देश के पहले CDS थे बिपिन रावत, अब कैसे होगी अगली नियुक्ति? देश को क्यों पड़ी इस पद की जरूरत?

जनरल बिपिन रावत देश के पहले सीडीएस थे, उनसे पहले ये पद मौजूद ही नहीं था । आखिर क्‍यों इस पद को बनाने की जरूरत पड़ी और क्‍या होगा अब इस पद पर नियुक्ति का प्रोसेस आगे पढ़ें ।

New Delhi, Dec 09: साल 2019 के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में पहली बार सीडीएस पद की घोषणा की थी । पीएम मोदी ने पद का ऐलान करते हुए कहा था कि सीडीएस सेना के तीनों अंगों थलसेना, वायुसेना और नौसेना के अध्यक्षों से वरीयता क्रम में सबसे ऊपर होगा । इसके बाद जनवरी 2020 में थलसेना अध्यक्ष पद से रिटायर होते ही बिपिन रावत को पहला सीडीएस बनाया गया था । आपको बता दें इस पद को बनाने का प्रस्‍ताव 1999 में करगिल युद्ध के समय आया था ।

सबसे ऊपर है सीडीएस का पद
सेना के तीन अंगों के प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ व्यक्ति सीडीएस होता है, चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ । सीडीएस के काम की बात करें तो उसकी बुनियादी भूमिका सेना, नौसेना, वायुसेना के बीच कामकाजी समन्वय बढ़ाने की दिशा में काम करने और जरूरत के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा को देखने की होती हैउ । सीडीएस प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के लिए महत्वपूर्ण रक्षा व सामरिक मुद्दों पर सैन्य सलाहकार की भूमिका भी निभाता है ।

कैसे होती है सीडीएस की नियुक्ति?
भारत में सीडीएस एक चार स्टार सैन्य अधिकारी होता है, जो भारतीय सेनाओं के तीनों अंगों के अधिकारियों में से चुना जाता है । इस पद पर सर्व करने वाला तीनों सेनाओं के चीफ में ‘फर्स्ट अमंग द इक्वल’ होने के बावजूद रक्षा मंत्री का सिंगल प्वाइंट एडवाइजर होता है । सीडीएस की मदद के लिए वाइस चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की पोस्‍ट भी है । इसके अलावा सीडीएस रक्षा मंत्रालय के अधीन डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स का हेड भी होता है और उनका सचिव भी होता है । इसके अलावा वो चीफ ऑफ द स्टाफ कमेटी के स्थाई अध्यक्ष भी होते हैं ।

कितना अहम है पद, क्‍यों पड़ी इस पद की जरूरत?
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद हाईब्रिड वारफेयर की दुनिया में सबसे अहम माना जाता है । इस पद की वजह से सेनाओं में आपसी सामंजस्य बिठाने में मदद मिलती है । खास तौर पर देश की तीनों सेनाओं की संयुक्त युद्ध रणनीति में भी इसका बड़ा योगदान है । बिपिन रावत की नियुक्ति के पहले तक भारत दुनिया के सबसे बडे़ लोकतांत्रिक देशों में इकलौता था जहां पर सीडीएस की नियुक्ति नहीं हुई थी । देश में तीनों सेनाओं के बीच सामन्जस्य समेत सैन्य सुधारों को ठीक तरीके से लागू करने के लिए सीडीएस पद की जरूरत को महसूस किया जा रहा था, इसी वजह से ये पद बिपिन रावत कौ सौंपा गया ।