उत्तराखंड के सीएम को लेकर चल रहा सस्पेंस सोमवार को खत्म हो गया । राज्य में धामी रिटर्न्स यानी कि पुष्कर सिंह धामी ही नए सीएम होंगे ।
New Delhi, Mar 22: उत्तराखंड की कमान एक बार फिर पुष्कर सिंह धामी को ही सौंप दी गई है । खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव हारने के बाद उततराखंड में सीएम कौन होगा इसे लेकर नतीजों के बाद से ही चर्चा तेज थी, हालांकि सोमवार को सस्पेंस खत्म हो गया और बीजेपी के विधायक दल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी को नेता चुना गया है । यानी उत्तराखंड में धामी रिटर्न्स, जनता अपने नए मुख्यमंत्री के नाम से खुश भी नजर आ रही है ।
फिर होगी ताजपोशी
देहरादून में बीजेपी विधायक दल की बैठक में पुष्कर सिंह धामी को सर्वसम्मति से नेता चुन लिया गया । विधानसभा सीट हारने के बावजूद शीर्ष से मिली ये बड़ी जिम्मेदारी धामी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं । हालांकि यह बीजेपी में भी एक नई संस्कृति ही कही जा सकती है, जहां हारे हुए नेता को भी दोबारा मुख्यमंत्री बनने का अवसर दिया जा रहा है । बहरहाल सवाल ये भी है कि हारे हुए चेहरे पर ही दांव क्यों, क्यों विधानसभा चुनाव हारने के बाद आखिर बीजेपी ने पुष्कर धामी पर ही क्यों भरोसा जताया, आगे बताते हैं आपको ।
धामी ही थे चेहरा
सबसे पहली बात तो ये कि 2022 का ये विधानसभा चुनाव बीजेपी ने पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में ही लड़ा था । धामी भले खुद चुनाव हार गए, लेकिन बीजेपी को प्रचंड जीत दिलाई है । उत्तराखंड गठन के बाद ये पहली बार है कि किसी सत्ताधारी पार्टी को राज्य में दोबारा अपनी सरकार बनाने में सफलता मिली है ।
युवा नेतृत्व
पुष्कर सिंह धामी की उम्र 46 साल है, वो प्रदेश के युवाओं के बीच धमक रखते हैं । युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ी है । बीजेपी के लिए प्रदेश के युवाओं तक पहुंचने का धामी एक बएि़या मौका है, यही पजह रही कि मदन कौशिक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, भुवन चंद्र खंडूरी, सतपाल महाराज और रमेश पोखरियाल निशंक जैसे उम्रदराज नेताओं को परे कर बीजेपी ने धामकी पर दांव खेला ।
ईमानदार छवि
पुष्कर सिंह धामी संघ के साथ पले बढ़े हैं, उन्होंने एबीवीपी से अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया है । दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं । उन्हें उत्तराखंड के पूर्व सीएम और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का करीबी माना जाता है । उनकी ईमानदार छवि, विनम्र स्वभाव पार्टी के हर कार्यकर्ता को भाता है ।
कम समय में साबित किया
बीजेपी के लिए उत्तराखंड में सरकार चलाना आसान नहीं रहा था, 2017 में उत्तराखंड की सत्ता तो मिली लेकिन 5 साल में 3 मुख्मंत्री बदलने की नज्ञैबत आ गई । 2022 में हुए चुनाव से ठीक 6 महीने पहले मुख्यमंत्री बने धामी को बहुत कम समय मिला, लेकिन जितना मिला उसमें उन्होंने खुद को और सरकार को जनता के बीच साबित किया । 10वीं-12वीं पास छात्रों को मुफ्त टैबलेट, खिलाड़ियों के लिए खेल नीति बनाने, जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने, पौड़ी और अल्मोड़ा को रेल लाइन से जोड़ने जैसी योजनाओं के ऐलान ने उन्हें जनता के करीब ला दिया ।
सियासी समीकरण समझते हैं धामी
उत्तराखंड में सियासी समीकरण का मिजाज समझते हुए ही बीजेपी शीर्ष ने पुष्कर सिंह धामी को दोबारा से सीएम बनाने का फैसला किया है । धामी खुद भी पहाड़ के गुणा भाग से परिचित हैं, वो पहाड़ी क्षेत्र के ठाकुर समुदाय से आते हैं ।