भयंकर बीमारियां, जो इंटरनेट की वजह से होती हैं, कहीं आप तो नहीं इनके शिकार ?

क्या आप जानते हैं कि इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की वजह से भयंकर बीमारियां आपको घेर सकती हैं ? आइए आपको उन बीमारियों के बारे में बता देते हैं।

New Delhi, Jan 04: इंटरनेट और टेक्नोलॉजी, जैसे जैसे ये आगे बढ़ते जा रहे हैं, वैसे वैसे इंसानी जिंदगी भी खतरे में पड़ रही हैं। पिछले कई दशकों से तकनीकि में लगातार विकास हो रहा है, जो कि अच्छा है। लेकिन कई बार इंसानी इसके इस्तेमाल की अति कर देता है और उसे भयंकर बीमारियां घेर लेती हैं। ये नुकसान ऐसे हैं, जिनकी भरपाई करना कभी कभी काफी मुश्किल हो जाता है।

क्या कहता है शोध ?
आइए अब आपको बता देते हैं कि इस वजह से आप किस तरह की गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। सेल्फाइटिस बीमारी का तो आपने नाम सुना ही होगा। वैज्ञानिकों ने इसे मनोविकार बताया है। अगर आप दिन भर में 3 से ज्यादा सेल्फी लेते हैं, तो समझ जाइए कि आप इसके शिकार हो रहे हैं। धीरे धीरे ये बीमारी बड़ा रूप लेने लगती है।

ये है घातक बीमारी
इसके अलावा कहा गया है कि सेल्फी लेने की बीमारी इस कदर घातक हो जाती है कि लोगों की मौत भी हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी कई रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं, जिनंमे या तो सेल्फी लेने वाले की मौत हुई है, या फिर वो गंभीर रूप से घायल हुआ है। खैर वैज्ञानिकों ने इस तरह की हरकतों से दूर रहने की ही सलाह सभी को दी है।

सेल्फी भी एक पागलपन है
इन बीमारियों में सबसे ज्यादा खतरनाक सेल्फआइटिस को कहा गया है। बताया गया है कि ये बीमारी एक तरह से पागलपन की ही तरह है। इसमें इंसान खुद की तस्वीर लेने और अच्छा दिखने के लिए बेकरार सा रहता है। जब तक एक अच्छी तस्वीर सामने नहीं आती, तब तक उसका दिमाग शांत नहीं होता। इसे वैज्ञानिकों एक गंभीर बीमारी करार दिया है।

कहीं आपको ये बीमारी तो नहीं ?
अगर आपको लगता है कि बार बार आपके फोन की घंटी बज रही है, तो ये भी एक तरह की बीमारी है। जी हां बताया गया है कि कई लोग इस बीमारी का भी शिकार हैं। इसे ‘फैंटम वाइब्रेशन या फैंटम रिंगिंग सिंड्रोम’ कहा जाता है। समय रहते इसका इलाज नहीं करवाया गया तो आगे आने वाले वक्त में ये भयानक रूप धारण कर सकती है।

गूगल करने वाले सावधान
इसके अलावा आज के टेक्नोलॉजी के .युग में लोगों ने गूगल को ही बड़ा सर्च इंजन मान लिया है। लोग किताबों को पढ़ने के बजाय अब गूगल का रूख कर रहे हैं। ये भी एक तरह का सिंड्रोम है, जो लोगों को गूगल की तरफ खींचता है। कम ज्ञान में ही लोग खुश हो जाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि गूगल शब्द आज संज्ञा से क्रिया बन गया है, जिसे हर कोई कर रहा है। इसके अलावा भी कुछ भयंकर बीमारियां हैं।

मानसिक अवसाद में तो नहीं आप ?
ये बात भी सच है कि टेक्नोलॉज़ी के बढ़ते इस्तेमाल ने इंसानी जीवन को सुगम तो बनाया, लेकिन कई तरह की मानसिक समस्याएं भी सौगात में दी है और इन्हीं में से एक है- नोमोबिया। इसमें इंसान को अपने मोबाइल फोन के गुम हो जाने का डर सताता रहता है। हालत ये है कि ऐसे लोग जब टॉइलट भी जाते हैं तो अपना फ़ोन साथ लेकर जाते हैं। दिन में 30 बार से ज्यादा ऐसे लोग अपना फोन चेक करते हैं।
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