14 साल के सियासी वनवास से लौट रही हैं मायावती, इस सीट से लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव

अंबेडकरनगर के अलावा बिजनौर लोकसभा सीट से भी बसपा सुप्रीमो के लड़ने की चर्चा हो रही है।

New Delhi, Jul 12 : यूपी के गोरखपुर-फूलपुर और कैराना लोकसभा उपचुनाव में बबुआ अखिलेश यादव के साथ मिलकर बुआ मायावती ने पटकनी दे दी, बताया जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती इन दिनों उत्साह से भरी हुई हैं, न्यूज -18 की खबर के अनुसार मायावती ने लोकसभा 2019 चुनाव में खुद ही मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि मायावती यूपी के अंबेडकरनगर या बिजनौर से चुनाव लड़ सकती है।

कार्यकर्ताओं को जगाने के लिये चुनाव लडेगी
आपको बता दें कि मायावती पिछली बार साल 2004 में सांसद चुनी गई थीं, उस समय भी उन्होने अंबेडकरनगर से चुनाव लड़ा था। ऐसा माना जा रहा है कि मायावती इसलिये चुनाव लड़ना चाहती है, ताकि कार्यकर्ताओं में जीत का जज्बा जागे और एक बार फिर से वो उसी तरह मेहनत करें, जैसे 2007 विधानसभा चुनाव में किया था।

अंबेडकरनगर सीट
साल 2014 में अंबेडकरनगर सीट बसपा ने बीजेपी के हाथों गंवा दिया था। वैसे तो ये सीट बसपा का गढ माना जाता है, लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी की आंधी में बीएसपी ने इस सीट को भी गंवा दिया, सबसे अहम बात ये है कि अंबेडकरनगर सीट पर बीजेपी पहले कभी नहीं जीती थी, लेकिन 2014 में हालात इतने बदल गये कि बीजेपी नेता हरिओम पांडेय इस सीट से जीतकर संसद पहुंचने में कामयाब रहे।

क्या कहता है लोकसभा क्षेत्र का गणित ?
राजनीतिक एक्सपर्ट के अनुसार ये सीट ओबीसी और दलित उप जातियों पर निर्भर करती है, यहां की आबादी में करीब 25 फीसदी वोटर एससी हैं, जिनकी संख्या करीब 6 लाख है। इसके अलावा मुस्लिम, यादव, कुर्मी, ब्राह्मण और बनिया भी इस सीट पर प्रभावी हैं, बीजेपी 2014 में केवट, ओबीसी और राजभर मतदाताओं को अपनी ओर झुकाने में सफल रही थी। मोदी खुद ओबीसी समुदाय से आते हैं, इस बात का 2014 लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में खूब प्रचार किया गया था।

बिजनौर से भी लड़ सकती है
अंबेडकरनगर के अलावा बिजनौर लोकसभा सीट से भी बसपा सुप्रीमो के लड़ने की चर्चा हो रही है, आपको बता दें कि बिजनौर से 2014 में कुंवर भरतेंद्र सिंह ने बंपर जीत हासिल की थी, उन्होने सपा प्रत्याशी शाहनवाजद राणा को 2 लाख से ज्यादा वोटों से मात दी थी। जबकि बसपा प्रत्याशी मलूक नागर तीसरे नंबर पर चले गये थे। बिजनौक लोकसभा सीट मुजफ्फरनगर और मेरठ से जुड़ा हुआ है। इस सीट पर जाट, गुर्जर, मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं, 2014 लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के बीच मुस्लिम वोटों के बंटवारे के चलते बीजेपी इतने वोटों से जीती थी।

अखिलेश-मायावती गठबंधन
आपको बता दें कि इस बार लोकसभा चुनाव में अलग मूड देखने को मिल सकता है, एक तो 2014 लोकसभा चुनाव जैसी कोई लहर नजर नहीं आ रही है, दूसरी ओर विरोधी भी कमर कस कर तैयार है, यूपी में अखिलेश यादव और मायावती अगर गठबंधन कर साथ आते हैं, तो फिर बीजेपी के लिये इनसे निपटना आसान नहीं होगा, हालांकि अमित शाह दावा कर रहे हैं कि 2019 में 2014 से भी बड़ी जीत मिलेगी।

खाता नहीं खोल पाई थी मायावती
पिछले तीन-चार चुनावों से लगातार मायावती की पार्टी का ग्राफ नीचे लुढकता जा रहा है। 2014 लोकसभा चुनाव में पार्टी का एक भी सांसद नहीं जीत पाया, इसी वजह से इस बार खुद मायावती चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है, ताकि कार्यकर्ताओं के साथ-साथ जाति विशेष के लोगों को अपनी तरफ खींच सके।