2019 में किंग मेकर हो सकती हैं ये छोटी पार्टियां

कई छोटी पार्टियां ऐसी हैं, जो किंग मेकर साबित हो सकती हैं. इन पार्टियों की खासियत यह है कि ये जरूरत पड़ने पर यूपीए का भी समर्थन कर सकती हैं और एनडीए का भी।

New Delhi, Jul 09 : ऐसे आसार नजर आ रहे हैं कि 2019 में भाजपा बहुमत से दूर रह जायेगी. सीएसडीएस का सर्वे भी यही इशारा कर रहा है और राजनीतिक विश्लेषक भी पार्टी के 200-225 सीटों के बीच अटक जाने की आशंका जता रहे हैं. यूपीए की जो स्थिति है, उससे लगता नहीं है कि वह चुनाव से पहले संयुक्त विपक्ष टाइप का कोई गठबंधन बना पायेगी. ऐसे में यूपीए भी बहुत से दूर ही रहेगा. ऐसे में कई छोटी पार्टियां ऐसी हैं, जो किंग मेकर साबित हो सकती हैं. इन पार्टियों की खासियत यह है कि ये जरूरत पड़ने पर यूपीए का भी समर्थन कर सकती हैं और एनडीए का भी. इन्हें विचारधारा के नाम पर किसी से परहेज नहीं है. आइये जानते हैं इन पार्टियों के बारे में…

1. तृणमूल कांग्रेस 
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी तृणमूल कांग्रेस की बंगाल में आज तूती बोलती है. पंचायत तक के चुनाव में उसके मुकाबले में कोई नजर नहीं आता. भाजपा ही थोड़ा बहुत टक्कर देती नजर आती है. सीपीएम और कांग्रेस ने तो घुटने टेक दिये हैं. 42 लोस सीटों वाले बंगाल में 2014 में टीएमसी को 34 सीटें आयी थीं. इस बार भी नहीं लगता कि उसकी सीटों में कोई खास कमी होगी. आज बंगाल में टीएमसी का मुख्य मुकाबला भाजपा से है, इसलिए मुमकिन है कि केंद्र में गैर भाजपा सरकार बनने की स्थिति में टीएमसी से समर्थन मिल जाये. वैसे ममता बनर्जी भाजपा के साथ भी सरकार में रह चुकी हैं.

2. बीजू जनता दल- 
ओड़िशा में बीजू जनता दल का भी यही हाल है. वहां उसका एकछत्र राज है. 2014 में पार्टी ने 21 में से बीस सीटें जीती थीं. भाजपा को महज एक सीट आयी थी. 147 सीटों की ओड़िशा विधानसभा में बीजद के पास 117 सीटें हैं. कांग्रेस के पास 16 और भाजपा के पास 10 सीटें हैं. यानी बीजद के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों बराबर है. वह जरूरत पड़ने पर किसी के भी साथ जा सकती है. वह क्या करेगी यह मौके पर निर्भर करेगा.

3. डीएमके-एआईडीएमके- 
तमिलनाडु में 39 लोस सीटें हैं, 2014 में इनमें से 37 सीटें एआईडीएमके ने जीत ली थी. मगर तब जयललिता जीवित थीं. तमिलनाडु की राजनीति डीएमके और एआईडीएमके के बीच अदला-बदली करती है. इसलिए 2019 में डीएमके की स्थिति बेहतर होने की उम्मीद है. एआईडीएमके की स्थिति कमजोर ही हो जायेगी यह भी कहा नहीं जा सकता. पर यह तय है कि इन 39 सीटों में भाजपा और कांग्रेस के लिए ज्यादा कुछ नहीं है. लिहाजा ये दोनों पार्टियां या इनमें से कोई एक किंगमेकर हो सकता है.

4. तेलगू देशम पार्टी- 
आंध्र प्रदेश की 20 लोकसभा सीटों में 2014 में तेलगू देशम पार्टी को 15 सीटें मिली थीं. वहां पार्टी का मुकाबला वाईएसआर कांग्रेस से है. 176 सीटों वाली आंध्र विधानसभा में तेलगु देशम पार्टी के पास 103 और वाईएसआर कांग्रेस के पास 66 सीटें हैं. भाजपा के पास सिर्फ चार सीटें हैं, कांग्रेस गायब हो चुकी है. ऐसे में टीडीपी और वाईएसआऱ दोनों जितनी भी सीटें जीते, ये किंगमेकर हो सकती हैं.
5. तेलंगाना राष्ट्र पार्टी- तेलंगाना की 17 सीटों में से 2014 में 11 सीटें जीतने वाली तेलंगाना राष्ट्र पार्टी वहां की सबसे बड़ी पार्टी है. उसके बाद कांग्रेस को दो, भाजपा को एक और टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस को एक सीटें वहां मिलीं. 119 सीटों वाली तेलंगाना विस में टीएसआर के पास 90 सीटें हैं. 13 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे स्थान पर है. टीआरएस ने 2019 में गैर कांग्रेस, गैर भाजपा गठबंधन के लिए हामी भरी है, मतलब यह पार्टी चुनाव के बाद किसी धड़े का समर्थन कर सकती है.

6. जेडीएस- 
जेडीएस कर्नाटक में तीसरे नंबर की पार्ठी है. अभी कर्नाटक में वह सरकार को लीड कर रही है. फिलहाल कांग्रेस के साथ है. kUMAR swami11मगर जेडीएस 2019 में किसी भी धड़े के साथ जा सकती है. हालांकि चुनाव में उसे कितनी सीटें आ सकती हैं, कहना मुश्किल है. मगर जेडीएस के प्रमुख एचडी देवैगौड़ा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा इन दिनों हिलोर मारने लगी है.
स्पेशल कमेंट- हालांकि सपा, बसपा, राकांपा, शिव सेना, जदयू, राजद, अकाली दल, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी जैसी अन्य क्षेत्रीय पार्टियां हैं, जो 2019 में मजबूत रहने की स्थिति में है. मगर अमूमन इनमें से ज्यादातर पार्टियों का स्टैंड क्लीयर है. यह दिलचस्प है कि जहां उत्तर भारत की श्रेत्रीय पार्टियां मोदी समर्थन और मोदी विरोध के ट्रैप में उलझी हैं वहीं दक्षिण भारत की पार्टियों ने अवसर के हिसाब से निर्णय़ लेने के लिए खुद को स्वतंत्र रखा है. ऐसे में 2019 में उनका बारगेनिंग पावर ज्यादा दमदार हो सकता है.

(वरिष्ठ पत्रकार पुष्य मित्र के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)