सावन सोमवार – शिवलिंग पर जल चढाते समय इस दिशा में ना रखें अपना चेहरा

शिवलिंग के दक्षिण दिशा की ओर बैठकर यानी उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा और अभिषेक करने से शीघ्र फल देने वाला माना जाता है।

New Delhi, Aug 13 : आज सावन का तीसरा सोमवार है, कई लोग शिवलिंग की पूजा बिना नियम और विधि के जानकारी के ही करते हैं, जिससे उन्हें पूजा का फल नहीं मिलता है, बल्कि उल्टा दोष भी लगता है, शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग के पास अलग-अलग दिशाओं में अन्य देवी-देवताओं का भी स्थान होता है। कुछ लोग शिवलिंग की पूजा पीछे से करते हैं, जो गलत माना जाता है। शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग पर जल चढाने और पूजा में सही दिशा में बैठने के साथ भस्म का त्रिपुण्ड लगाने का भी नियम बताया गया है, इसके लिये रुद्राक्ष की माला भी पहननी चाहिये।

पूजा करते समय इस दिशा में ना हो चेहरा
शिवलिंग की पूजा करते समय पूरब दिशा की ओर चेहरा कभी नहीं रखना चाहिये, क्योंकि ये दिशा भगवान शिव के आगे या सामने होती है, धार्मिक नियमों के अनुसार देव मूर्ति या प्रतिमा के ठीक सामने ना तो खड़े होना चाहिये और ना ही बैठना चाहिये। ऐसा करने से दोष लगता है। इसलिये पूजा करते समय पूरब दिशा की ओर चेहरा नहीं होना चाहिये।

दक्षिण दिशा की ओर ना करें चेहरा
पूजा करते समय उत्तर दिशा की ओर नहीं खड़े होना चाहिये, यानी आपका चेहरा दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिये। क्योंकि अगर आप उत्तर दिशा में भगवान भोले शंकर का बायां अंग मानते हैं, जो शक्ति रुपा मां पार्वती का स्थान है, इसलिये भूलकर भी ऐसी गलती ना करें।

पीछे से ना करें पूजा
पूजा के दौरान पश्चिम दिशा में नहीं बैठना चाहिये, यानी आपका मुंह पूरब दिशा में नहीं होना चाहिये, क्योंकि ये दिशा भगवान भोले शंकर की पीठ मानी जाती है, इसलिये पीछे से देवपूजा करना नहीं चाहिये। अब एक दिशा बचती है, वो है दक्षिण। इस दिशा में बैठकर यानी उत्तर दिशा की ओर चेहरा कर शिवलिंग की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है, ऐसा करने से पूजा का पूरा फल मिलता है। सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।

शीघ्र फल मिलता है
सीधे शब्दों में कहें, तो शिवलिंग के दक्षिण दिशा की ओर बैठकर यानी उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा और अभिषेक करने से शीघ्र फल देने वाला माना जाता है। इसी वजह से उज्जैन के दक्षिणमुखी महाकाल और दक्षिणमुखी शिवलिंग की पूजा का खास महत्व माना जाता है।