कभी घर में पीने के लिए पानी तक नहीं था, आज संभाल रही हैं मंत्री पद

सोचिए कभी उस बेटी के घर में पीने के लिए पानी तक नहीं था। लेकिन आज वो मंत्री पद संभाल रही हैं और महिलाओं के सम्मान की बात करती हैं। जानिए उनके बारे मेंं।

New Delhi, Mar 08: कहते हैं कि अगर आपने जिंदगी में मेहनत को अपना साथी बनाया तो, किस्मत भी आपके कदम चूमती है। एक लक्ष्य बनाइए और उस पर निशाना साधिए। जीवन में प्रगति पथ पर आगे बढ़ने का ये ही फलसफ़ा है। आज हम आपको देश की एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके घर में कभी पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं थी। आज वो मंत्री पद संभाल रही हैं।

महिला सशक्तिकरण मंत्री
जी हां उन्होंने उत्तराखंड में महिला सशक्तीकरण मंत्रालय का पदभार संभाला हुआ है और उनका नाम है रेखा आर्य। महिला दिवस के मौके पर आपको उनकी कहानी के बारे में भी जानना जरूरी है। 1978 में अल्मोड़ा में जन्मी रेखा आर्य सोमेश्वर सीट से विधायक हैं। रेखा जब 10 साल की थीं तो घर में पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं थी।

कोसों दूर से लाना पड़ता था पानी
उनकी मां भी अन्य महिलाओं की तरह कोसों दूर से पानी लाकर परिवारवालों की प्यास बुझाती थीं। रेखा आर्य काफी पिछड़े परिवार से हैं, जिनके घर में संसाधनों की भारी कमी थी। लेकिन रेखा आर्य ने जिंदगी की जंग में कभी हार नहीं मानी। संघर्षों के साथ पली-बढ़ी और लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करने का ख्वाब संजोया। मेहनत से कभी भी मुंह नहीं मोड़ा।

बीजेपी का महिला और दलित चेहरा
रेखा आर्य बीजेपी की महिला और दलित चेहरा हैं। 5 दिसंबर 1978 को उनका जन्म अल्मोड़ा में हुआ था। आर्थिक तंगियों से लड़कर वो पढ़ाई करती रही। एम कॉम की पढ़ाई पूरी की तो शिक्षिका बनने का ख्वाब मन में पाला। इसके लिए उन्होंने बीएड किया। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मजूंर था। किस्मत तो उन्हें राजनीति की मुख्य धारा में लाना चाहती थी।

जिला स्तर से शुरू की राजनीति
रेखा आर्य ने जिला स्तर से राजनीति की शुरुआत की। अल्मोड़ा में जिला पंचायत का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। बतौर जिला अध्यक्ष रेखा आर्य जनता के बीच काफी लोकप्रिय होने लगीं थी। स्थानीय लोगों के मुताबिक जिले में काफी काम हुए थे। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने सोमेश्वर से निर्दलीय चुनाव लड़ा।

2014 में रचा इतिहास
हालांकि वो ये चुनाव जीत नहीं पाई, लेकिन बीजेपी के कद्दावर नेता अजय टम्टा को उन्होंने पीछे छोड़ दिया था। हार के बाद उनका हौसला नहीं टूटा और ये ही वो वजह रही कि 2014 के उपचुनाव में कांग्रेस ने उन पर दांव खेला। चुनाव जीतकर रेखा आर्य विधानसभा पहुंच गयीं। हालांकि कांग्रेस में आने के बाद से उन्हें पार्टी की नीतियां अखरने लगी थी।

कांग्रेस का कठघरे में खड़ा किया
तमाम मतभेदों के बाद 2016 में ही रेखा आर्य ने बीजेपी का दामन थाम लिया। एक बार फिर से जनता ने उन पर भरोसा जताया और आज वो मंत्री पद संभाल रही हैं। एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में रेखा आर्य ने कहा कि ‘’कॉलेज के दिनों में आधुनिकता बेहद कम थी। सोचने और विचारने की आजादी भी उतनी ज्यादा नहीं थी, लेकिन अब सोच बदल रही है। महिलाओं को समाज में ज्यादा सम्मान मिल रहा है।