प्रेग्‍नेंसी में डायबिटीज का पड़ सकता है बच्‍चे पर बहुत बुरा असर, समय रहते जान लें

गेस्टेशनल डायबिटीज का नाम आपने पहले कभी सुना है, अगर नहीं तो अब इसे जरूर जान लें क्‍योंकि गर्भवती महिलाओं में ये कंडीशन उनके होने वाले बच्‍चों के लिए मुश्किल भरी हो सकती है ।

New Delhi, Nov 25 : गर्भावस्‍था के दौरान हर स्‍त्री कई तरह के हार्मोनल बदलाव से गजुरती है । उनके शरीर में मौजूद एक –एक बूंद खून से लेकर एक-एक हड्डी तक एक खास तरह के बदलाव के दौर में होते हैं । हार्मोनल चेंजेस की वजह से कुछ महिलाओं में ब्‍लड शुगर का लेवल असामान्‍य रूप से बढ़ने लगता है । इस स्थिति को गेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं । ये हालात कुछ समय के लिए बने रहते हैं । जाहिर है इसका असर गर्भस्‍थ शिशु पर भी बड़ता है ।

गेस्टेशनल डायबिटीज : विशेष अवस्‍था
खास बात ये कि गर्भ के दौरान हार्मोन इम्‍बैलेंस की वजह से शुरू हुई ये परेशानी बच्‍चे के जन्‍म के साथ ही ठीक भी हो जाती है । यानी ये डायबिटीज आपको आगे परेशान नहीं करती है । लेकिन गर्भावस्‍था के दौरान होने वाली इस प्रॉब्‍लम के चलते गर्भ में पल रहे शिशु को समस्‍या आ सकती है । ऐसे में मां और बच्‍चे दोनों की निगरानी बेहद आवश्‍यक हो जाती है ।

किसी भी महिला को हो सकती है ये समस्‍या
डॉक्‍टर्स के मुताबिक इस तरह के मामले कई महिलाओं में सामने आते हैं । उनका कभी कोई मधुमेह का रिकॉर्ड नहीं रहता लेकिन गर्भ धारण करते ही ये समस्‍या बनकर सामने आ जाता है । ब्‍लड शुगर का लेवल अचानक बढ़ जाना गर्भकालीन डायबिटीज का पहला लक्षण है । जिसे इग्‍नोर तो बिलकुल भी नहीं किया जा सकता । ये उनको भी हो सकता है जो कभी मीठे को छूते भी नहीं हैं ।

किनको है जोखिम
ज्‍यादा वजनी महिलाएं, पूर्व में डायबिटीज की शिकार महिलाएं और पारिवारिक इतिहास वाली महिलाओं को इसका खतरा सबसे ज्‍यादा रहता है । अगर इस बीमारी का समय पर इलाज ना हो पाए या इसे काबू में ना रखा जाए तो होने वाले शिशु के अंदरूनी अंगों पर इसका बुरा असर पड़ता है । बच्‍चे को दूसरे पोषक तत्‍व नहीं मिल पाते और उसका विकार सही प्रकार नहीं होता ।

गर्भस्‍थ शिशु को नुकसान
इस विशेष प्रकार के डायबिटीज के दौरान शरीर में पैन्क्रियाज ज्यादा इंसुलिन पैदा करने लगता है ।  लेकिन इंसुलिन की अधिक मात्रा भी ब्लड शुगर के लेवल को नीचे नहीं ला पाती है । मां को बच्‍चे से जोड़ने वाली गर्भनाल में इंसुलिन का प्रवेश नहीं हो पाता, लेकिन इससे होकर ग्लूकोज और दूसरे कई न्‍यूट्रीशनल तत्‍व बच्‍चे तक पहुंच जाते हैं । जिसके चलते बच्‍चे का भी शुगर लेवल बढ़ जाता है ।

क्‍या है खतरा ?
बच्‍चे का ब्‍लड शुगर लेवल बढ़ जाए तो उसके समय से पहले जन्‍म के आसार बढ़ जाते हैं । बच्‍चे का वजन तेजी से बढ़ने लगता है और उसके शरीर में फैट जमा होने लगता है । ब्‍लड शुगर बढ़ने से बच्‍चे की एनर्जी भी बढ़ती है । ऐसे हालात में बच्‍चे की निगरानी करनी पड़ती है , समय से पूर्व जन्‍म के लिए डॉक्‍टर्स को हमेशा तैयार रहना पड़ता है ।

वजन बढ़ने का खतरा
प्रेग्‍नेंसी के समय बच्‍चा पूरी तरह मां पर निर्भर होता है । जो परेशानी मां को हो रही हैं उसका असर उसके बच्‍चे पर भी पड़ता है । मां का ब्‍लड शुगर लेवल अधिक होगा तो उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण पर इसका असर होगा । ज्‍यादा वजनी बच्‍चे, सामान्‍य बच्‍चें की तुलना में अधिक वक्‍त लगाते हैं । मां को इस दौरान अधिक कष्‍ट का सामना करना पड़ता है ।

जॉन्डिस होने का खतरा
गर्भ के समय मां को डायबिटीज होने पर बच्चे को जॉन्डिस का खतरा हो सकता है । जन्‍म के वकत बच्‍चे को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है साथ ही बहुत संभावना है कि बच्‍चा जब बड़ा हो तो उसे भी मधुमेह हो जाए । शारीरिक रूप से दूसरे बच्‍चों के मुकाबले ऐसे बच्‍चे उतने एक्टिव नहीं रह पाते । गर्भवस्‍था में मधुमेह कई बार माताओं के लिए भी परेशानी भरा होता है ।

गेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के उपाय
सही तरह का खानपान रखें , एक्टिव रहें,  सही देखभाल, ब्लड शुगर लेवल पर कड़ी निगरानी रखें । डायटिशियन, न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह लेकर एक डायट प्‍लान बना लें । मीठे पदार्थो से दूरी बना लें । फिथ्‍जकल एक्टिवटी करते रहें, आराम की अवस्‍था में ना जाएं । रोज 30 मिनट वॉक जरूर करें । ये आपके और गर्भ में पल रहे बच्‍चे के लिए अच्‍छा है ।