पित्त, गठिया और मलेरिया का दमदार इलाज, बड़े काम की ही ये बेजोड़ औषधि

आज एक बेजोड़ औषधि के बारे में हम आपको बता रहे हैं। इस औषधि के बूते पित्त, गिया और मलेरिया का शानदार इलाज किया जा सकता है।

New Delhi, Mar 01: कुदरत ने हर किसी को कुछ बेहतरीन कुदरती नुस्खे दिए हैं। इनमें हर बीमारी का बेहतरीन इलाज कुदरती तरीके से आप कर सकते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको एक खास पौधे के बारे में बता रहे हैं। ये ना सिर्फ आपकी सेहत के लिए रामबाण इलाज है बल्कि स्वाद के मामले में बेहतरीन है। चलिए इस बेजोड़ औषधि के बारे में आपको कुछ खास बातें बताते हैं।

ये है करामाती पौधा
आम तौर पर लोग इसे बिच्छू घास के नाम से जानते हैं। हिमालयी क्षेत्रों में ये परंपरा के साथ भी आगे बढ़ता जा रहा है। एक खास बात ये भी है कि ग्लोबल वॉर्मिंग का असर इस पर गंभीर रूप से पड़ रहा है। आम भाषा में इसे कंडाली और सिसूण भी कहा जाता है। ये पौधा अर्टिकाकेई वनस्पति फैमिली का होता है। इसका वास्तविक नाम अर्टिका पर्वीफ्लोरा है।

जानिए इसके चमत्कारिक गुण
अब आपको इस औषधि के चमत्कारिक गुणों के बारे में भी बता देते हैं। इस पौधे को वैज्ञानिकों ने भी खास महत्व दिया है।  अगर आपको शरीर में पित्त दोष की बीमारी है, तो इसका सेवन जरूर करें। पेट की गर्मी को दूर करने की इसमें जबरदस्त क्षमता होती है। इसके साथ ही ये पेट से बनने वाली बीमारियों को दूर कर देती है। इसके और भी गुण हैं।

ऐसे देती है फायदा
अगर आपके शरीर के किसी हिस्से में मोच आ गई है, तो इसकी पत्तियों के इस्तेमाल से अर्क बनाकर प्रभाविक जगह पर लगा सकते हैं। इससे आपको जल्द ही आराम मिलेगी। इसके साथ ही अगर आपके शरीर में जकड़न महसूस हो रही है, तो इसका साग बनाकर खाएं। इसके साग स्वादिष्ट होता है और स्थानीय लोग इसका सेवन भात के साथ करते हैं।

मलेरिया के इलाज में कारगर
इसके साथ ही एक्सपर्ट्स का कहना है कि मलेरिया के इलाज के लिए बिच्छू खास बेहतरीन इलाज है। इसका साग बनाकर मलेरिया के मरीज को देना चाहिए। ये मलेरिया के मरीज के लिए एंटीबायोटिक और एंटी ऑक्सीडेंट का काम करता है। इसके अलावा अगर आपका पेट साफ नहीं हो रहा है, तो इसके बीजों का सेवन करें, आपको फायदा मिलेगा।

आयरन की जबरदस्त मात्रा
खास बात ये है कि इसमें जबरदस्त मात्रा में आयरन होता है, जो आपके शरीर को और आपकी हड्डियों को मजबूती देने का भी काम करता है। ये पौधा भारत, चीन, यूरोप समेत कई देशों में पाया जाता है। बताया जा रहा ह कि ग्लोबल वार्मिंग और मौसम की मार की वजह से इसका अस्तित्व भी खतरे में हैं। बिच्छू घास की पत्तियों पर छोटे-छोटे बालों जैसे कांटे होते हैं।

ग्लोबल वॉर्मिग का खतरा
इसलिए जब भी इसका साग बनाएं तो पहले पत्तियों को अच्छी तरह से उबाल लेना चाहिए। इससे इसकी पत्तियों में मौजूद कांटे अलग हो जाते हैं। इसके साग के साथ झुंगर का मजा लेकिन ये अब गुजरे जमाने की बात हो गई है। आज के दौर में इस बेजोड़ औषधि की ढूंढ खोज और बचाने के तरीकों पर फिर से काम होने लगा है। देखना है आगे क्या होता है।