‘अटल जी की स्वीकार्यता केवल राजनैतिक दलों में नही जनमानस में थी, वे खूबसूरत इंसान थे’

उनकी कविताएं उनकी संवेदना को जाहिर करते हैं और बताते हैं कि अटल बिहारी केवल राजनीतिज्ञ ही नही कोमल हृदय इंसान थे।

New Delhi, Aug 18 : अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के अजातशत्रु थे। चाहे अनचाहे उन्होंने सिर्फ प्रशंसक बनाये। कवि हृदय वाजपेयी जी ने अपनी छाप छोड़ने के लिए कभी भी अतिरिक्त प्रयास नही किये । 1996 में पुरुलिया हथियार कांड के समय उनसे निजी तौर पर मिलने का मौका मिला । वे रांची आये थे और उनके साथ यहां से पत्रकारों का एक दल पुरुलिया गया था । हथियार गिराने की जगह का भ्रमण कर रहा था।

अचानक वे पीछे मुड़े और पत्रकारों से कहा — आप पीछे नही साथ साथ चले । फिर मेरी ओर मुखातिब होकर कहा — भोजन , वोजन हो गया है न ? … खाना नहीं खाया था हमने इसलिए नरम और दबी जुबान से कहा – जी सर ,खाना हो गया है । उन्हें समझ मे आ गया कि भोजन नही हुआ है । उन्होंने जोर से कहा — अजय , इन पत्रकार मित्रों के भोजन की व्यवस्था कीजिये। फिर बोले — चलिए पहले काम पूरा कर लें फिर आराम से भोजन करेंगे। उनके साथ घूमते हुए एक बार भी नहीं लगा कि प्रधानमंत्री के साथ घूम रहा हूँ । लगता था किसी की तलाश में निकला हूँ और वे हमारे रहनुमा हैं।

उनके भाषण को सुनने के लिए मेरी माँ जिसे राजनीति का ककहरा भी नहीं मालूम , मार कर देती थी । टीवी पर हो या जनसभा उनके भाषणों के दौरान माँ अपलक उनके भाषण देखती और सुनती थी। यह हाल शायद मेरी माँ का भर नही था अधिकांश लोग उनके बोलने की अदा पर फिदा थे। उनकी कविताएं उनकी संवेदना को जाहिर करते हैं और बताते हैं कि अटल बिहारी केवल राजनीतिज्ञ ही नही कोमल हृदय इंसान थे।

इमरजेंसी के बाद रांची में वाजपेयी जी एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे कि बारिश शुरू हो गयी । उन्होंने मंच से एलान किया — बारिश से डर तो नही रहे हैं ? जनता ने हाथ लहराते हुए जोर का हुंकार भरा — नही …. । अटल जी बोले –ठीक है, अब आप जब तक सुनियेगा में बोलूंगा । … वाजपेयी जी बोलते रहे, भीगते रहे और बारिश में भीगती जनता मंत्रमुग्ध होकर उनको सुनती रही । मुझे तो लगता है कि अटल जी नेहरू से भी अधिक करिश्माई नेता थे। ये ऐसे नेता थे जिनके नाम के आगे बिना ” जी ” जोड़े जी नही जुड़ता। उनके प्रति सम्मान खुद ब खुद निकलता है । उनकी स्वीकार्यता केवल राजनैतिक दलों में नही जनमानस में थी। वे राजनीतिज्ञ से अधिक खूबसूरत इंसान थे। यूट्यूब पर एक ” बाल बुजुर्ग ” के बारे में युवतियों से ओपिनियन लिया जा रहा था कि क्या वे उससे शादी करना चाहेंगी ? एक लड़की ने नाक भौं सिकोड़ते हुए जवाब दिया — मैं बीमार और बिस्तर पर पड़े अटल जी से कई बार शादी करना चाहूंगी लेकिन इस ” बाल बुजुर्ग ” से विवाह नही करूंगी । मैं इस प्रकरण की चर्चा कर अपना आलेख राजनीतिक नही करना चाहता सिर्फ यह बताना चाहता हूँ कि इस चिर कुंवारे की कितनी माशूका उनके बुढ़ापे के बावजूद मौजूद हैं।
” अटल मरे नही ,अटल मरते नही ”
देश के इस प्रिय रहनुमा को प्रणाम प्रणाम प्रणाम ,।

(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)