राष्ट्रपति -उपराष्ट्रपति के इस कदम से टूटी पुरानी परंपरा और प्रोटोकॉल, विदेश मंत्रालय पर उठे सवाल

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मध्य एशिया के तीन देशों साइप्रस, बुल्गारिया और चेक रिपब्लिक के दौरे पर थे, वो रविवार रात ही देश वापस लौट आये।

New Delhi, Sep 10 : राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति एक साथ देश से बाहर यात्रा पर हैं, एक साथ दोनों महामहिम के विदेश यात्रा पर होने की वजह से विदेश मंत्रालय में राजनयिक कैलेंडर की अनदेखी का मसला उठने लगा है। आपको बता दें कि विदेश मंत्रालय ऐसे दौरों के कार्यक्रम तय करता हैं। पुरानी परंपरा और प्रोटोकॉल के अनुसार एक समय में दोनों महामहिम में से कोई एक ही विदेश दौरे पर रह सकते हैं, लेकिन 7 से 9 सितंबर को बीच की अवधि में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों देश से बाहर थे।

महामहिम ने तोड़ी परंपरा
आपको बता दें कि पुरानी परंपरा ये रही है, कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों एक साथ देश से बाहर विदेश दौरे पर नहीं रहते हैं, लेकिन इस बार दोनों एक साथ विदेश दौरे पर थे। राष्ट्रपति अपनी तीन देशों की सात दिवसीय यात्रा पूरी कर रविवार रात को देश लौट आये, जबकि उपराष्ट्रपति वेकैया नायडू शिकागो की यात्रा पर हैं, उपराष्ट्रपति वहां आरएसएस द्वारा आयोजित विश्व हिंदू कांग्रेस के आयोजन में हिस्सा ले रहे हैं।

राजकीय यात्रा पर राष्ट्रपति
मालूम हो कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तीन देशों की राजकीय यात्रा पर थे, लेकिन उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू की शिकागो यात्रा राजकीय नहीं थी, फॉरेन मिनिस्ट्री के एक अधिकारी के अनुसार उनके लिये अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस की ओर सो कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं भेजा गया था। साथ ही अधिकारियों ने इस सवाल पर भी कुछ नहीं कहा, कि क्या शिकागो यात्रा के लिये उन्हें बीजेपी या आरएसएस ने निमंत्रित किया था ?

क्या है प्रोटोकॉल ?
परंपरा और प्रोटोकॉल के अनुसार विदेश मंत्रालय इस बात का ध्यान रखता है कि दोनों महामहिम (राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ) एक साथ विदेश दौरे पर ना रहें, क्योंकि किसी आकस्मिक स्थिति की संभावना के मद्देनजर ऐसा प्रोटोकॉल तैयार किया गया है, ताकि स्थिति को संभाला जा सके।

तीन देशों का दौरा
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मध्य एशिया के तीन देशों साइप्रस, बुल्गारिया और चेक रिपब्लिक के दौरे पर थे, वो रविवार रात ही देश वापस लौट आये। उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू 7 सितंबर को शिकागो गये, वहां उन्होने विश्व हिन्दू कांग्रेस में हिस्सा लिया। इसका आयोजन स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण के 125 साल पूरे होने के मौके पर किया गया, इसके अलावा उपराष्ट्रपति शिकागो में आंध्र प्रदेश मूल के लोगों के संगठनों के कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं।