” उल्लू” जितने भी मिले झुक कर करो प्रणाम , आड़े टेढ़े वक़्त में ” उल्लू ” आते काम

अब उल्लू की महिमा तो भारत मे नही पूरे विश्व मे है । लगभग दुनिया के हर कोने में उल्लू पाये जाते हैं । हिंदुओ में इसे लक्ष्मी की सवारी माना गया है।

New Delhi, Nov 06 : अब तो हमने भी जिद ठान ली है कि ये तोता मैना , कुत्ता खरगोश पालना छोड़कर उल्लू ही पाल ले। भले ही लोग उल्लू को मजाक का विषय मानते हों लेकिन लक्ष्मी को उल्लू पसंद है सो अपन को भी उल्लू ही चैये। उल्लू को उल्लू समझने वाले उल्लू के पट्ठे हैं।
” उल्लू” जितने भी मिले झुक कर करो प्रणाम , आड़े टेढ़े वक़्त में ” उल्लू ” आते काम ,
” उल्लू ” आते काम , साथ ” लक्ष्मी ” को लाये ,
का जाने किस रूप में ” उल्लू ” फिर मिल जाये

अब उल्लू की महिमा तो भारत मे नही पूरे विश्व मे है । लगभग दुनिया के हर कोने में उल्लू पाये जाते हैं । हिंदुओ में इसे लक्ष्मी की सवारी माना गया है। यूनान के पुराने धर्मग्रंथों में एथेन नामक देवी ने उल्लू की शक्ल में अवतार लिया था। एथेन भी संपन्नता की देवी मानी गयी है। नामुराद शायर शौक़ बहराइच को क्या सूझी थी कि उल्लू को गुलिस्तां बर्बाद करने का जिम्मेवार ठहरा दिया। शायर खुद तो बर्बाद हो गए लेकिन उल्लू रखने / बने रहने वाले लोग मज़ा ले रहे हैं। भैया हमको तो उल्लू चैये । हर शाख पर क्या , पत्ता पत्ता में , बूटा बूटा में। हमे अपने गुलिस्तां में फूल नही चाहिए बल्कि लोग जिसे ” फूल ” समझते हैं वही फूल चाहिए। बहुत ज्ञान बटोर लिए । ज्ञान वाले पोस्ट डालो तो सात कमेंट और 30 लाइक तक ही सीमित रह जाते हैं । और लक्ष्मी मैया का फोटो 100 लोगो को सेंड करो और चमत्कार देखो वाला पोस्ट टेपता हूँ तो ऐसे पोस्ट ” उल्लुओं ” पर सवार होकर लाखो उल्लुओं से होते हुए अपन को ही चमत्कार दिखाने की धमकी देने वापस लौट जाता है। उल्लू की महिमा भी खूब है।

आपकी बायीं ओर उल्लू दिखे तो शुभे शुभ । गौतम ऋषि ने तो उल्लू को लेकर उलूक तंत्र ही रच दिया। जरूर उल्लू में करामाती ताक़त है। कहा जाता है कि गर्भधारण के दौरान किसी स्त्री ने उल्लू को देख लिया तो डबल धमाका । यानी जुड़वा बच्चे होने की संभावना है। उल्लू को परेशान न करे । अगर तीन दिन तक आपके घर में कोई उल्लू रो दे तो समझिए कि उसकी बर्बादी तय है। उल्लू को दिखाई कम पड़ता है इसलिए जरा सावधानी बरतना पड़ता है। एक तो पीठ पर माता लक्ष्मी का भार और उसपर अमावस की रात । सो दृष्टिदोष के कारण अब पिछली बार योगेश किंसलय की जगह उल्लू योगेश गंभीर के घर की ओर चला गया ।

गंभीर दस तल्ला बिल्डिंग बनाकर राज कर रहे हैं और अपन एकतल्ला मकान में ही प्लास्टिक छाब छाब कर छत चूने से बचाने की जुगत भर सावन भादो करते रहे। उल्लू को भी अमीर खान के तारे जमीन पर की तरह डिस्लेक्सिया हुआ हो। मुझे तो संदेह है कि ओला कैब वाले उल्लू कैब बनाये होंगे। सोचा होगा किसी न किसी कैब में माता लक्ष्मी सवार होंगी और उनके दिन फिर जाएंगे। माता लक्ष्मी डिक्सलेसिया से पीड़ित रही होंगी और ओला को उल्लू समझ कर सवार हो गयी । और अब तो ओला कैब कंपनी के मालिक भविष अग्रवाल के घर लक्ष्मी मैया रोज धमक रही है। अब उल्लू के इतने गुण है तो बुलबुल को ईर्ष्या तो होगी ही । तभी तो शायर ने कहा है ….
” कद्रदानों की तबीयत के अजब रंग है आज
बुलबुलों की ये हसरत के वे उल्लू न हुए ”
इसलिए उल्लू के कद्रदानों
” उल्लू के गुण बहुत है सदा राखिए संग
लक्ष्मी जिसपर हैं सवार ,जीत जाएंगे जंग ”
लक्ष्मी की वंदना कीजिये न कीजिये उल्लू की वंदना जरूर कीजिये । …..अपने आसपास के ” उल्लुओ” को प्रसन्न रखिये और रोज दिवाली मनाइए …
शुभ दीपावली!

(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)