असली फाइटर है ये लड़का, परिवार वाले डॉक्टर बनाना चाहते थे, उससे भी बड़ा काम किया

सही मायनों में कहें तो ये लड़का अपनी जिंदगी का भी असल फाइटर है। परिवार वाले इसे डॉक्टर बनाना चाहते थे पर इस लड़के ने उससे भी बड़ा काम किया है।

New Delhi, Mar 26: बचपन में ही बच्चे कई ख्वाब बुनते हैं। कोई डॉक्टर बनने के सपने देखता है, कोई इंजीनियर, कोई खेलों में कुछ नाम कमाना चाहता है, कोई कला के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता है। लेकिन कुछ ही बिरले लोग ऐसे होते हैं, जो अपने सपनों के रास्ते पर चलते हैं और पूरा करके ही दम लेते हैं। आज हम आपको असल जिंदगी के एक फाइटर की कहानी बताने जा रहे हैं।

बचपन से ना फाइटिंग का शौक
एक नाम है जो हिंदुस्तान में मिक्स मार्शल आर्ट्स को नए मुकाम पर ले जा रहा है, वो नाम है अंगद बिष्ट। रुद्रप्रयाग के चिंग्वाड़ गांव का लड़का अब सुपरस्टार बन गया है।  फ्री स्टाइल फाइट में अगद बिष्ट अब तक 3 प्रतियोगिताओं को जीत चुके हैं। एमेच्योर फाइट में वो 8 मैच लगातार जीते हैं। हाल ही में नेशनल लेवल की फाइट में जीत हासिल की है और अपने गांव, अपने प्रदेश का नाम रोशन किया है।

अपने जुनून के पीछे भागे
अंगद के माता-पिता चाहते थे कि वो मेडिकल लाइन में जाएं, लेकिन अंगद ने अपने जुनून का पीछा किया। शरीर को मजबूत बनाया, फाइटिंग के लिए खुद को तैयार किया और आज उस मुकाम पर हैं, जहां हर कोई पहुंचने के सपने देखता है। अंगद ने मेडिकल की पढ़ाई छोड़ी और आज देश के टॉप फाइटर्स में उनका नाम बड़ी शान से लिया जाता है।

ये है अंगद की जिंदगी
मूल रुप से अंगद धनपुर पट्टी के चिंग्वाड गांव के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि अपने बनाए रास्ते पर चलिए और मेहनत कीजिए। अंगद ने MMA यानी मिक्स मार्शल आर्ट्स फाइट के लिए दिन रात तैयारियां की और इसी का नतीजा है कि आज तक वो कोई भी मुकाबला नहीं हारे हैं। अब तक अंगद करीब 11 मुकाबले खेल चुके हैं और एक भी मैच नहीं हारे।

स्वागत हुआ तो भावुक हुए
अंगद अपने घर पहुंचे तो उनका ऐसा स्वागत किया गया, जिसकी खुद उन्होंने भी कल्पना नहीं की थी। इस दौरान अंगन ने बड़ी बातें बताई। अंगद शरीर के साथ-साथ दिमाग से भी रिंग में फाइट लड़ते हैं।रुद्रप्रयाग और दून में पढ़ाई करने के बाद अंगद ने मुंबई का रुख किया था। वहीं उन्होंने अपनी जिंदगी के लिए नई राह तलाशी। उन्होंने प्रोफेशनल फाइटिंग में ही अपना भविष्य देखा।

अंगद का कोई जवाब नहीं
खास तौर पर मिक्स मार्शल आर्ट्स में अंगद का कोई जवाब नहीं। रुद्रप्रयाग के JNV से 12वीं की पढ़ाई करने के बाद अंगद बिष्ट ने देहरादून में कोचिंग की थी। यहां से वो दिल्ली चले गए। इसके बाद मिक्स मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग लेने के लिए वो बैंगलुरु और मुंबई गए। अंगद के पिता मोहन सिंह कहते हैं कि बचपन से ही अंगद को फाइटिंग का शौक था।

हर बार दिखाया दम
अंगद ने इसके अलावा प्रो मिक्स मार्शल आर्ट में अपना दम दिखाया है। वो अब प्रोफेशनल फाइटिंग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करना चाहते हैं और भारत में फाइटिंग के नए आयाम स्थापित करना चाहते हैं। इस फाइटर की अब देशभर में तारीफ हो रही है और युवाओं के लिए ये किसी रोल मॉडल से कम नहीं है।