किन कारणों से होता है गर्भपात, कैसे करें मिसकैरेज से खुद का बचाव, जानें ये जरूरी बातें

जब गर्भ में भ्रूण ठीक तरह से विकसित नहीं हो पाता तो शरीर उसे खुद ब खुद बाहर कर देता है । 40 के बाद की प्रेग्‍नेंसी में मिसकैरेज का खतरा दुगना हो जाता है ।

New Delhi, Aug 07 : प्रेग्नेंसी में कई रिस्‍क होते हैं , इसीलिए बड़े बुजुर्ग कहते हैं जब तक 6 महीने ना बीत जाएं किसी को इसके बारे में बताए नहीं । खैर, ये तो रही अंधविश्‍वास की बात । कई महिलाओं के लिए प्रेग्‍नेंसी वाकई बहुत चैलेंजिंग होती है । कभी – कभी तो गर्भपात से भी गुजरना पड़ता है । ये बहुत ही मुश्किल समय होता है । लेकिन क्‍या आप जानना चाहती हैं इसके कारण क्‍या है । कई बार ये हेल्‍थ बिगड़ने की वजह से या फिर कुछ अंदरूनी कारणों से हो सकता है ।

क्‍यों होता है मिसकैरेज ?
गर्भ ना ठहरना, ठहर कर स्थिर ना रहना, गर्भाशय का कमजोर होना ये सब एक स्थिति है । शुरुआती समय के गर्भपात से बहुत मुश्किल 5 से 6 महीने का गर्भपत होता है । मिसकैरेज, कंसीव करने के 20 वें सप्ताह में देखने को मिलता है । जब गर्भ में भ्रूण ठीक तरह से विकसित नहीं हो पाता तो शरीर उसे खुद ब खुद बाहर कर देता है । 40 के बाद की प्रेग्‍नेंसी में मिसकैरेज का खतरा दुगना हो जाता है ।

मिसकैरेज के लक्षण पहचानें
गर्भपात के लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है । कंसीव करने के बाद लगातार पेट में दर्द रहना , कमर के निचले हिस्से में दर्द महसूस होना प्राइवेट पार्ट से ब्‍लीडिंग होना जैसे इसके शुरुआती लक्षण हैं । ऐसे लक्षण महसूस हो रहे हों तो अपना ध्‍यान ज्‍यादा रखना शुरू कर दें । आगे जानिए आप ऐसे समय में खुद की देखभाल कैसे कर सकती हैं और अपनी गर्भावस्‍था को कैसे स्‍वस्‍थ प्रसव तक ले जा सकती हैं ।

तनाव ना लें
गर्भ धारण के बाद से ही ये जान लें कि आप जो सोचेंगे जैसे रहेंगी वही सब कुछ आपको बच्‍चा भी महसूस करेगा । इसीलिए प्रेग्नेंसी में तनावमुक्त रहना बहुत जरूरी है । स्‍ट्रेस से एकदम दूरी बनाना आपके लिए बहुत जरूरी है । तनाव लेने से मानसिक रूप से आप थक जाती हैं ये आपको शारीरिक रूप से भी कमजोर कर देता है । इसीलिए इस दौरान ज्यादा काम करने से परहेज करें और आराम करें ।

डॉक्‍टर को सब कुछ विस्‍तार से बताएं
बार-बार गर्भपात की परेशानी के पीछे कोई गंभीर समस्‍या हो सकती है, इसलिए डॉक्टर से इस बारे में सलाह जरूर लें । अपनी गायनी से कुछ भी ना छुपाएं । खुल कर बात करें और शारीरिक कमजोरी को दूर करने के बाद ही प्रेग्नेंसी का चांस लें। शिशु की चाहत में खुद की सेहत से खिलवाड़ ना करें । ये आपके लिए जानलेवा भी हो सकता है ।

डायट पर ध्‍यान दें
कंसीव करने से पहले ही अपनी डायट को लेकर सावधान हो जाएं । फास्‍ट फूड को बिलकुल बंद कर दें । सब्जियां,फल,सूप और जूस को अपने रोजमर्रा के आहार का हिस्‍सा बनाएं । एक हैल्दी प्रेग्नेंसी के लिए आपकी लाइफस्टाइल का हैल्दी होना बहुत जरूरी है । कोशिश करें समय पर सोएं, सुबह जल्‍दी उठें, योग, मेडिटेशन आदि का सहारा लें । गर्भावस्‍था में ये बहुत ही आवश्‍यक है । सबसे खास बात कुछ भी परेशानी महसूस होने पर डॉक्‍टर के पास जाने से ना चूकें ।