अगर अटल ना होते, तो कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पाते नरेन्द्र मोदी, अमेरिका से ऐसे बुलाया था दिल्ली

मुलाकात करने के बाद अटल जी ने नरेन्द्र मोदी से कहा ऐसे भागने से काम नहीं चलेगा, कब तक यहां रहोगे ? आओ, आप दिल्ली आकर मुझसे मुलाकात करो।

New Delhi, Aug 18 : कम ही लोगों को पता है कि अगर अटल बिहारी वाजपेयी ने मोदी को समझाया नहीं होता, तो शायद वो प्रधानमंत्री बन इस देश की सेवा नहीं कर पाते। बताया जाता है कि मोदी राजनीतिक जीवन को त्याग कर अज्ञातवास में चले गये थे। उन दिनों वो अमेरिका में रह रहे थे। तभी तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी अमेरिका दौरे पर पहुंचे थे। जब अटल जी को पता चला कि मोदी भी राजनीतिक अज्ञातवास यहीं पर काट रहे हैं, तो उन्होने तुरंत उन्हें मिलने के लिये बुलाया।

भागने से काम नहीं चलेगा
अटल बिहारी वाजपेयी जब अमेरिका दौरे पर थे, तो किसी ने उन्हें बता कि नरेन्द्र मोदी भी इन दिनों अमेरिका में ही रह रहे हैं, जिसके बाद उन्होने तुरंत मोदी को मिलने के लिये बुलाया। मुलाकात करने के बाद अटल जी ने मोदी से कहा ऐसे भागने से काम नहीं चलेगा, कब तक यहां रहोगे ? आओ, आप दिल्ली आकर मुझसे मुलाकात करो।

संगठन मंत्री बनाकर गुजरात भेजे गये
जब मोदी दिल्ली पहुंचे, तो अटल जी ने उन्हें संगठन मंत्री बनाकर गुजरात भेज दिया था, लेकिन ये दौर गुजरात बीजेपी में कलह का दौर था। तब गुजरात में केशुभाई पटेल और शंकर सिंह बाघेला पर गुटबाजी करने का आरोप लग रहा था, जब मोदी गुजरात पहुंचे, तो उन पर आरोप लगाया गया, कि वो केशुभाई पटेल के विरोधियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिसके बाद अटल जी ने मोदी को दिल्ली बुला लिया।

बीजेपी ऑफिस में कमरा मिला
वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी की किताब हार नहीं मानूंगा- अटल एक जीवन गाथा के 12वें अध्याय में इस घटना का जिक्र किया गया है, विजय त्रिवेदी ने मोदी के एक खास दोस्त के हवाले से लिखा है कि गुजरात से जब मोदी को दिल्ली बुलाया गया था, तो उन्हें बीजेपी के पुराने ऑफिस 11, अशोक रोड में एक कमरा दे दिया गया था, साथ ही उन्हें संगठन को मजबूती देनी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिस कमरे में मोदी रहते थे, उसमें फर्नीचर के नाम पर एक तख्त और दो कुर्सियां रखी रहती थी।

सीएम बनाने के लिये किया फोन
फिर अक्टूबर 2001 की एक सुबह माधव राव सिंधिया का प्लेन क्रैश में निधन हो गया, जिसमें एक मीडियाकर्मी भी चल बसे थे, उसी मीडियाकर्मी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये मोदी दिल्ली के एक श्मशान में मौजूद थे, तभी उनके फोन की घंटी बजी, और अटल दी ने मोदी को मिलने के लिये बुलाया, ये दौर बीजेपी में अटल-आडवाणी के बाद प्रमोद महाजन, अरुण जेटली और सुषमा स्वराज का दौर था, इन नेताओं का बोलबाला था, केशुभाई पटेल की छवि गुजरात में सुस्त और रिश्तेदारों और चापलूसों से घिरे रहने वाले नेता की बन गई थी।

मोदी को सीएम बनाकर भेजा
गुजरात में बीजेपी पिछड़ रही थी, म्युनिसिपल कॉरपोरेशन चुनाव के अलावा उपचुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा था, एक साल बाद विधानसभा चुनाव होना था, जिसके बाद आडवाणी के कहने पर अटल जी ने मोदी को सीएम बनाने का फैसला लिया, 7 अक्टूबर 2001 को अटल-आडवाणी ने उन्हें आशीर्वाद देकर सीएम पद का शपथ लेने के लिये कहा, उसके बाद नरेन्द्र मोदी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। चार बार सीएम रहने के बाद 2014 में देश की जनता ने उन्हें प्रधानमंत्री चुना।