ऑटो ड्राइवर की बेटी बनी टॉपर, कभी सिर्फ 500 रुपये में चलता था घर का खर्च

ऑटो ड्राइवर की बेटी टॉपर बन गई तो हर कोई हैरान रह गया। इस बेटी के पूरे घर का खर्च कभी सिर्फ 500 रुपये महीना था। आप भी पढ़िए ये शानदार खबर

New Delhi, Mar 01: कहते हैं कि अगर रास्ते हैं तो मंजिलें हैं, मंजिलें हैं तो हौसला है, हौसला है तो विश्वास है और विश्वास है तो जीत है। जिंदगी में फाइटर बनना सीखिए, जी हमेशा आपको ही मिलेगी। एक बेटी ने भी कुछ ऐसी ही कहानी लिखी है। जिंदगी की हर लड़ाई को पार कर आज ये बेटी टॉपर बनी तो पूरा देश एक सुर में बोला कि बेटियां सच में किसी से भी कम नहीं हैं।

सलाम है इस बेटी को
दून के नेहरू कॉलोनी की रहने वाली हैं पूनम टोडी। उन्होंने पीसीएस-J की परीक्षा में टॉपर बनने का गौरव हासिल किया है। ये जवाब है, उन लोगों को जो सोचते हैं कि बेटियां बेटों से कमजोर होती हैं। वो कमजोर नहीं होती बल्कि ऐसे लोगों की सोच कमजोर होती है, जिन्होंने बेटियों को आज तक किसी भी लायक नहीं समझा। पूनम टोडी के घर के हालात जानेंगे तो हैरान हो जाएंगे।

पिता ऑटो चलाते हैं
पूनम के पिता का नाम अशोक टोडी है। अशोक टोडी पेशे से ऑटो ड्राइवर हैं। अशोक टोडी दिन भर में ऑटो चलाकर 400 रुपये कमा पाते हैं। इसी खर्च में पत्नी, दो बेटियों और दो बेटों का पेट पालना होता है। आप खुद सोचिए कि इतनी से कमाई में किस तरह से अशोक टोडी ने घर चलाया होगा ? इस परिवार को देखकर क्या आप अभी भी असुविधाओं का रोना रोएंगे ?

जिंदगी में हार नहीं मानी
अशोक टोडी कभी हारे नहीं, उन्होंने अपने खर्च कम किए और बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का प्रण लिया। अशोक कहते हैं कि बच्चे ही उनके जीवन की असल पूंजी हैं। पूनम ने उनका सिर फक्र से ऊंचा करने का काम किया है। पूनम की मां लता कहती हैं कि उन्हें पूनम पर गर्व है। पूनम ने उन लोगों को भी करारा जवाब दिया है, जो बच्चों पर पढ़ाई को बोझ डालते हैं।

स्कूल में कभी टॉप नहीं किया
पूनम पहले से ही पढ़ने में कोई टॉप करने वाली छात्रा नहीं रही, लेकिन जिंदगी की असल परीक्षा में वो टॉप कर गईं। उन्होंने दसवीं क्लास एमकेपी से पास की थी। इस परीक्षा में उन्हें 54 फीसदी अंक मिले। इसके बाद बारहंवी में 61 फीसदी अंकों के साथ उन्होंने पास किया। इसके बाद डीएवी कॉलेज से उन्होंने यूजी, पीजी और फिर लॉ की पढ़ाई की।

अब दिखाया हुनर का दम
फिलहाल पूनम एसआरटी, बाहशाहीथौल से एलएलएम कर रही हैं। पूनम ने पीसीएस को अपना लक्ष्य बनाया। वो कहती हैं कि ये उनका तीसरा अटेम्प्ट था। इससे पहले भी वो दो बार इंटरव्यू तक पहुंच चुकी हैं लेकिन असफल रहीं। इन असफलताओं से वो हारी नहीं। सीमित संसाधन, तंग हालात और जिंदगी के तमाम उतार-चढ़ाव के बीच चौथी बार पूनम ने जीत हासिल की।

ऐसा है पूनम का परिवार
पूनम की बड़ी बहन शीतल की शादी हो चुकी है। बड़े भाई चंदन का अपना काम है और छोटा भाई राजीव पत्रकारिता कर रहा है। परिवार के सभी लोगों ने अपने खर्च में कटौती की और बस ये ही दुआ की थी कि पूनम जज बन जाए। आज पूनम देश की हर बेटी के लिए प्रेरणा बन गई हैं। एक ऑटो ड्राइवर की बेटी ने पीसीएस-जे की परीक्षा का टॉपर बन कर दिखाया।