इमरान के विदेश मंत्री कुरैशी उनसे भी आगे निकल गये, RSS को लेकर कही ऐसी बात

सुषमा-कुरैशी भेंट को तय करने और रद्द करने, दोनों में भारत सरकार ने अपनी नादानी और जल्दबाजी दिखाई है लेकिन इमरान और कुरैशी ने भी कोई कमी नहीं की है।

New Delhi, Oct 04 : भारत-पाक संबंध सुधरेंगे कैसे ? बातचीत और भेंट तो भंग हो गई और अब दौर चला है, तू-तू—मैं-मैं का। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को मैं जानता हूं। उन्होंने आतंकवाद को लेकर जिस तरह का भाषण संयुक्तराष्ट्र संघ में दिया है, वैसी आशंका मुझे नहीं थी। वे अपने प्रधानमंत्री इमरान खान से भी आगे निकल गए। उन्होंने आरोप लगाया कि चार साल पहले पेशावर के एक फौजी स्कूल पर हुए आतंकवादी हमले में जो डेढ़ सौ बच्चे मारे गए थे, वह हमला भारत ने करवाया था। उन्होंने बलूचिस्तान में हो रही खलबली के लिए कुलभूषण जाधव को जिम्मेदार ठहराया है।

उन्होंने एक और हास्यास्पद बात कह दी। ऐसी बात, जो भारत के कांग्रेसी और कम्युनिस्ट भी कहने से परहेज करते हैं। यह भी उन्होंने कह दिया कि दक्षिण एशिया में आतंकवाद के पैदा होने और फैलने का कारण राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का फासीवाद है। कुरैशी जैसे अनुभवी और समझदार विदेश मंत्री ने ऐसा भाषण देकर अपनी मजाक बनवा ली है।

क्या वे भूल गए कि 2014 में जब पेशावर के स्कूली बच्चे मारे गए तो उसके खिलाफ हमारी संसद के दोनों सदनों ने उसके विरुद्ध निंदा-प्रस्ताव पारित किए थे और सारे भारत के स्कूलों में दो मिनट का मौन रखा गया था। इसी प्रकार 2017 में सं. रा. में पाकिस्तान की प्रतिनिधि मलीहा लोदी ने एक घायल फलस्तीनी औरत का फोटो दिखाकर उसे कश्मीरी औरत बता दिया था। क्या पाकिस्तान इस तथ्य से इंकार कर सकता है कि सं. रा. द्वारा घोषित 132 आतंकवादी और 22 आतंकी संगठन पाकिस्तान में पल रहे हैं और सक्रिय हैं ? भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स.रा. के अपने भाषण में बिल्कुल सही मांग की है कि स.रा. जल्दी से जल्दी आतंकवाद की परिभाषा करे और दक्षिण एशिया को आतंकवाद से मुक्त करे।

मेरी अपनी राय यह है कि सुषमा-कुरैशी भेंट को तय करने और रद्द करने, दोनों में भारत सरकार ने अपनी नादानी और जल्दबाजी दिखाई है लेकिन इमरान और कुरैशी ने भी कोई कमी नहीं की है। यदि वे दोनों थोड़े संयम का परिचय देते और थोड़ा वक्त गुजरने देते तो शायद वार्ता का सिलसिला फिर चल पड़ता। अब भी ज्यादा कुछ बिगड़ा नहीं है। यह ठीक है कि भारत में चुनाव का दौर शुरु हो गया है लेकिन यदि भारत-पाक संबंध सुधर जाएं तो मोदी को भारत वह महानता प्रदान कर सकता है, जो उसने आज तक किसी अन्य प्रधानमंत्री को नहीं दी है।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ.  वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)