विवेक तिवारी केस- 17 घंटे इकलौती चश्मदीद को पुलिस ने रखा नजरबंद, बाहर आते ही बताई भयावह दास्तां

पुलिस वालों ने गोमतीनगर विस्तार में उन्हें रुकने का इशारा किया, लेकिन विवेक तिवारी ने कार नहीं रोकी। जिस पर सिपाहियों ने जबरदस्ती शुरु कर दी।

New Delhi, Sep 30 : लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार में एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। विवेक की कार में वारदात के समय उनकी पूर्व सहकर्मी सना भी मौजूद थी। वारदात के बाद उन्हें तुरंत पुलिस थाने ले जाया गया और उनसे पूछताछ की गई। पूर्व महिला सहकर्मी की तहरीर पर दो अज्ञात सिपाहियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। घटना की एकमात्र चश्मदीद गवाह सना को शुक्रवार रात 2 बजे से शनिवार शाम 5 बजे तक नजरबंद रखा गया। इस दौरान उनके आस-पास पुलिस का पहरा रहा।

क्या हुआ था ?
विवेक तिवारी केस की इकलौती चश्मदीद गवाह उनकी पूर्व सहकर्मी के अनुसार आईफोन की लांचिंग शुक्रवार रात हुई, देर हो जाने की वजह से विवेक उन्हें छोड़ने के लिये जा रहे थे। इस बीच पुलिस वालों ने गोमतीनगर विस्तार में उन्हें रुकने का इशारा किया, लेकिन विवेक तिवारी ने कार नहीं रोकी। जिस पर सिपाहियों ने जबरदस्ती शुरु कर दी। लेकिन इसके बाद भी विवेक ने गाड़ी नहीं रोकी। इसके बाद सिपाहियों ने अपनी बाइक विवेक की कार के आगे ले आए, लेकिन विवेक ने फिर कार बाइक से बचाते हुए साइड से निकालने की कोशिश करन लगे, तभी एक पुलिसकर्मी ने निशाना बनाते हुए उन पर गोला चला दी। जो विवेक के ठोड़ी में जा कर लगी। गोली लगते ही वो बेहोश होकर ड्राइविंग सीट पर गिर पड़े। इसके बाद वो एसयूवी कार से बाहर निकली और लोगों से मदद की गुहार करने लगी।

कार दीवार से टकराई
सना ने बताया कि एसयूवी कार किसी भी हादसे का शिकार नहीं हुई थी, बल्कि पुलिस द्वारा गोली मारे जाने के बाद विवेक बेहोश हो गये थे, जिससे उनकी कार अनियंत्रित होकर अंडरपास की दीवार से जा टकराया। पुलिस ने लोगों को कार दीवार से टकराने की बात बताई, लेकिन गोली मारने की बात से इंकार करती रही।

खाली कागज पर हस्ताक्षर
महिला सहकर्मी ने कहा कि थाने में काफी देर तक उसे बैठाये रखा गया। इस दौरान कई पुलिस अधिकारियों ने उनसे घटना को लेकर पूछताछ की। फिर एसएसपी और दूसरे अधकारियों के सामने उससे एक सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाये गये, सुबह उन्हें पता चला कि उसी हस्ताक्षर वाले कागज पर पुलिस ने तहरीर लिख मुकदमा दर्ज कर लिया है। सना ने साफ कहा कि उन्होने कोई तहरीर थाने में नहीं दी है। पुलिस ने अपनी मनमर्जी से तहरीर तैयार की और केस भी बना लिया।

लोगों से मांगती रही मदद
सना ने बताया कि वारदात के बाद वो कार से बाहर निकली और चीख-चीख कर सड़क पर लोगों से मदद की गुहार करती रही, दर्जन वाहन सवार वहां से निकले, लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की। वो लोगों से मोबाइल फोन मांग रही थी, ताकि अपने घर वालों और ऑफिस वालों को घटना की सूचना दे सके। लेकिन किसी ने भी उन्हें अपना मोबाइल फोन नहीं दिया। मूल रुप से बनारस की रहने वाली सना ने कहा कि विवेक एसयूवी में घायल तड़प रहा था, पुलिस ने उसे अपनी गाड़ी में अस्पताल पहुंचाने के बजाय एंबुलेंस का इंतजार करती रही। 20 मिनट बाद जब एंबुलेंस आई, तब तक विवेक की हालत काफी बिगड़ चुकी थी, जब उसे लोहिया अस्पताल ले जाया गया, तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।