एक चमत्कारिक गुफा, जिसने रजनीकांत को बनाया फिल्मी दुनिया का मेगास्टार

फिल्म इंडस्ट्री के मेगास्टार रजनीकांत को कौन नहीं जानता। आज हम आपको इनकी जिंदगी के सबसे बड़े राज़ के बारे में आपको बता रहे हैं। पढ़िए ये दिलचस्प खबर

New Delhi, Mar 24: मेगास्टार रजनीकांत …इस नाम को आज पहचान की जरूरत नहीं है। ये बात सच है कि रजनी के फैंस के लिए वो भगवान से कम नहीं। देखा जाता है कि जब भी देश के बड़े शहरों में रजनी कांत की कोई फिल्म रिलीज होती है, तो सिनेमाघर के बाहर उनके दीवानों का हुजूम उमड़ जाता है। एपनी एक्टिंग से ज्यादा रजनी कांत ने अपने स्वभाव की वजह से लोगों के दिलों में जगह बनाई।

दैवीश शक्ति पर भरोसा है
जिन रजनी कांत को उनके फैस भगवान की तरह पूजते हैं, वो रजनी कांत ऊपर वाले की दैवीय शक्ति पर पूरा भरोसा करते हैं। कुमाऊं के अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट में बीते दिनों रजनी कांत आए तो दुनिया के सामने इस अनजान जगह को लाकर रख दिया। दुनिया भर के लोग ये सोचने को मजबूर हैं कि आखिर इन पहाड़ों में ऐसा क्या है कि रजनी कांत पैदल ही यहां चल पड़े।

साल 200 से शुरु हुई कहानी
ये कहानी साल 2000 से शुरू होती है। इस दौर में इस मेगास्टार की हर फिल्म फ्लॉप होती जा रही थी। कहा जाता है कि उसी दौरान वो द्वाराहाट में बने परमहंस योगानंद आश्रम गए। यहां वो संतों की शरण में आए थे। हालांकि खुद रजनी कांत भी नहीं जानते थे कि यहां संतो को मिलने के बाद उनकी जिंदगी में चमत्कारिक बदलाव आएंगे।

यहां आकर गुरू से मिलते हैं
परमहंस योगानंद आश्रम में रजनी कांत के गुरु रहते हैं। उनके गुरु उन्हें आश्रम से कुछ दूर बनी पांडवखोली गुफा में ले गए थे। यहां आकर उनके गुरु ने रजनी कांत के विचलित मन को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने रजनी कांत से इस गुफा में ध्यान लगाने को कहा था। खुद रजनी कांत बताते हैं कि जब वो इस गुफा में ध्यान लगाने बैठे तो उन्हें अद्भुत शक्ति का अहसास हुआ था।

अद्भुत शक्ति के बारे में बताया
इस अद्भुत शक्ति के बारे में रजनी कांत ने आश्रम के संतों को जानकारी दी और इसके बाद वो चेन्नई लौट आए थे। वो वापस लौटे तो उनकी एक के बाद एक फिल्में हिट होने लगी थीं। साल 2005 में चंद्रमुखी फिल्म, 2007 में शिवाजी, 2011 में रोबोट, 2014 में लिंगा और 2016 में कबाली फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा खासा कलेक्शन किया था।

यहीं बसी है अंतरआत्मा
रजनी कांत सुपरस्टार तो हैं, लेकिन ये बात भी सच है कि उनकी अंतरआत्मा परमहंस आश्रम में ही बस गई। ये ही वो वजह थी कि वो दोबारा यहां आए। सिर्फ रजनी कांत अकेले नहीं हैं। उनके दोस्त बीएस हरि ने इस आश्रम के बगल में ही घर बना लिया है। इस बार उनके लिए हेलीकॉप्टर की व्यवस्था भी थी, लेकिन रजनी कांत इस आश्रम तक पैदल ही गए।

खुद किए महावतार दर्शन
रजनीकांत ने हाल ही में बताया था कि उन्होंने खुद महावतार बाबा (लहड़ी) के दर्शन किए। इस वजह से वो यहां योग और ध्यान लगाने आते हैं। पांडवखोली गुफा के बारे में जनश्रुति है कि यहां  200 साल पहले आध्यात्म के ज्ञानी कहे जाने वाले महावतार बाबा (लहड़ी) का निवास था। उन्हें आध्यात्म में महारत हासिल था। जो लोग इस गुफा में जाते हैं वो भी कहते हैं यहां एक अद्भुत शक्ति है।