कभी होटल में वेटर था, अब कॉमनवेल्थ गेम्स में करेगा भारत का प्रतिनिधित्व

कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जिनके बारे में जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। कभी होटल में वेटर का काम करने वाला अब कॉमनवेल्थ गेम्स में देश का मान बढ़ाएगा।

New Delhi, Mar 13: आज हम आपको एक ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आपको गर्व होगा कि देश में ऐसी प्रतिभाएं भी हैं। एक लड़का जिसने कभी जिंदगी गुजारने के लिए होटल में वेटर का काम किया। आज उस लड़के ने अपनी मेहनत के दम पर वो मुकाम हासिल किया है, जहां पहुंचना शायद हर बड़े खिलाड़ी का सपना होता है। कॉमनवेल्थ गेम्स में उनका सलेक्शन हुआ है।

ये है मनीष की कहानी
हम बात कर रहे हैं चमोली के मनीष रावत की, जिनका सलेक्शन कॉमन वेल्थ गेम्स के लिए हो गया है। यूं तो मनीष रावत ओलंपयिन भी रह चुके हैं और आने वाले ओलंपिक के लिए भी तैयारी कर रहे हैं। इसके साथ ही वो अपने राज्य के पहले खिलाड़ी बने हैं, जिनका सलेक्शन आस्ट्रिया में होने वाले कॉमन वेल्थ गेम्स के लिए हुआ है।

20 किमी वॉक रेस के चैंपियन
मनीष रावत 20 किलोमीटर वॉक रेस में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। आस्ट्रिया के गोल्ड कोस्ट शहर में 4 अप्रैल से 15 अप्रैल तक कॉमनवेल्थ गेम्स होने हैं। इस वक्त मनीष बैंगलुरु में इस स्पर्धा की तैयारी कर रहे हैं। मनीष रावत की दौड़ आठ अप्रैल को होगी। वो कहते हैं कि वो हर हाल में कॉमनवेल्थ खेल में भारत के लिए पदक जीतेंगे।

रिओ ओलंपिक में दिखाया था दम
इससे पहले मनीष रिओ ओलंपिक और वर्ल्ड एथेलेटिक्स कॉम्पिटीशन में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है। ये लड़का अपनी जिंदगी में गरीबी का वार झेल चुका है, जो होटल में वेटर की नौकरी कर चुका है, जो यात्रियों को घुमाने के लिए गाइड का काम कर चुका है। लेकिन उसने हार नहीं मानी। हार ना मानने का ये फलसफा लगातार आगे बढ़ता गया और आज इस लड़के को एक बार फिर से बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।

कभी होटल में काम करते थे
बदरीनाथ के एक होटल में मनीष रावत वेटर का काम करते थे। इसके साथ साथ परिवार का पेट पालने के लिए दूध बेचने का भी काम करते थे। राजकीय इंटर कॉलेज बैरागना में पढ़ाई की। ये स्कूल घर से 7 किलोमीटर दूर था। यानी एक दिन में 14 किलोमीटर का सफर तो ऐसे ही हो जाता था। 2002 में पिता की मौत हुई तो पूरे परिवार की जिम्मेदारी इनके ऊपर आ गई।

खेतीबाड़ी के साथ मेहनत की
खेतीबाड़ी के साथ-साथ हर वो काम किया, जिससे कुछ पैसे मिल जाएं।2006 में बदरीनाथ के एक होटल में वेटर का काम किया। दूध बेचा और यात्रियों के साथ गाइड बनकर रुद्रनाथ गया। इस दौरान उनकी मुलाकात कोच अनूप बिष्ट से हुई, जो गोपेश्वर स्टेडियम में कोच थे। उनके कहने पर ही मनीष ने पढ़ाई के लिए गोपेश्वर में एडमिशन ले लिया। यहीं से शुरू होेता है मनीष का चमचमाता करियर।

ये भी है खास बात
2011 में उन्हें पुलिस में खेल कोटे में जॉब मिली। 2012 ऑल इंडिया पुलिस चैंपियनशिप में उन्हें कांस्य पदक मिला। अब मनीष का सपना है कि वो देश के लिए ओलंपिक मेडल जीतें। इस बार मनीष के हौसलों को कोई नहीं रोक सकता। आगे बढ़ना है और हर हाल में जीत हासिल करनी है। वेटर का काम करने वाला लड़का इस बड़े मुकाम पर पहंच सकता है, तो फिर आप क्यों नहीं।