बच्‍चों में डिप्रेशन के मामले बढ़ रहे हैं, कहीं आपका बच्‍चा भी ?

एग्‍जाम का टाइम चल रहा है, अपने बच्‍चों पर पढ़ाई का इतना बोझ मत डाल दीजिएगा कि कहीं वो डिप्रेशन के शिकार हो जाएं । सिर्फ नंबर्स के लिए बच्‍चों को तंग करना छोड़ दीजिए, वो डिप्रेशन में जा सकते हैं …

New Delhi, Mar 09 : शायद आप ना जानते हों लेकिन भारत में टीनएजर्स सबसे ज्‍यादा डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं । अवसाद उनके अंदर पनप रहा है । अवसाद पनपने के कारण जानकर आप खुद भी हैरान हो जाएंगे क्‍योंकि ज्‍यादातर बच्‍चों में इसका कारण उनके खुद के पैरेंट्स हैं और दूसरे नंबर पर है वो समाज जहां हमें जीना होता है । जिस समाज में हम रहते हैं, जहां हमारे बच्‍चे पढ़ने जाते हैं, खेलने जाते हैं । क्‍या कभी आपने सोचा है आपको बच्‍चा अजीब तरह से बिहेव क्‍यों कर रहा है । क्‍या उसका गुस्‍से में दूसरे कमरे में चले जाना आम बात है ।

मां-बाप करते हैं ये गलतियां
तुम्‍हारे नंबर इतने कम क्‍यों आए, तुम उसके जैसे क्‍यों नहीं हो, तुमसे अच्‍छा तो वो है, फलां के बच्‍चों को भी देखो, ऐसी ना जाने कितनी बाते हैं जो मां बाप अपने बच्‍चों से कहते रहते हैं, बिना ये जाने कि इसका उनपर कितना बुरा असर हो सकता है । बच्‍चों का आत्‍मविश्‍वास टूट जाता है ऐसी बातों से । आप चाहें या ना चाहें ये बातें बच्‍चों को धीरे – धीरे अवसाद के गर्त में ले जाती है, जहां से वापस लाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है ।

टूट जाता है आत्‍मविश्‍वास
बच्‍चे अवसाद के शिकार कब होते हैं, जब उनकी तुलना किसी और से की जाती है, जब उन पर टिप्‍पणी की जाती है । फिर चाहे वो घर के सदस्‍य हों, मां-बाप हों या फिर शिक्षक । ऐसी बातों बच्‍चों का मनोबल तोड़ती हैं । अगर बच्‍चे का बार-बार नाकारा साबित किया जा रहा हो तो वो डिप्रेशन में जा सकता है, किसी चीज पर फोकस नहीं कर पाता है ।

बच्‍चे से बात करें
अगर आप अपने बच्‍चे को इसी तरह के दबाव में रखते हैं तो जाकर उससे बात करें । क्‍या वो रात को ठीक से सो पाता है, इसकी खबर भी रखें । ऐसे बच्‍चे अकेलापन महसूस करते हैं और कुछ गलत कदम उठा लेते हैं । टीवी पर, अखबारों में ऐसी कई चीजें आती रहती हैं, जो कभी ना कभी बच्‍चों को जिंदगी से दूर ले जाती हैं । ऐसी बातों से अपने बच्‍चों को समय पर बचाएं । उनसे बात करें और उन्‍हें समझाएं कि आप उनके माता पिता नहीं बल्कि उनके वो दोस्‍त हैं जिनसे वो कुछ भी शेयर कर सकते हैं ।

डिप्रेशन के ये हो सकते हैं लक्षण
अगर आपको लग रहा है कि आपका टीनएजर बच्‍चा बेचैन रहता है, उसे भूख नहीं लगती, वो हमेशा कमजोरी महसूस करता है, सुस्‍त रहता है, पढ़ाई में कॉन्‍सनट्रेट नहीं कर पाता तो उससे इसकी वजह पूछें । हो सकता है कोई ऐसी बात उसे परेशान कर रही हो जो वो आपको बता ना पा रहा हो । उसे अलग-अलग तरीके से समझने की कोशिश करें ।

पैरेन्‍ट्स नहीं बच्‍चों के दोस्‍त बनें
माता या पिता दोनों में से एक को बच्‍चे का दोस्‍त बनकर रहना चाहिए । बच्‍चे को ऐसा ना लगे कि मां-बाप उसके दुश्‍मन हैं । अगर वो ऐसा सोचेगा तो धीरे-धीरे अवसाद के काले बादल उसे घेर लेंगे । अगर बच्‍चा अपने घर में आराम महसूस नहीं करता तो आपके लिए परेशान होने की बात है । आपका बच्‍चा अवसाद का शिकार ना हो, इसके लिए कदम आपको ही बढ़ाना है ।

सही-गलत में फर्क समझाएं
उसे प्रोत्‍साहित करें, वो जो भी करे उसमें उसका साथ दे । गलत और सही में फर्क समझाएं लेकिन सही तरीके से । बच्‍चे को झिड़ककर उसे दूसरों के उदाहरण देकर आप उसे अवसाद की ओर धकेल रहे हैं । उसे उस दुनिया में झोंक रहे हैं जो उसकी नहीं है । ये ध्‍यान में रखें कि बच्‍चे के आज नंबर अच्‍छे नहीं आए तो क्‍या अगर आप उसके साथ मेहनत करेंगे तो वो अगली परीक्षा में जरूर अच्‍छा करेगा ।