आईपीएस संतोष मिश्रा ने बताया कि वो मूल रुप से बिहार के पटना जिले के रहने वाले हैं, उनके पिता लक्ष्मण मिश्रा आर्मी से रिटायर्ड हैं, मां हाउस वाइफ हैं।
New Delhi, Jan 17 : मूल रुप से बिहार के रहने वाले 2012 के आईपीएस अधिकारी संतोष मिश्रा की दूसरी पोस्टिंग यूपी के अंबेडकर नगर जिले में हुई है, संतोष मिश्रा ने साल 2011 में यूएस में इंजीनियर की नौकरी छोड़ समाज के लिये कुछ करने की ठानी, उन्होने 50 लाख रुपये के पैकेज की नौकरी छोड़ सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरु की और पहली ही कोशिश में देश के सबसे बड़े एग्जाम को पास कर लिया। उनकी पहली पोस्टिंग अमरोहा जिले में थी, अब वो एसपी बनकर अंबेडकर नगर आये हैं।
बिहार के रहने वाले हैं आईपीएस अधिकारी
संतोष मिश्रा ने बताया कि वो मूल रुप से बिहार के पटना जिले के रहने वाले हैं, उनके पिता लक्ष्मण मिश्रा आर्मी से रिटायर्ड हैं, मां हाउस वाइफ हैं, उनकी तीन बहनें भी हैं। आईपीएस अधिकारी ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा बिहार से ही पास किया, फिर पुणे यूनिवर्सिटी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया।
विदेश में की नौकरी
बीटेक पूरा करने के बाद उनका सलेक्शन यूरोप की एक कंपनी में हो गया, 4 साल यूरोप में नौकरी करने के बाद उन्होने फिर यूएस में नौकरी शुरु की, करीब सात साल तक उन्होने न्यूयॉर्क, यूरोप और भारत में 50 लाख के सलाना पैकेज पर काम किया, लेकिन वहां उनका मन नहीं लग रहा था, वो देश वापस लौटना चाहते थे।
देश सेवा की ठानी
संतोष मिश्रा ने बताया कि बचपन से ही उन्होने अपने पिता को आर्मी के ड्रेस में देखा था, तब से ही उनके मन में देश सेवा का भाव था, फिर उन्होने साल 2011 में यूएस से नौकरी छोड़ भारत आ गये, और सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरु की। एक साल तैयारी करने के बाद उन्होने सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया, पहले ही अटेम्ट में उन्होने देश के सबसे बड़े एग्जाम को पास कर लिया।
पहली पोस्टिंग अमरोहा
एसपी के तौर पर संतोष मिश्रा की पहली पोस्टिंग अमरोहा थी, इस जिले में लॉ एंड ऑर्डर को पटरी पर लाना उनकी बड़ी जिम्मेदारी थी, हालांकि अपने यूनीक स्टाइल की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहते थे, क्योंकि वो अक्सर सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी वालों के साथ भी बात करते हुए देखे जाते थे।
5वीं का छात्र पहुंचा था शिकायत करने
आईपीएस अधिकारी ने एक दिलचस्प किस्सा बताते हुए कहा कि अमरोहा जिले में पहली पोस्टिंग के दौरान एक 5वीं का छात्र उनके पास शिकायत लेकर पहुंचा, कि उसका दोस्त 15 दिनों से स्कूल नहीं आ रहा। मुझे उस बच्चे की बात अच्छी लगी, हालांकि थोड़ी चिंता भी हुई, मैने उस बच्चे का पता किया, तो पता चला कि वो मिठाई की दुकान पर काम करने जाता है, इसी वजह से स्कूल नहीं आता ।
बच्चे के पिता से की बात
उस छोटे बच्चे की शिकायत के बाद मैंने उसके फादर से बात की, कि वो अपने बच्चे को स्कूल क्यों नहीं भेज रहे, तो पता चला कि वो बच्चा मिठाई की दुकान पर काम करता है, तो मैंने उस बच्चे के पिता से कहा कि वो अपने बच्चे को जरुर पढाए, फिर घर वालों ने भी कहा कि हां वो जरुर बच्चे को स्कूल भेजेंग, इस तरह 5वीं के छात्र की शिकायत से एक बच्चा स्कूल जाने लगा।
खाली समय में पढाते हैं बच्चों को
संतोष मिश्रा की अक्टूबर 2017 के बाद पोस्टिंग अंबेडकर नगर जिले में हुई, तब से वो समय निकालकर सरकारी स्कूल के गरीब बच्चों को पढाते हैं, कुछ दिन पहले ही वो एक प्राइमरी स्कूल में पहुंचे, जहां पर चौथी क्लास के बच्चों ने जलेबी खाने की इच्छा जताई, तो उन्होने स्कूल में ही जलेबी मंगवाई। संतोष मिश्रा ने बच्चों को पहले पढाया, फिर उनके साथ बैठकर जलेबी खाई, उन्हें जब भी समय मिलता है, वो स्कूल पहुंच बच्चों को पढाने लगते हैं।
समाज के लिये कुछ करना है
युवा आईपीएस अधिकारी संतोष मिश्रा ने कहा कि क्राइम और लॉ एंड ऑर्डर को संभालना तो मेरा कर्तव्य है, लेकिन इसके साथ ही समाज में रहकर इस समाज के लिये कुछ करना भी चाहता है, ताकि ये समाज बेहतर दिशा में जाए। शायद इसी वजह से उन्हें जब भी समय मिलता है, छोटे बच्चों के स्कूल में पहुंच जाते हैं, ताकि उनके साथ कुछ समय बिता सकें।