अमर सिंह के ‘खेल’ से पस्त है महागठबंधन, अभी अमित शाह का प्लान बाकी है

अमर सिंह और आजम खान की सियासी दुश्मनी पुरानी है, दोनों एक-दूसरे को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं, कहा जा रहा है कि अमर सिंह सोची समझी रणनीति के तहत आजम खां को ललकार रहे हैं।

New Delhi, Sep 05 : समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह खुलेआम ऐलान कर चुके हैं, कि बीजेपी ज्वाइन करुं या ना करूं, अब जीवन मोदी जी को समर्पित हैं, पिछले कुछ दिनों राजनीतिक हाशिये पर पड़े अमर सिंह इन दिनों काफी सक्रिय दिख रहे हैं। बीते गुरुवार को उन्होने आजम खान के गढ रामपुर में घुसकर उन्हें ललकारा, अब राजनीतिक एक्सपर्ट इसके कई मायने नहीं निकाल रहे हैं, कोई कह रहा है कि अपने खोये राजनीतिक रुतबे को पाने के लिये अमर सिंह ऐसा कर रहे हैं, तो कोई कह रहा है कि बीजेपी के इशारे पर वो आजम खान को ललकार रहे हैं।

आजम खान को क्यों ललकार रहे हैं ?
अमर सिंह और आजम खान की सियासी दुश्मनी पुरानी है, दोनों एक-दूसरे को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं, कहा जा रहा है कि अमर सिंह सोची समझी रणनीति के तहत आजम खां को ललकार रहे हैं, ताकि इनके उकसावे के बाद वो बयान दें, जिससे माहौल बनना शुरु हो, पूर्व मंत्री विवादितों बयानों के राजा कहे जाते हैं, वो अकसर उकसावे में आकर विवादित बयान दे देते हैं, जिसका राजनीतिक फायदा बीजेपी को होगा।

आजम के बहाने सपा पर निशाना
अगर यूपी में महागठबंधन होता है, तो उससे पार पाना बीजेपी के लिये आसान नहीं होगा, क्योंकि ये फॉर्मूला बिहार में देश देख चुका है। इसी वजह से एक तो शिवपाल यादव ने अलग पार्टी का ऐलान कर दिया है, इसके साथ ही अमर सिंह आजम के बहाने समाजवादी पार्टी को नमाजवादी पार्टी कह रहे हैं, ताकि वोटों का ध्रुवीकरण हो, अगर ऐसा हुआ, तो निश्चित रुप से बीजेपी 2014 की दुहराने की स्थिति में होगी।

जया प्रदा को रामपुर से मिल सकता है टिकट
आपको बता दें कि अमर सिंह का राज्यसभा सत्र अभी 4 साल बचा है, ऐसे में वो लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं, बीजेपी सूत्रों का दावा है कि एक्ट्रेस जया प्रदा को बीजेपी रामपुर से टिकट दे सकती है, वो इस सीट से 10 साल सांसद रही हैं। चुनाव भले जया प्रदा लड़ेगी, लेकिन पूरी रणनीति की पूरी जिम्मेदारी अमर सिंह संभालेंगे। कहा जा रहा है कि मोदी की पहली परीक्षा में अमर सिंह पास हो गये हैं, उन्होने सपा का नहीं बल्कि पार्टी को भी दो फाड़ कर दिया है, शिवपाल यादव ने अलग मोर्चे का ऐलान कर दिया है, निश्चित रुप से इससे अखिलेश यादव को नुकसान होगा।

अमित शाह हैं बाकी
यूपी की सियासत पर बारीक नजर रखने वालों का कहना है कि अभी लोकसभा चुनाव में 7-8 महीने का समय है, अमर सिंह ने बीजेपी के इशारे पर सपा के साथ-साथ मुलायम परिवार में सेंधमारी कर दी है। अभी अमित शाह की रणनीति बाकी है, यानी महागठबंधन बनाने के बाद भी यूपी में अखिलेश यादव की परेशानियां कम नहीं होने वाली है। अभी अमित शाह उतरेंगे, तो कई और दलों में भगदड़ मचेगी, क्योंकि महागठबंधन होने से कई बड़े नेताओं के टिकट कटेंगे, तो वो पाला बदलेंगे।