पांचवी फेल हैं MDH किंग, इस तरह खड़ा किया अरबों का कारोबार

आज जानिए MDH किंग के बारे में, इनकी कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं । चंद सिक्‍के कमाने वाले ये महाशय कैसे बने गए अरबों के कारोबार के मालिक, जानना जरूर चाहिए ।

New Delhi, Apr 10 : MDH किंग के नाम से मशहूर महाशय धर्मपाल गुलाटी किसी परिचय के मोहताज नहीं । भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मसाला किंग के नाम से मशहूर महाशय अपने मसालों के कारण मशहूर हैं । इनके मसालों की गुणवत्‍ता की मिसाले दी जाती हैं । लेकिन आज जिस मुकाम पर महाशय हैं क्‍या वहां तक पहुंचने का उनका सफर आसान रहा होगा । बिलकुल नहीं, ये सफर बहुत ही मुश्किल और कठिनाईयों से भरा रहा है । 5वीं फेल महाशय धर्मपाल गुलाटी का सफर कुछ ऐसा था ।

सियालकोट में हुआ जन्‍म
महाशय जी का जन्म 27 मार्च 1923 को सियालकोट के एक बेहद सामान्य परिवार में हुआ था । पिता का नाम महाशय चुन्नीलाल और माता का  चनन देवी था । बचपन से ही पढ़ने का शौक नहीं था लेकिन इनके पिता की इच्छा थी कि ये खूब पढ़ें-लिखें। पिता उन्हें बहुत समझाते थे, लेकिन फिर भी इनका ध्यान पढ़ाई में कभी नहीं लगा । जैसे-तैसे इन्होंने चौथी कक्षा तो पास कर ली लेकिन पांचवी कक्षा में फेल हो गये, इसके बाद से महाशय जी ने स्कूल जाना ही छोड़ दिया।

दुकान में काम पर लगाया गया
पिताजी ने इन्हें एक बढ़ई की दुकान में लगवा दिया जिससे कि ये कुछ काम सीख सकें लेकिन कुछ दिन बाद काम में मन न लगने की वजह से महाशय जी ने ये काम भी छोड़ दिया । कई तरह के काम उन्‍होने इसके बाद किए । करीब 15 साल तक की आयु तक वो 50 से ज्‍यादा कामों में हाथ आजमा चुके थे । इसके बाद उनके पिता ने उन्‍हें एक मसालों की दुकान खुलवा दी । सियालकोट तब अपनी लाल मिर्च के बहुत मशहूर था । लेकिन उन दिनों देश में आजादी की लड़ाई भी छि़ड़ी हुई थी । महाशय का धंधा सही चल रहा था ।

सियालकोट छोड़कर दिल्‍ली आए
1947 में आज़ादी तो मिली लेकिन महाशय जी के लिए सियालकोट में रहना मुश्किल हो गया । ये अबब पाकिस्‍तान का हिससा बन चुका था । पूरा परिवार सियालकोट छोड़कर दिल्‍ली आ गया । दिल्‍ली आकर ये करोलबाग रहने लगे । 1500 रुपए और बेरागार हो चुके महाशय ने यहां किसी तरह एक तांगा खरीद लिया । सियालकोट का मसाला व्‍यापारी फिलहाल दिल्‍ल्‍ी में तांगा चला रहा था । लेकिन ये धंधा दो महीने ही चला ।

मसाला बनाने में ही लगता था मन
तांगा चलाना छोड़ा तो फिर से बेराजगार हो गए । अब क्‍या करें, मसाला बनाने के सिवाय कुछ आता भी तो नहीं था । बस इसीलिए, घर पर मसाले तैयार करने शुरू किए । बाजार से खड़े मसाले लाते और फिर कूटकर, पीसकर बेचते । इनके मसालों की गुणवत्‍ता की खूब चर्चा होने लगी । धीरे-धीरे ग्राहक बढ़ने लगे । ग्राहक बढ़े तो घर में काम मुश्किल हो गया । इन्‍होने अब चक्‍की में जाकर मसाले पिसवाना शुरू किया । लेकिन चक्‍कीवाले को एक दिन मसाले में गड़बड़ी करते हुए देख लिया । इसके बाद उन्‍होने खुद से मसाला पीसने की फैक्‍ट्री खोलने की बात सोची ।

पहली मसाला फैक्‍ट्री
महाशय धर्मपाल गुलाटी जो अब मसाला किंग के नाम से जाने जाते हैं उन्‍होने अपनी सबसे पहली मसाला फैक्‍ट्री दिल्‍ली के कीर्तिनगर में शुरू की । इसके बाद उन्‍होने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा । दिल्‍ली के बाद पूरा देश और फिर पूरी दुनिया महाशय के मसालों से महक उठी । एमडीएच मसालों की खुशबू हर घर में खाने को और भी स्‍वादिष्‍ट बनाती है । ये मसाले भारतीय परंपरा में शामिल हो चुके हैं ।