वो महिला…जो भगत सिंह की पत्नी बनीं थीं, लोग इन्हें दुर्गा भाभी के नाम से जानते थे

शहीद भगत सिंह, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों को कुर्बान कर दिया था। आज हम आपको उस दुर्गा भाभी के बारे में बता रहे हैं, जो एक मिसाल कायम कर चली गईं।

New Delhi, Mar 23: हिंदुस्तान को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद कराने वाले क्रांतिकारियों की बात करें, तो उसमें दुर्गावती बोहरा का नाम जरूर आता है। प्यार से लोग उन्हें दुर्गा भाभी कहते थे। आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि दुर्गा भाभी एक बार भगत सिंह की पत्नी भी बनी थीं। 23 मार्च 1931 को भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था।

कौन थीं दुर्गादेवी वोहरा ?
तीनों क्रांतिकारियों की शहादत को याद करते हुए हम आपको भाभी दुर्गावती के बारे में बता रहे हैं। उनका भगत सिंह की पत्नी बनने का किस्सा देश भर में आज भी चर्चित है। ये बात 18 दिसंबर सन 1928 की है। उस दौरान अंग्रेजों के एक मिशन को फेल करने के लिए दुर्गा भाभी ने भेष बदला था। उन्होंने भगतसिंह की पत्नी बनकर कलकत्ता मेल से यात्रा की थी।

भगत की पत्नी बनीं थी
इतिहासकार बताते हैं कि, दुर्गावती बोहरा उस दौरान अंग्रेजों की आखों में धूल झोंकने के लिए भगतसिंह की पत्नी बनकर उनके साथ ट्रेन में बैठ गई। उस दौरान उनके साथ चंद्रशेखर आज़ाद, राजगुरु और कई क्रांतिकारी भी शामिल थे। उस ट्रेन में राजगुरू सर्वेंन्ट्स के कम्पार्टमेंट में बैठे थे। इसी ट्रेन में चंद्रशेखर आजाद एक गवैये बनकर सफर कर रहे थे।

ये है जीवन की कहानी
दुर्गावती जी का जन्‍म 7 अक्टूबर, 1902 को शहजादपुर गांव में पंडित बांके बिहारी के घर पर हुआ था। उनके पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में नाजिर थे। सिर्फ 10 साल की उम्र में ही उनकी शादी हुई थी। उनके पति ने भी देश को आज़ादी दिलाने में बड़ी भूमिका अदा की थी। उनके पति भगवती चरण वोहरा 28 मई 1930 को रावी नदी के किनारे कुछ क्रांतिकारियों के साथ बम बना रहे थे।

पति भी क्रांतिकारी थे
बम का एक्सपेरिमेंट करते वक्त वो शहीद हो गए थे। पति की मौत के बाद दुर्गावती जी ने शिक्षक के तौर पर काम किया। दुर्गावती वोहरा और उनके पति क्रांत‍िकारी स्वाभाव के थे। दोनों ही कई बार आजादी के आंदोलनों में शामिल हुए थे।  उनके क्रांतिकारी स्वभाव की वजह से बाकी क्रांत‍िकारी उन्हें दुर्गा भाभी के नाम से पुकारते थे। इसके अलावा एक और दिलचस्प बात है।

गवर्नर हैली पर गोली चलाई थी
9 अक्टूबर, 1930 को दुर्गावती जी ने गवर्नर हैली पर गोली चला दी थी। इस दौरान गवर्नर तो बच गया लेकिन उसका सैनिक अधिकारी टेलर घायल हो गया था। एक अंग्रेज कमिश्नर को भी दुर्गावती जी ने गोली मारी थी। कहा जाता है कि दुर्गावती पिस्तौल चलाने में माहिर थीं। चंद्रशेखर आजाद ने आखिरी बार जिस पिस्तौल से अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी, वो दुर्गावती ने उन्हें लाकर दी थी।

ये भी है बहादुरी का किस्सा
दुर्गा भाभी वो बहादुर महिला थीं, जो क्रांतिकारियों के लिए राजस्थान से हथियार लाती थीं। कहा जाता है कि सुभाष चंद्र बोस भी उनसे ही हथियार मंगवाते थे। साथी क्रांतिकारियों के शहीद होने के बाद वो अकेली सी हो गईं थी। इसके बाद लखनऊ में एक मांटेसरी स्कूल की नींव रखी। दुर्गा देवी की मृत्यु 92 साल की उम्र में 15 अक्टूबर 1999 हो गई थी।