New Delhi, May 24 : बच्चेदानी में रसौली की समस्या आम है, हर 100 में से 60 महिलाओं को इस प्रॉब्लम से दो चार होना पड़ता है । बढ़ती उम्र में इस समस्या के होने के चांसेज बढ़ जाते हैं । इस प्रॉब्लम की वजह आधुनिक जीवनशैली को भी मना जाता सकता है । खासकर 30 के बाद की उम्र में महिलाओं के लिए काफी कुछ बदलने लबता है । गर्भाशय से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है । कुछ महिलाएं अनियतिम माहवारी की समस्या से गुजरती हैं, जिसकी वजह से यूटरस में सिस्ट बन जाती हैं । इन्हें ही फाइब्रॉयड्स या रसौली के नाम से जाना जाता है ।
खतरनाक हो सकती है ये प्रॉब्लम
फाइब्रॉइड, इसे आम भाषा में रसौली या बच्चेदानी की गांठ के रमप में जाना जाता है । महिलाओं को ये प्रॉब्लम गर्भाशय के आसपास, उसके
इस आयु वर्ग में अधिक समस्या
रसौली की समस्या 30 से 50 वर्ष की महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है । ये समस्या आनुवांशिक कारणों से भी हो सकती है । हार्मोनल
लक्षण
रसौली के लक्षण समय पर पहचान लिए जाएं तो इनका इलाज संभव है । 99 फसदी रसौली कैंसर बनने से पहले ही ठीक की जा सकती हैं ।
माहवारी के समय या बीच में ज्यादा रक्तस्राव
नाभि के नीचे पेट में दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द
पेशाब बार बार आना
मासिक धर्म के समय दर्द की लहर चलना
यौन सम्बन्ध बनाते समय दर्द होना
ये भी है लक्षण
रसौली होने के अन्य लक्षणों में से आगे हैं – मासिक धर्म का सामान्य से अधिक दिनों तक रहना, खून के थक्के आना । नाभि के नीचे पेट में
खान-पान का रखें ध्यान
फाइब्रॉयड का पता चलते ही देरी ना करें । डॉक्टर को दिखाएं और जरूरी इलाज करवाएं । इसके अलावा आप अपने खान-पान में ख्याल रखें
ये चीजें भी खाएं
रसौली में प्याज खाना फज्ञयदेमंद होगा । इसमें सेलेनियम पाया जाता है जो मसल्स को ठीक रखने में हेल्प करता है । इसके एंटी-इंफ्लमेट्री
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