ब्रेस्टफीडिंग मदर्स के लिए जरूरी जानकारी, शिशु की सेहत के साथ अपना भी ख्‍याल रखें

6 माह तक के शिशुओं के लिए मां का दूध ही सर्वोत्‍तम आहार है लेकिन ब्रेस्‍टफीडिंग के दौरान होने वाली दिक्‍कतों से बचने के लिए मांओं को भी कुछ सावधानियां रखने की जरूरत है ।

New Delhi, Jan 19 : स्‍त्री के गर्भ धारण करते ही उसकी जिम्‍मेदारियां शिशु के प्रति किसी और से कहीं ज्‍यादा बढ़ जाती हैं । गर्भ में पोषण के साथ नौ महीने तक उसकी देखभाल सब कुछ मां की ही जिम्‍मेदारी होती हैं । इस जिम्‍मेदारी को निभाने के लिए उसे घर के बड़े – बूढ़ो का पूरा सहयोग मिलता है । गर्भस्‍थ शिशु की सेहत के साथ माता की सेहत भी उतनी ही जरूरी होती है । शिशु के जन्‍म के बाद वह पूरी तरह से अपनी मां पर निर्भर होता है । मां के दूध को बच्‍चे के लिए सर्वोत्‍तम आहार कहा जाता है, इससे जुड़ी कुछ बातें हैं जो आपको जरूर जाननी चाहिए ।

अपने आहार का रखें पूरा ख्‍याल
शिशु के जन्‍म के तुरंत बाद से मां को बच्‍चे को दूध पिलाना शुरू करना पड़ता है । डिलीवरी के कुछ समय बाद तक माता का शरीर खुद भी कमजोर होता है । ऐसे समय में माता को बहुत अधिक परेशान ना होकर किसी बड़े बुजुर्ग की मदद लेने से हिचकना नहीं चाहिए । कोई ऐसा व्‍यक्ति आपके साथ जरूर होना चाहिए जो आपके खानपान और आपकी सेहत का पूरा ख्‍याल रख सके ।

ब्रेस्‍ट मिल्‍क से हो सकती है एलर्जी
नई बनी मांओं को कई बार एलर्जी की समस्‍या हो सकती है । ब्रेस्‍ट के नीचे पड़ने वाले काले घेरे इसी एलर्जी का संकेत है । परेशान होने की जरूरत नहीं है, आप किसी स्किन एक्‍सपर्ट से मिलकर इसके लिए उपयुक्‍त उपचार लें । जो भी दवा खाने या लगाने के लिए दी जाए उसके बारे में पता जरूर कर लें कि ये आपके शिशु के लिए भी उपयुक्‍त है ।

सिजेरियन के बाद फीडिंग सावधानी से
सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिला के लिए उठने बैठने में बड़ी समस्‍या आती है । ऐसे में शिशु को फीड कराना किसी पहाड़ जैसे टासक जैसा लगने लगता है । कोशिश करें बच्‍चे को लेटे हुए ही दूध पिलाएं । इसके लिए तकिया आदि की मदद ले सकते हैं । बार-बार उठने और बैठने से आपके स्टिचेज पर असर पड़ सकता है । इनमें इनफेक्‍शन हो सकता है, साथ ही टांकों के टूटने का भी डर रहता है ।

सर्दियों में रखें ख्‍याल
मांएं ये बात जरूर ध्‍यान में रखें, आप जो भी खाएंगी उसका असर आपके शिशु पर भी पड़ेगा । आपका दूध आपके खान पान से ही बन रहा है । आप जैसा भोजन करेंगी शिशु पर उसका उतना ही सही या गलत असर पड़ेगा । सर्दियों में ठंड बढ़ाने वाले, बाई देने वाले खाने से बचें । आपकी पाचन प्रक्रिया इस समय इतनी मजबूत नहीं है कि आप कुछ भी खा सकें । इसलिए सर्दियों में मां बनने वाली स्त्रियां खुद का ध्‍यान रखें ।

ब्रेस्‍ट की सफाई बहुत जरूरी है
सबसे जरूरी बात जो आपको ध्‍यान रखनी चाहिए वो है आपके ब्रेस्‍ट की सफाई । निप्‍पल्‍स की क्‍लीनिंग करते रहें । शिशु के लिए जर्म्‍स अटैक का ये सबसे बड़ा कारण हो सकता है । जो भी अंत:वस्‍त्र आप पहन रहे हों उन्‍हें साफ रखें । फीड कराने के बाद निप्‍पल्‍स को क्‍लीन जरूर करें । गुनगुने पानी से कॉटन की मदद से इन्‍हें साफ करें । बच्‍चे को फीड कराने से पहले भी इन्‍हें क्‍लीन करें ।

ब्रेस्‍ट मिल्‍क में कमी
कई बार मांओं को दूध ना बनने की शिकायत होती है । कई महिलाओं में ऐसा हामोर्न्‍स की कमी, पोषण की कमी, कमजोरी या फिर दवाओं के ज्‍यादा इस्‍तेमाल के कारण होती है । शिशु के जन्‍म के शुरुआती महीनों में ऐसा हो तो मुश्किल और बढ़ सकती है क्‍योंकि बच्‍चे को ऊपर का दूध जैसे डिब्‍बेबंद मिल्‍क को पिलाने पर मजबूर होना पड़ता है । आगे जानिए कुछ ऐसे नुस्‍खे जो ब्रेस्‍ट मिल्‍क को बढ़ाने में कारगर हैं ।

बड़े काम का जीरा
जीरा आयरन से भरपूर है और यह गर्भवती मांओं और स्‍तनपान कराने वाली मांओं के लिए रामबाण औषधि है । ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढ़ाने के लिए आपको जीरे के दो उपाय करने हैं । पहला उपाय – आधा चम्‍मच भुना हुआ जीरा पाउडर बना लें और इसे एक गिलास दूध के साथ पी जाएं । ऐसा दिन में दो से तीन बार करें । दूसरा उपाय – एक चममच जीरा एक गिलास पानी में डालें । 5 मिनट पानी गरम करें और फिर छानकर इस पानी को पी जाएं ।

एसीडिटी को इग्‍नोर ना करें
प्रेग्‍नेंसी और डिलीवरी के बाद एक समस्‍या जो महिलाओं को सबसे ज्‍यादा परेशान करती है वो है एसिडिटी की प्रॉब्‍लम । इस परेशानी में भी जीरा आपकी मदद कर सकता है । जीरे में मौजूद तत्‍व एसिडिटी की प्रॉब्‍लम को ठीक करते हैं । गर्भावस्‍था के दौरान महिला के गर्भाशय, पेट और आंतो पर काफी दबाव बनता है । गर्भावस्‍था बढ़ने के साथ दबाव बढ़ने से एसिडिटी और गैस की प्रॉब्‍लम होने लगती है । जीरे का पानी आपकी इन प्रॉब्‍लम्‍स को दूर करता है ।

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