मुस्लिम दोस्तों से अपील, कुर्बानी की पैसा केरल के बाढ़ पीड़ितों को भेजे

कुर्बानी का तााल्लुक नीयत से है। कुरआन में अल्लाह कहता है, ” हम तक तुन्हारे जानवरों का न गोश्त पहुंचता है और न खून। हम तक सिर्फ तुम्हारा तक़वा पहुंचता है।”

New Delhi, Aug 21 : दोस्तों, अगर आपने अभी तक कुर्बानी का बकरा नहीं खरीदा है तो आप बकरा खरीदने के बजाय कुर्बानी के बजट की रक़म केरल के बाढ़ पीड़ितों को भेज सकते हैं। अगर आपको लगता है कि कुर्बानी ही ज़रूरी है और आप एक से ज़्यादा कुरबानी करते हैं तो एक कुर्बानी कर लीजिए और बाक़ी का पैसा केरल भेज दीजिए। इंशाल्लाह यह अमल अल्लाह को ज़रूर पसंद आएगा।

दरअसल कुर्बानी हज का हिस्सा है। गैर हाजियों के लिए यह न सुन्नत है न वाजिब। अगर इसे आप सुन्नत भी मानते हैं तो हदीसों के मुताबिक रसूलअल्लाह हर साल दो बकरों की कुर्बानी देते थे। एक अपने पूरे फऱिवार की तरफ से और दूसरा पूरी उम्मत की तरफ से। इस लिहाज़ से देखें तो हमारे पूरे परिवार की के लिए एक ही कुर्बानी काफी है।

कुर्बानी का तााल्लुक नीयत से है। कुरआन में अल्लाह कहता है, ” हम तक तुन्हारे जानवरों का न गोश्त पहुंचता है और न खून। हम तक सिर्फ तुम्हारा तक़वा पहुंचता है।” अगर कुर्बानी की नीयत वाकई साफ है तो वो ज़रूर कुबूल होगी। कई दोस्तों ने फेसबुक पर ऐलान किया है कि वो अपने बकरे की कीमत केरल भेज रहे हैं। उनके जज़्बे दो दिल से सलाम।

केरल मदद भेजने के लिए दिल्ली में केरल हाउस से संपर्क किया जा सकता है। अपने ज़िलों में आप जिलाधिकारी कार्यालय के ज़रिए भी मदद भेज सकते है। दिक्कत हो तो मुझे मैसेज कर सकते हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार यूसूफ अंसारी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)