पारंपरागत खेती से अलग अब किसानों का रुख मशरूम की खेती की ओर है । जानें मशरूम सी कौन सी किस्म है जिसकी खेती आप कहीं भी शुरू कर सकते हैं ।
New Delhi, Nov 04 : नौकरी पाने की अंधी दौड़ में शामिल युवाओं को अब खेती में भी रोजगार का अच्छा जरिया नजर आ रहा है । आयुर्वेदिक औषधियों की बढ़ती डिमांड, मशरूम की खेती से जुड़ी रोचक बातें उन्हें इस ओर आकर्षित कर रही हैं । अगर इस बारे में आप जानकारी इकठ्ठी कर रहे हैं तो हम आपको बता दें मशरूम की एक किस्म है जिसकी खेती कम लागत में अच्छा मुनाफा दे सकती है । ये किस्म है बटन मशरूम जिनकी खपत भारत में तेजी से बढ़ रही है ।
मिनरल्स और विटामिन्स से भरपूर
मशरूम की एक आम किस्म है बटन मशरूम । पोषक तत्वों से भरपूर मशरूम रोजगार का एक बेहतरीन साधन हो सकता है । खास बात ये कि इसकी खेती बड़ी आसानी से छोटी सी जगह पर की जा सकती है । आप थोड़ी सी जगह में झोपड़ी बनाकर इसकी खेती शुरू कर सकते हैं । फुटकर बाजार में अभी मशरूम की अच्छी खासी डिमांड है ।
300 से 350 रुपए किलो
थोक में मशरूम बताई गई कीमत से 40 फीसदी तक कम ही मिलता है । शहरों में इसकी डिमांड खूब है । हेल्थ से भरपूर मशरूम स्वाद में भी अच्छे होते हैं । बच्चे इन्हें बेहद पसंद करते हैं । नॉनवेज ना खाने वालों के लिए मशरूम, पनीर की ही तरह एक रिच इंग्रीडिएंट है जिसका इस्तेाल कई तरह के व्यंजन बनाने में हो सकता है ।
50 हजार लागत पर ढाई लाख का मुनाफा
4 से 5 क्विंटल कंपोस्ट खाद बनाकर उसपर कम से कम 2000 किलो बटन मशरूम की खेती की जा सकती है । एक क्विंटल कम्पोस्ट में बटन मशूरम के डेढ़ किलो बीज लगते हैं । जिसकी बाजार में कीमत 200 से 250 रुपए किलो होती है । अब अगर साल में 2000 किलो मशरूम की पैदावार हो और इसे थोक के निम्नतम रेट 150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से भी बेचा जाए तो 3 लाख रुपए हाथ में होते हैं ।
कैसे होती है खेती ?
अक्टूबर से नवंबर का महीना मशरूम की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय है । पूरी सर्दी में इसका उत्पादन किया जा सकता है । अगर आपके पास तापमान एडजस्ट करने वाली सुविधाएं हैं तो आप वर्षभर इसका उत्पादन कर सकते हैं । मशरूम की खेती के लिए आपको कंपोस्ट बनाना होता है जिसके लिए धान की पुआल का प्रमुखता से इस्तेमाल होता है । धान की पुआल में दूसरी चीजों का इस्तेमाल कर कंपोस्ट तैयार करते हैं ।
ऐसे तैयार होता है कंपोस्ट
एक दिन तक धान की पुआल को भिगोकर रखें अब इसमें डीएपी, यूरिया, पोटाश और गेहूं का चोकर मिलाएं । साथ में जिप्सम, कैल्शियम और कार्बो फ्यूराडन मिला कर 30 दिन के लिए सड़ने के लिए छोड़ दें। 4 से 5 दिन में इसे पलटते रहें, 15 दिन बाद नीम की खली और गुड़ का पाक या शीरा मिला दें । एक महीने बाद इसमें बाविस्टीन और फार्मोलीन छिड़के और तिरपाल से 6 से 7 घंटों के लिए डक दें । कंपोस्ट इस्तेमाल के लिए तैयार है ।
खेती के लिए ऐसे करें बीजारोपण
मशूरम की खेती के लिए कंपोस्ट के साथ गोबर और मिट्टी को बराबर मात्रा में मिलाकर तैयार करें । लेयर में खेती करने के लिए पहले गोबर और मिट्टी की परत लगाएं फिर इस पर कंपोस्ट की परत लगाएं । अब इस पर मशरूम के बीज लगाएं, और ऊपर से कंपोस्ट की डेढ़ इंची परत लगाएं । नमी का स्तर सही बनाकर रखें और तापमान 20 डिग्री रखें । कुछ ही समय में खूबसूरत बटन मशरूम मिट्टी से बाहर दिखने लगते हैं ।
मशरूम की तुड़ाई
मशरूम मिट्टी से बाहर दिखते ही 2-4 दिन बाद बड़े होकर तोड़ने लायक हो जाते हैं । जब इनका ऊपरी हिस्सा 3-4 से.मी हो जाए तो इसे तोड़ लेना चाहिए । इन्हें तोड़कर 2-3 दिन तक फ्रिज में रख सकते हैं । लम्बे समय तक आप मशरूम को स्टोर करना चाहते हैं तो इन्हें नमक के पानी में डुबोकर रखें । मशरूम की फसल तुरंत बेचने लायक हो जाती है ।
अच्छी आमदनी का जरिया है मशरूम
बटन मशरूम की पैदावार में प्रति किलोग्राम कम से कम 25-35 रुपये प्रति किलोग्राम की बचत होती है। मंडियों में मशरूम के अच्छे दाम न मिलने के चलते किसान मशरूम को बड़े व्यापारियों और बेकरियों में बेचते हैं । इससे उन्हें दुगनी कमाई का मौका मिलता है । मशरूम की खेती अब भारत के पहाड़ी इलाकों में तेजी से अपनाई जा रही है ।