जब पी राजगोपाल सातवीं में पढते थे, तभी उन्होने एक रेस्टोरेंट में काम शुरु कर दिया था, वो इस रेस्टोरेंट में साफ-सफाई और बर्तन धोने का काम करते थे।
New Delhi, Feb 15 : कभी रेस्टोरेंट में झाड़ू-पोछा करने वाले पी रामगोपाल ने कभी सोचा भी नहीं था, कि वो अपना रेस्टोरेंट भी खोल पाएंगे, लेकिन आज वो 80 रेस्टोरेंट के मालिक हैं, देशभर में करीब 33 और विदेशों में उनके रेस्टोरेंट की 47 शाखाएं चल रही है। उनके रेस्टोरेंट यानी सरवणा भवन की सफलता का राज सिर्फ अपने ग्राहकों तक शुद्ध खाना पहुंचाना ही नहीं बल्कि अपने कर्मचाकियों का भी ख्याल रखना है, रामगोपाल का मानना है कि अगर आपके कर्मचारी खुश रहेंगे, तभी आपका बिजनेस तरक्की करेगा।
ऐसे आया रेस्टोरेंट खोलने का आइडिया
दरअसल एक बार किसी ने पी रामगोपाल से कहा था कि वो चेन्नई के टी नगर से सिर्फ इसलिये जा रहे हैं, क्योंकि इस इलाके में कोई अच्छा रेस्त्रां नहीं है, इसी इलाके में पी रामगोपाल भी रहते थे, ये बात उनके दिल पर लग गई, उसी दिन उन्होने फैसला लिया, कि वो उस इलाके में रेस्टोरेंट खोलेंगे, ताकि वहां के लोगों को रेस्टोरेंट की तलाश में कहीं और भटकना ना पड़े।
इस मकसद से शुरु किया बिजनेस
सरवणा भवन नाम से जब उन्होने रेस्टोरेंट का बिजनेस शुरु किया था, तो उन्होने कहा कि तब मैंने सोचा था कि मुझे पैसा नहीं कमाना है, बल्कि ग्राहकों का भरोसा जीतना है, परिणाम सबके सामने है, आपको बता दें कि पी राजगोपाल के जीवन में एक समय ऐसा भी था, जब दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती थी।
ज्यादा पढे-लिखे नहीं है राजगोपाल
तमिलनाडु के छोटे से गांव पुन्नईयादी में पैदा हुए पी राजगोपाल के पिताजी ने परिवार में आर्थिक तंगी होने के बावजूद उनका दाखिला स्कूल में करवाया, हालांकि वो ज्यादा नहीं पढ पाए, सातवीं के बाद उन्होने पढाई छोड़ छोटा-मोटा काम शुरु कर दिया, ताकि घर खर्च में वो भी जिम्मेदारी संभाल सके।
रेस्टोरेंट में करते थे साफ-सफाई
जब पी राजगोपाल सातवीं में पढते थे, तभी उन्होने एक रेस्टोरेंट में काम शुरु कर दिया था, वो इस रेस्टोरेंट में साफ-सफाई और बर्तन धोने का काम करते थे। यहां से जो भी थोड़े बहुत पैसे उन्हें मिलते थे, उसे वो परिवार खर्च के लिये दे देते थे, ताकि उन्हें दो वक्त रोटी आसानी से मिलती रहे।
खाना बनाना भी सीखा
रेस्त्रां में साफ-सफाई का काम करते हुए पी राजगोपाल ने खाना बनाना भी सीख लिया था, उन्हें जब भी मौका मिलता है, तो रेस्त्रां में ग्राहकों के लिये खाना भी तैयार करते थे। जब उन्होने अपना बिजनेस शुरु किया, तो उस समय उनका ये अनुभव काम आया।
किराना स्टोर में किया काम
रेस्त्रां में काम करने के बाद उन्होने एक किराना स्टोर में साफ-सफाई करने वाले हेल्पर की नौकरी की, फिर कुछ समय बाद उन्होने अपने पिता और दूसरे रिश्तेदारों की मदद से अपनी खुद की दुकान भी खोल ली, हालांकि उनके जीवन में उतार-चढाव लगे रहे, लेकिन उन्होने हिम्मत नहीं हारी।
रेस्टोरेंट खोलने की ठानी
साल 1979 में ही वो वाकया हुआ, जब पी राजगोपाल ने अपना रेस्त्रां खोलने की ठानी, उन्होने दो साल के भीतर ही अपना सरवणा भवन की शुरुआत की, हालांकि इस दौरान भी उनके सामने कम चुनौतियां नहीं आई, क्योंकि ये वो समय था, जब लोग घर से बाहर जाकर खाना नहीं खाते थे।
ग्राहक का भरोसा सबसे ऊपर
जब उन्होने अपने रेस्त्रां के लिये कुछ नियम बनाए, तो उन्होने ग्राहकों को भरोसे को सबसे ऊपर रखा, इसके साथ ही साफ-सफाई और शुद्ध खाने को भी नियम में जगह दी, और उसका कड़ाई से पालन भी करवाया। इस वजह से सरवणा भवन को नुकसान भी उठाना पड़ा, लेकिन उन्होने कभी भी नियम से समझौता नहीं किया। हालांकि जल्द ही उनका घाटा मुनाफे में बदल गया।