अब ऐसी जिंदगी जी रही है मोगली गर्ल, जंगल में जानवरों के साथ रहती थी

mowgli girl

मोगली गर्ल याद है आपको, जो लखनऊ के पास कतरनिया घाट के जंगलों में मिली थी, बंदरों की तरह हरकत कर रही थी, अब उसकी जिंदगी ऐसी हो गई है।

New Delhi, Feb 08: टारजन फिल्म तो आपको याद ही होगी, द जंगल बुक भी याद होगी, जिस पर टार्जन कुछ हद तक आधारित थी, कहानी तो आपको याद ही होगी, किस तरह से जंगल में एक लड़का जानवरों के साथ बड़ा होता है, उसे मोगली नाम से पुकारा जाता है, ये तो किताबी और पिल्मी कहानी हो गई, असल जिंदगी मं भी ऐसा हो चुका है, वो भी अपने उत्तर प्रदेश में, जहां से 10 महीने पहले एक लड़की जंगल में मिली थी, उसे मोगली गर्ल के नाम से जाना जाता है, जब वो जंगल से मिली थी तो कुछ समझ नहीं पा रही थी, उसने पहली बार इंसानों को देखा था।

लखनऊ में हो रहा है इलाज
मोगली गर्ल का इलाज लखनऊ में निर्वाण संस्था में हो रही है, जहां उसे एहसास नाम से जाना जाता है, उसकी हालत में तेजी से सुधार हो रहा है। पहले वो इंसानों की भाषा को नहीं समझती थी, लेकिन अब धीरे धीरे इंसानों के तौर तरीके सीखने लगी है। उसे कम्यूनिकेशन स्किल्स की ट्रेनिंग दी जा रही है।

कौन है ये मोगली गर्ल
एहसास के बारे में जानने की इच्छा सभी के अंदर है, आखिर कैसे ये बच्ची जंगल पहुंच गई, ये जंगल से 2017 में मिली थी। बहराइच में कतरनिया घाट के जंगलों में गांववालों ने इसे 4 अप्रैल 2017 को बंदरों के झुंड के साथ देखा था, लोगों ने सोचा कि बंदर से बच्ची को खतरा है, तो वो बच्ची को बचाने के लिए आगे बढ़े, लेकिन बंदरों ने गांववालों पर ही हमला कर दिया।

बंदरों की तरह थी हरकत
जिस समय गांववालों ने पहली बार इस बच्ची को देखा था तो उसकी हरकतें बंदरों की तरह ही थी, वो बंदरों की भाषा को समझ रही थी, बोल भी उन्ही की तरह रही थी। काफी मेहनत के बाद गांव वाले इस बच्ची को बंदरों से छुड़ा कर अस्पताल ले गए। जहां से इस लड़की को बेहतर इलाज के लिए लखनऊ के लोहिया अस्पताल में लाया गया। उस समय बच्ची की मानसिक हालत ठीक नहीं थी।

ऐसे आई निर्वाण संस्था में
लोहिया अस्पताल में डॉक्टरों ने बच्ची का इलाज किया, वो वहां पर कुछ दिन तक रही, उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी। उसके बेहतर इलाज के लिए उसे इंदिरा नगर के निर्वाण हास्पिटल रेफर कर दिया था। 8 अप्रैल 2017 से मोगली गर्ल का यहां इलाज चल रहा है। मीडिया में ये खबर आने के बाद लोगों में चर्चा शुरू हो गई। कई लोग इस बच्ची के माता पिता बन कर पहुंचे, लेकिन कोई सच्चा नहीं था।

अब ऐसी है मोगली गर्ल की जिंदगी
पिछले दस महीने से एहसास का इलाज चल रहा है, अब उसकी जिंदगी में काफी बदलाव आ गया है। डॉक्टरों ने कहा कि अब वो तेजी से सुधर रही है। उसे कम्युनिकेशन के साथ बॉडी लैंग्वेज और हैबिट की ट्रेनिंग दी जा रही है, जिस से उसकी हरकतों में सुधार आ सके और वो अपनी फीलिंग्स को एक्सप्रेस कर सके।

कई तरह की थेरेपी चल रही है
अस्पताल में एहसास को कई तरह की थेरेपी दी जा रही है, बच्ची को सोशल एक्टिविटीज के जरिए बातें समझा रहे हैं, उसे जंगल के एनवायर्नमेंट से बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही स्पीच थेरेपी, फिजिकल थेरेपी और दूसरे तरीकों से उसे पूरी तरह से समझने और सिखाने की कोशिश की जा रही है।

अब बात करती है एहसास
अब धीरे धीरे एहसास काफी कुछ समझने लगी है, वो भूख लगने पर खाना मांगती है, प्यास लगने पर पानी मांगती है। हालांकि उसकी याददाश्त जा चुकी है, उसे मेंटल डिसऑर्डर भी है उसे अपने पास्ट के बारे में कुछ भी याद नहीं है। फिलहाल डॉक्टर उसके वर्तमान को ठीक करने में लगे हैं। जिस से उसका पास्ट उसे परेशान ना करे। उम्मीद है कि वो जल्दी ही बाकी इंसानों की तरह से व्यवहार करने लगेगी।