जब लता ने बताई थी सिंदूर लगाने की वजह, पहली रिकॉर्डिंग से पहले छुए शमशाद बेगम-गीता दत्त के पैर

लता मंगेशकर के जीवन से जुड़े इतने अनसुने किस्‍से हैं जिन्‍हें जानने की तमन्‍ना उनके हर फैन में है । जानिए आखिर बिना शादी के भी लता सिंदूर क्यों लगाती थीं ।

New Delhi, Feb 07: लता मंगेशकर, ये एक नाम नहीं भारत की म्‍यूजिक इंडस्‍ट्री की देवी के रूप में पूजी जाने वाली एक ऐसी हस्‍ती हैं, जिनकी आवाज ही उनकी पहचान है । लता दीदी का करियर उनके साथ कलाकारों से काफी लंबा रहा है । वो जैसा गाती थीं, ना उन जैसा और ना ही उनसे बेहतर कोई गा सका है । लता दी के सुनहरे करियर से जुड़ी कई ऐसी बाते हैं जो उनके फैंस जानना चाहते हैं । उनकी पहली रिकॉर्डिंग से जुड़ी बातें, वो सिंदूर क्‍यों लगाती थीं, कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब हर कोई जानना चाहता है । एक्‍ट्रेस तबस्‍सुम ने उनसे जुड़े कई राज खोले हैं ।

पहली मुलाकात को किया याद
हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री की जानी मानी वेटरन एक्‍ट्रेस तबस्सुम ने आजतक से बातचीत में बताया कि, ये उनकी खुशकिस्मती है कि जब लता जी अपने पहले हिंदी गाने से डेब्यू कर रही थीं, तो वो वहां मौजूद थीं । तबस्‍सुम बताती हैं कि, इस फिल्म का नाम lata mangeshkar (3) था, बड़ी बहन जिसका म्यूजिक हुस्न लाल भगतराम ने दिया था । गाने के बोल थे चुप-चुप खड़े हो, जरूर कोई बात है, पहली मुलाकात है ये पहली मुलाकात है । इस दौरान शमशाद बेगम, गीता दत्त भी वहां मौजूद थीं । वो बताती हैं कि तब रिकॉर्डिंग बिलकुल पारिवारिक तौर पर हुआ करती थी । जब लाता दीदी अपनी रिकॉर्डिंग के लिए आगे गईं, तो उन्होंने गीता दत्त और शमशाद बेगम जी के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लेकर वो गाना गाया।

सिंदूर लगाने की कहानी
एक सवाल का जवाब जो सब जानना चाहते हैं, वो ये कि लता जी सिंदूर क्यों लगाती थीं । तबस्‍सुम जी ने इसका भी जवाब दिया । उन्‍होंने बताया कि, जब मैं बड़ी हो गई थी, तो एक दफा मैंने लता जी से एक सवाल किया था कि दीदी आप तो कुंवारी लता जी हैं, आपकी शादी तो हुई नहीं हैं..आप श्रीमती लगाती नहीं. तो जवाब में भी उन्होंने कहा कि हां, मैं तो कुंवारी लता मंगेशकर हूं.तो मैंने पूछ लिया कि दीदी जो आपकी मांग में सिंदूर है, वो फिर किसके नाम का है, तो उन्होंने जवाब दिया कि संगीत के नाम का है । आप ही बताएं कि ये कितनी गहरी बात है ।

लाइव शोज की यादें
तबस्सुम ने बताया कि आगे चलकर उन्‍हें लता जी के साथ कई लाइव शोज करने का भी मौका मिला । लता जी अपने हुनर की कितनी पक्‍की थीं इस बात का एक उदाहरण देते हुए तबस्‍सुम बताती हैं कि, मुझे याद है कि कोलकाता के नेताजी सुभाष ऑडिटोरियम में इतनी भीड़ थी कि जहां मैं खुद सहम गई थी ।  इसी बीच मैंने डर से उनके लिए गलत गाना अनाउंस कर दिया । अगर वहां लता जी की जगह कोई और होता, तो जरूर कहता कि नहीं ये गाना नहीं, मुझे ये गाना गाना था लेकिन यकीन मानें, उन्होंने वो गाना ही गाया, जिसे मैंने अनाउंस किया था । किसी को एहसास नहीं होने दिया कि मैंने गलत गाना अनाउंस किया है । हालांकि समय के साथ तबस्सुम भी लता जी के संपर्क में नहीं रहीं । तबस्सुम उनकी बहन उषा मंगेशकर के लगातार संपर्क में रहीं और उनसे जब बात करने की इच्छा होती थी, वो उषा के ज़रिए लता जी से बातें कर लेती थीं ।