जानिए कहीं आपके बच्‍चे को टॉरेट सिंड्रोम तो नहीं ?

टॉरेट सिंड्रोम, आपने इस दिक्‍कत का नाम कुछ दिन पहले ही सुना होगा । लेकिन क्‍या आप जानते हैं ये किसी को भी हो सकती है । जानिए क्‍या है ये टॉरेट सिंड्रोम ।

New Delhi, Apr 02 : टॉरेट सिंड्रोम, कुछ महीनों पहले ही इस बीमारी से हमारी जान पहचान हुई है । रानी मुखर्जी की फिल्‍म हिचकी के जरिए लोगों को पता चला कि ऐसा भी कोई सिंड्रोम होता है जिसमें लोगों की आवाज से लेकर चेहरे के हाव-भाव तक बदल जाते हैं । इस फिल्‍म में रानी मुखर्जी ने खुद एक ऐसे शख्‍स का किरदार निभाया है जो इस सिंड्राम से पीडि़त है और बचपन से लेकर अपनी पूरी लाइफ में उसे कितनी मुश्किलों को सामना करना पड़ता है ।

टॉरेट सिंड्रोम क्‍या है
टॉरेट सिंड्रोम हमारे नर्वस सिस्‍टम को प्रभावित करती है । इस बीमारी में व्‍यक्ति अचानक से ही कोई अलग सी हरकत करने लगता है । अजीब तरह की आवाजें निकालने लगता है । इस बीमारी के इन पलों को टिक्‍स कहा जाता है । ये कैसे भी और कभी भी सामने आ सकते हैं । इन पर सिंड्रोम से ग्रसित व्‍यक्ति का कोई बस नहीं चलता । ये उसके लिए एक सामान्‍य प्रक्रिया होता है ।

सिंड्रोम के टिक्‍स
टॉरेट सिंड्रोम से पीडि़त व्‍यक्ति को ये इस तरह से प्रभावित कर सकते हैं । जैसे अपनी पलकों को बार-बार झपकाना, अपना गला साफ करना । या भी अचानक से ही जोर से बोलने लगना । गले से अजीब सी आवाज आना । डॉक्‍टर्स कहते हैं कि इस सिंड्रोम में ऐसा होना सामान्‍य तौर पर छींक आने जैसा है । जिस तरह से आप छींक को काबू में नहीं ला सकते उसी तरह टॉरेट सिंड्रोम के टिक्‍स भी कभी भी हो सकते हें ।

टॉरेट सिंड्रोम का कारण
इस सिंड्रोम के होने का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है । डॉक्‍टर्स के मुताबिक यह एक जटिल तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारी है । जो बचपन में ही शुरू हो जाती है । इस सिंड्रोम के कारक मस्तिष्क के अलग – अलग भागों से जुड़े होते हैं, इसमें बेसल ग्रैंग्लिया नामक क्षेत्र भी शामिल है । ये शरीर में मूवमेंट को कंट्रोल करता है । ये दिमाग को मैसेज देने वाली नर्व्‍स और शरीर में पैदा होने वाले रसायनों को प्रभावित करता है ।

जेनेटिक्‍स हो सकते हैं कारण
ये बीमारी क्‍यों होती है, इसके बारे में नहीं कहा जा सकता लेकिन ये आनुवांशिक हो सकती है इसकी बहुत अधिक संभावना जताई जाती है । वर्तमान जीवनशैली में हमारा वातावरण भी कई बार इसका कारक हो सकता है । ये कोई संक्रामक बीमारी नहीं है जो किसी एक से दूसरे व्‍यक्ति में फैल जाए । शिशुओं में ये आम है । इसलिए इसी उम्र में इसे पहचानना और जानना बहुत जरूरी है ।

लक्षण
टॉरेट सिंड्रोम को कैसे पहचानें, ये भी एक बड़ा सवाल है क्‍योंकि कई बार इसके लक्षण सिर्फ हिचकी आना भी हो सकते हैं । कई बार लक्षण समझने में ही देर हो जाती है । इसके लक्षण जानने के लिए आप बोलने के तरीके, चेहरे या शरीर के हाव भाव पर नजर रख सकते हें । इसके अलावा रोजमर्रा केकामों में कठिनाई महसूस होना, बिलकुल बोल नहीं पाना इसके गंभीर लक्षणों में से एक है ।

टिक्स दो तरह से उभरते हैं
टॉरेट सिंड्रोम के टिक्‍स अचानक से उभरते हैं । ये दो तरह के हो सकते हैं – सिंपल टिक्स, जो अचानक, थोड़े समय के लिए हों और बार-बार होते हैं । इसके अलावा होते हैं कॉम्पलेक्स टिक्स,  ये अलग-अलग और कोऑर्डिनेटेड पैटर्न में होते हें । इसके अलावा कई बार टिक्स के प्रकार, फ्रीक्वेंसी और इनकी गंभीरता की स्थिति अलग होती है । बीमारी, तनाव या किसी चिंता में ये आपको और परेशान कर सकते हैं ।

न्‍यूरोलॉजिस्‍ट से मिलें
अगर आपके बच्‍चे को ऐसे कोई भी लक्षण नजर आ रहे हैं तो सावधान हो जाएं और तुरंत बच्‍चे को न्‍यूरोलॉजिस्‍ट से मिलाने ले जाएं । समय पर इलाज ना मिलने पर बच्‍च्‍े को डिस्लेक्सिया, चिंता, और ओसीडी जैसी प्रॉब्‍लम भी हो सकती है । नब्‍ज का पता जितना जल्‍दी चले उतना अच्छा । ये दवाओं से तभी तक ठीक हो सकती है जब तक समस्‍या छोटी हो ।
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