कम पढा-लिखा ये शख्स दे रहा बड़ी कंपनियों को टक्कर, कुछ पैसों से ऐसे खड़ा कर दिया करोड़ों का बिजनेस

Gyasi

बुंदेलखंड : इनके खाद और जैविक सब्जियों की मांग दूसरे जिलों में भी रहती है, जिससे इन्हें अच्छा खासा मुनाफा मिलता है।

New Delhi, May 28 : बुंदेलखंड के किसान ज्ञासी अहिरवार ने खेती किसानी करने वाले लोगों के लिये मिसाल पेश की है, उन्होने 20 किलो केंचुए से खाद बनाने का कारोबार शुरु किया था, आज उनके पास करीब 50 टन जैविक खाद बनकर तैयार है, जिसकी कीमत लाखों रुपये है। ज्ञासी केंचुआ खाद और वर्मी कम्पोस्ट बनाने के साथ ही करीब 20 एकड़ खेत में जैविक ढंग से खेती भी करते हैं। इनके खाद और जैविक सब्जियों की मांग दूसरे जिलों में भी रहती है, जिससे इन्हें अच्छा खासा मुनाफा मिलता है। एक साधारण किसान ने जैविक खाद बनाकर करोड़ों का कारोबार खड़ा कर दिया है।

पढे लिखे नहीं हैं ज्ञासी अहिरवार
बुंदेलखंड के ललितपुर जिला मुख्यालय से करीब 17 किमी दूर दक्षिण दिशा में आलापुर गांव है, जहां मुख्य सड़क पर ही अंबेडकर बायो फर्टिलाइजर के नाम से ज्ञासी अहिरवार का कई एकड़ में प्लांट लगा है। compost-159 वर्षीय किसान बताते हैं कि वो पढे लिखे नहीं हैं, इसलिये नौकरी की उम्मीद तो उन्हें बिल्कुल नहीं थी, खेती में ज्यादा पैदावार नहीं होती है, इसलिये उन्होने कुछ अलग करने का मन बनाया। उन्होने बताया कि वो बचपन से ही जैविक खाद बनाने के बारे में अक्सर सुना करते थे, लेकिन वहां आस-पास में कोई भी इस पर काम नहीं करता था।

ऐसे खड़ा किया बिजनेस
ज्ञासी अहिरवार ने बताया कि कारोबार शुरु करने के लिये उनके पास पैसे नहीं थे, तो उन्होने बैंक से 10 लाख रुपये लोन लिया। Vermicom post12 साल पहले उन्होने 20 किलो केंचुए से अपने बिजनेस की शुरुआत की। शुरुआत में ही कुछ संस्थाओं ने तीन लाख की खाद उनसे खरीद ली। जिससे उनका आत्मविश्वास बढा। उनके अनुसार फिर उन्होने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज की तारीख में उनके पास करीब 5 करोड़ रुपये का खाद इकट्ठा है।

जैविक खाद की मांग
इनके जैविक खाद की मांग एमपी के 14 जिलों में है, इसके साथ ही वो करीब 20 एकड़ जमीन पर जैविक ढंग से खेती भी करते हैं।compostउनके सब्जियों और अनाजों की मांग दिल्ली और देहरादून में है, जिससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा मिलता है। भले ज्ञासी अहिरवार पढे लिखे ना हो, लेकिन उनके जैविक खाद बनाने को लेकर उनके अनुभव की चर्चा पूरे बुंदेलखंड में है, वो इटली और जर्मनी जैसे कई देशों में अपना अनुभव साझा करने के लिये जा चुके हैं।

गमलों से लेकर किचेन तक में जैविक खाद का इस्तेमाल
ज्ञासी अहिरवार ने बताया कि उनकी कोशिश कई अनाज जो विलुप्त हो रहे हैं, उन्हें बचाने की है, इसीलिये वो अपने खेतों में सिर्फ देसी अनाजों की खेती करते हैं। वो बीज, खाद, कीटनाशक दवाइयां कुछ भी नहीं खरीदते हैं। Gyasi2वो घर में ही ये चीजें तैयार करते हैं। उनके अनुसार एक किलो केचुआ 610 रुपये का मिलता है, वर्मी कम्पोस्ट के एक किलो के पैकेट का 15 से 20 रुपये मिल जाता है, इसका इस्तेमाल लोग गमलों से लेकर किचेन तक में करते हैं, ताकि उनके घर के पेड़-पौधे स्वस्थ्य रहें।

निशुल्क प्रशिक्षण देते हैं
जैविक खाद बनाने के अलावा वो जैविक खेती भी करते हैं। ज्ञासी अहिरवार ने बताया कि हर महीने की 15 तारीख को वो किसानों को निशुल्क प्रशिक्षण देते हैं, Gyasi1उनके अनुसार उन्होने पिछले साल 50 लाख रुपये का कारोबार किया था, जिन किसानों को भी उनसे सलाह-मशविरा की जरुरत होती है, तो वो मुफ्त में लोगों को राय दे देते हैं।

कैसे करते हैं बिक्री ?
बुंदेलखंड के किसान से जब पूछा गया कि वो अपने जैविक खाद की बिक्री कैसे करते हैं, तो उन्होने बताया कि हमारे पास बाहर से मांग आती है, compost1जो एक बार खाद लेकर जाते हैं, वो दूसरों को बताते हैं, इसी से नेटवर्क बढता चला गया है। जैविक खाद बनाने से लेकर जैविक खेती तक अगर कोई 15 दिन लगातार ट्रेनिंग लेना चाहता है, तो उससे वो 500 रुपये लेते हैं और प्रमाणपत्र भी देते हैं।