह अमेरिका के खिलाफ सख्त से भी ज्यादा सख्त कार्रवाई करेगा। ट्रंप के सारे आंटे ढीले पड़ गए। ट्रंप बोल पड़े कि वे सउदी अरब के खिलाफ कार्रवाई करके अमेरिकी हथियारों के 110 बिलियन डाॅलर के सौदे को खतरे में नहीं डाल सकते। 10 लाख अमेरिकियों को नौकरी से वंचित नहीं कर सकते। अगर नहीं कर सकते तो फिर हर बार वे अपना शेख चिल्लीपन क्यों दिखा डालते हैं ? अब तो साफ जाहिर हो गया है कि इस्तांबूल के सउदी दूतावास में खाशोगी को किसने मरवाया है। अब भी ट्रंप जबानी जमा-खर्च करते रहे तो उन्हें महान अंतरराष्ट्रीय विदूषक की उपाधि से विभूषित करना होगा।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)