शब्‍दों के जादूगर अटल बिहारी ने जब ली थी चुटकी, बोले – अब तो इंदिरा मुझे बड़े प्यार से देखती हैं

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने पीछे छोड़े गए हैं अपना विराट व्‍यक्तित्‍व और ऐसे कई किस्‍से जो लोगों के चेहरे पर उनके रोचक व्‍यक्तित्‍व की छाप छोड़ते हैं । धीर-गंभीर लेकिन हमेशा मुस्‍कुराने वाली ऐसी ही शख्सियत थे अटल जी ।

New Delhi, August 17 : 93 वर्षीय अटल जी आज पंचतत्‍व में विलीन होने जा रहे हैं । दशकों तक एक राजनेता के रूप में जनता के लोकप्रिय नेता रहे अटल जी का जीवन एक खुली किताब जैसा रहा । उन्‍होने स्‍वयं के बारे में कुद भी छुपा नहीं रहने दिया । बात उनकी निजी जिंदगी की हो या राजनीतिक जीवन की, वो हमेशा एक खुली किताब की ही तरह रहे । उन्‍हें लोग अटल कहते हैं, उनका नाम अटल था इसलिए नहीं, उनके चारित्रिक गुण भी उनके नाम समान ही थे ।

अटल जी से जुड़े रोचक किस्‍से
भारत को बहुत नजदीक से जानने वाले, राजनीति की गहरी पकड़ रखने वाले, लोकतंत्र की पूजा करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी की छवि कभी किसी विशेष रूप में बंधी नहीं रही । वे गंभी भी थे तो वहीं बेहद चुटीले, हाजिर जवाब भी । ‘भारत रत्न’ अटल जी के व्‍यक्तित्‍व के ऐसे कई रूप सामने आते है जब उनसे जुड़े किस्‍से सामने आते हैं । ये किस्‍से अटल जी की छवि को बयां करते हैं ।

जब नेहरू जी भी ठहाका मार कर हंस पड़े थे
अटल बिहारी वाजपेयी के बोलने के अंदाज से स्‍वयं पंडित जवाहर लाल नेहरू भी प्रभावित थे । एक दफा उन्‍होने ही कई कांग्रेसियों को चुप रहकर अटल जी को सुनने के लिए कहा था, तब उन्‍होने कहा था कि इस व्‍यक्ति को ध्‍यान से सुनो, ये आने वाले समय में भारत का प्रधानमंत्री बनेगा । ऐसा ही एक किस्‍सा है जब सदन में पंडित जी की जनसंघ पर आलोचनात्मक टिप्पणी सुनते ही अटल जी ने प्रत्युत्तर में कहा, ‘मैं जानता हूं कि पंडित जी रोजाना शीर्षासन करते हैं। वे शीर्षासन करें। मुझे कोई आपत्ति नहीं, लेकिन मेरी पार्टी की तस्वीर उल्टी न देखें। यह सुनना था कि पंडित नेहरू सदन में ठहाका मारकर हंसने लगे।

इंदिरा के लिए कहे थे ये शब्‍द
वहीं 1971 के लोकसभा चुनाव में जब जनसंघ सांसदों की संख्या 35 से घटकर 22 रह गई, तब हाई कोर्ट के वकील रहे डॉ. नारायण माधव घटाटे ने अटल जी से पूछा था । बताएं इंदिरा जी की क्या प्रतिक्रिया है? तब अटल जी हंसकर बोले थे , ‘अभी तो हमारी तरफ बहुत प्यार से देखती हैं। अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी भी शब्‍दों की मर्यादा का उल्‍लंघन नहीं किया । वो जो भी कहते मर्यादित शब्‍दों में कहते, किसी को फटकार भी लगानी होती तो उसी प्रकार लगाते ।

जब जेल गए थे अटल बिहारी वाजपेयी
इंदिरा गांधी से जुड़ा एक किस्‍सा और भी है, जिसे याद किया जाता है । 1975-76 की इमरजेंसी के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी को जेल भेज दिया गया था । उनके करीबी रहे अधिवक्‍त डा. नारायण माधव घटाटे उनसे मिलने पहुंचे । उस समय जेल में लालकृष्ण आडवाणी, श्यामानंद मिश्र और मधु दंडवते भी नजरबंद थे । वाजपेयी जी को जेल के कपड़ों में देखकर माधव घटाटे को अजीब लगा । उनके मुंह से बस यही निकला-यह क्या है? तब अटल जी के चेहरे पर एक मुस्‍कान तैर गई, वो बोले-बस इंदिरा गांधी कपड़े पहनाएगी, इंदिरा गांधी खाना खिलाएगी। हम अपनी जेब से कानी कौड़ी भी खर्च नहीं करेंगे।