मां के थप्पड़ से मिली प्रेरणा, बैंक की नौकरी छोड़ बन गये आईपीएस, यूनीक स्टाइल में करते हैं पेट्रोलिंग

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आईपीएस अनुराग आर्य को बचपन से ही स्पोर्ट्स में खूब दिलचस्पी थी, स्कूल में भी वो बास्केटबॉल और क्रिकेट खेलना पसंद करते थे, आगे चलकर उन्होने बास्केटबॉल में राष्ट्रीय स्तर तक खेला।

New Delhi, Jan 13 : 6 फीट ऊंची हाइट और एथलेटिक शरीर वाले ये आईपीएस अधिकारी जह घोड़े पर बैठकर या फिर साइकिल पर पेट्रोलिंग के लिये निकलते हैं, तो अखबारों और टीवी चैनलों में सुर्खियां बन जाती है, ये आईपीएस अक्सर ही ऐसे एक्शन की वजह से चर्चा में रहते हैं, पिछले करीब 10 महीने से एसपी कानपुर ईस्ट के पद पर तैनात अनुराग आर्य अपने स्टाइल और कार्यशैली की वजह से युवाओं के लिये प्रेरणा बने हुए हैं।

बागपत में जन्म
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से छपरौली गांव में 10 दिसंबर 1987 के अनुराग का जन्म हुआ, उनके माता-पिता दोनों ही डॉक्टर हैं, anurag arya sp4उन्होने शुरुआती शिक्षा क्लास पांच तक गांव में ही प्राप्त की, फिर आगे की पढाई के लिये वो देहरादून आर्मी स्कूल चले गये। अनुराग आर्य को बचपन से ही स्पोर्ट्स में खूब दिलचस्पी थी, स्कूल में भी वो बास्केटबॉल और क्रिकेट खेलना पसंद करते थे, आगे चलकर उन्होने बास्केटबॉल में राष्ट्रीय स्तर तक खेला।

8 घंटे पढाई
युवा आईपीएस अनुराग आर्य ने वाराणसी के बीएचयू से फिजिक्स ऑनर्स में ग्रेजुएशन किया है, इसके साथ ही वो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करते थे। anurag arya sp3लेकिन उनके भीतर बचपन से ही पुलिस की वर्दी को लेकर खूब क्रेज था, वो हमेशा खुद को वर्दी में देखना चाहते थे, इसी वजह से बैंक की नौकरी छोड़ उन्होने आईपीएस बनने का फैसला लिया। अनुराग ने बताया कि वो रोजाना 8 घंटे पढाई करते थे, किसी वजह से अगर पढाई छूट जाती थी, तो अगले दिन वो ज्यादा समय देते थे।

दोस्तों से मिली मदद
अनुराग के अनुसार सिविल सर्विसेज की तैयारी के दिनों में उनके 6-7 दोस्त थे, जिनसे तैयारी में खूब सपोर्ट मिलता था, उन दिनो 3-4 घंटे न्यूज पेपर पढता था, anurag arya sp2जिससे परीक्षा के दौरान काफी मजबूती मिली। सिविल सर्विसेज के बारे में बताते हुए उन्होने कहा कि इस पढाई के लिये एक चीज बहुत आवश्यक है, वो है आत्मविश्वास ।

छोड़ दी बैंक की नौकरी
डीयू से एमएससी की पढाई के दौरान ही साल 2012 में अनुराग का चयन आरबीआई में मैनेजर के पद पर हो गया था, जिसकी वजह से उन्हें पढाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी। anurag arya sp1कानपुर के आरबीआई ब्रांच ऑफिस में अनुराग आर्य ने 5 महीने नौकरी की, लेकिन वर्दी के प्रति ललक होने की वजह से उन्होने 2012 में सिविल सर्विसेज एग्जाम दिया और पहली कोशिश में ही सफलता मिल गई।

जहां थे बैंक मैनेजर, वहीं बने एसपी
साल 2015 में अनुराग को ट्रेनी के तौर पर पहली पोस्टिंग गाजियाबाद में मिली, यहां करीब 5 महीने गुजारने के बाद उन्हें 2016 में वाराणसी भेजा गया, anurag arya sp8यहां पर बतौर सीओ उन्होने 16 महीने गुजारे, फिर 2017 में उन्हें उसी शहर में तैनाती मिली, जहां कभी वो बैंक में नौकरी करते थे। फिलहाल अनुराग आर्य एसपी कानपुर ईस्ट के पद पर तैनात हैं।

पेट्रोलिंग का यूनीक स्टाइल
कानपुर ईस्ट में एसपी का कार्यभार संभालते ही अनुराग का वर्किग स्टाइल लोगों को खूब पसंद आने लगा, सरकारी गाड़ी छोड़ वो कभी घोड़े पर तो कभी साइकिल पर पेट्रोलिंग करने निकल जाते हैं, anurag arya sp5पुलिस चौकियों का औचक निरीक्षण की वजह से वो अक्सर सुर्खियों में रहते हैं, अनुराग ने कहा कि अचानक निरीक्षण करने से जमीनी हकीकत जानने का मौका मिलता है, साथ ही कई नई चीजें भी पता चलती है।

ऐसे लोगों की मदद करना चाहता हूं
एसपी अनुराग आर्य ने एक वाक्या बताते हुए कहा कि जब वो गाजियाबाद में बतौर ट्रेनी तैनात थे, तब उनके पास एक मजदूर आया और शिकायत की, कि उसके 700 रुपये किसी ने रख लिये है, anurag arya sp7जिसके बाद मैंने उन्हें उनके पैसे वापस दिलवाये, वो कई दिनों तक मुझे धन्यवाद बोलने आते रहे। तब मुझे एहसास हुआ, कि उस व्यक्ति के 700 रुपये किसी के 7 करोड़ रुपये से भी ज्यादा अहमियत रखते हैं, मैं ऐसे लोगों की मदद करना चाहता हूं।

मां के थप्पड़ से मिली सीख
आईपीएस अधिकारी ने बचपन की बात याद करते हुए बताया कि एक बार मैंने बिना बताये ही मां के पर्स से 50 रुपये का नोट लेकर दुकान टॉफी खाने चला गया था, तब मुझे ये भी मालूम नहीं ता कि ये नोट 50 रुपये का है या 10 का। anurag arya sp6फिर उस दुकानदार ने मेरी मां से शिकायत कर दी, जिसके बाद मां ने मुझे थप्पड़ मारे और कहा कि किसी का भी सामान लेने से पहले उनसे परमिशन लो। उस दिन ही बात समझ आ गई कि गलत काम करोगे, तो दंड मिलेगा, और सही काम में शाबाशी। मेरी मां मेरे लिये प्रेरणास्त्रोत हैं।