पाकिस्तान की हालत उत्तर कोरिया और ईरान से भी बदतर हो जाएगी

पाक ने हाफिज सईद को नजरबंद करने का दिखावा जरुर किया लेकिन अब भी वह पूरे पाकिस्तान में खुलेआम में घुमता है।

New Delhi, Jul 03 : पाकिस्तान अब एक नई मुसीबत में फंस गया है। फरवरी में सउदी अरब, तुर्की और चीन ने पाकिस्तान को बचा लिया था लेकिन अब इन तीनों राष्ट्रों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। अब पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय संगठन (एफएटीएफ), जिसका काम आतंकवादियों के पैसे के स्त्रोतों को सुखा देना है, ने पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा कर दिया है। यदि पाकिस्तान अगले सवा साल में अपने सभी आतंकवादी संगठनों की आमदनी पर प्रतिबंध नहीं लगा पाया तो उसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे।

उसकी हालत उत्तर कोरिया और ईरान से भी बदतर हो जाएगी। अब पाक की गिनती इथियोपिया, सर्बिया, श्रीलंका, सीरिया, ट्रिनिडाड, ट्यूनीशिया और यमन जैसे संकटग्रस्त देशों में होने लगेगी। वह नाम के लिए भी पाकिस्तान याने पवित्र स्थान नहीं रह पाएगा। उसे उद्दंड राष्ट्र (रोग़ स्टेट) की अपमानजनक उपाधि मिल जाएगी। पाकिस्तान के विरुद्ध कार्रवाई करने की पहल अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और भारत ने की है। पिछले तीन महिने में यदि पाक अपने आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई कर देता तो सऊदी, तुर्की और चीनी सरकारें उसे अभी बचा लेतीं लेकिन उसका हाल तो यह है कि उसकी कठघराबंदी के कुछ घंटे पहले ही उसने मौलाना लुधयानवी के अहले-सुन्नत नामक आतंकी संगठन पर से प्रतिबंध उठा लिया था।

उसने हाफिज सईद को नजरबंद करने का दिखावा जरुर किया लेकिन अब भी वह पूरे पाकिस्तान में खुलेआम में घुमता है। उसने अपना एक नया राजनीतिक दल भी बना लिया है। अहले-सुन्नत का एक कुख्यात नेता संसदीय चुनाव भी लड़ रहा है। पाकिस्तान ने उस अंतरराष्ट्रीय संगठन को जो 26 सूत्री कार्य-योजना दी है, उस पर यदि उसने सितंबर 2019 तक अमल नहीं किया तो पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय अछूत घोषित कर दिया जाएगा। उसे अब आतंकियों की नकदी की तस्करी, अफीम की बिक्री, आतंकियों को मिलनेवाले चंदे, सरकार और फौज से मिलनेवाले पैसों पर प्रतिबंध लगाना होगा। पाक के कई विशेषज्ञों का कहना है कि नवाज और शाहबाज शरीफ की सरकार ने ही यह पैंतरा चला है ताकि पाकिस्तान की फौज के कान उमेठे जा सकें।

मुझे यह निष्कर्ष बहुत तथ्यात्मक नहीं लगता। इसके अलावा मैं यह भी महसूस करता हूं कि 15 माह का समय बहुत ज्यादा है। सवा साल में भारत और पाक की सरकारें बदल जाएंगी। दोनों देशों के चुनाव सिर पर हैं। क्या ही अच्छा होता कि यह संगठन (एफएटीएफ) पाकिस्तान को कुछ हफ्तों में कुछ ठोस कर दिखाने को मजबूर करता।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)