पश्चिम उत्‍तर प्रदेश में बिगड़ा सियासी समीकरण, BSP बिगाड़ सकती है अखिलेश यादव का खेल

हालांकि बीजेपी का कहना है कि उसे इसका फायदा मिल रहा है, वहीं सपा-रालोद गठबंधन को विश्‍वास है कि इस बार वोटर खासतौर पर मुस्लिम उन्हें ही वोट करेंगे ।

New Delhi, Jan 20: उत्‍तर प्रदेश देश का एक बड़ा राज्‍य है, यहां चुनावी संग्राम आसान नहीं होता । किसी भी दल के लिए पूरब से पश्चिम और उत्‍तर से दक्षिण की जनता का मूड साधना मुश्किल है । उस पर नेताओं के बदलते तेवर, दलों के लिए मुश्किल खड़ कर ही देते हैं । उत्‍तर प्रदेश का पश्चिमी क्षेत्र बीजेपी के लिए टेढ़ा साबित होता रहा है, राजनीति के जानकारों के मुताबिक समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन की ओर से पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा के विजय रथ को रोकने की कोशिश बहुत हद तक बसपा के प्रदर्शन पर भी निर्भर करेगी।

क्‍या बसपा बिगाड़ेगी खेल?
दरअसल चुनावो के लिए इस बार बसपा ने कई सीटों पर ऐसे उम्मीदवार उतारे हैं, जो गठबंधन का खेल बिगाड़ सकते हैं। जिसके बाद से इस क्षेत्र में सियासी समीकरण बेहद उलझा हुआ नजर आ रहा है । हालांकि, जानकारों के मुताबिक बसपा के चलते सपा गठबंधन को नुकसान होगा या फिर भाजपा को विपक्ष की रणनीति से चुनौती मिलेगी फिलहाल कहना मुश्किल है । हालांकि बीजेपी का कहना है कि उसे इसका फायदा मिल रहा है, वहीं सपा-रालोद गठबंधन को विश्‍वास है कि इस बार वोटर खासतौर पर मुस्लिम उन्हें ही वोट करेंगे । जानकारों के मुताबिक अगर, पश्चिम में जाट, मुस्लिम और पिछड़ों का अनुमानित गणित कारगर रहा तो बीजेपी के लिए राहें मुश्किल हो सकती हैं ।

बसपा ने बढ़ाई मुश्किल
राजनीति के जानकारों के मुताबिक बीएसपी ने इस क्षेत्र में कई सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। जबकि, कई सीटें ऐसी हैं जहां जातीय गणित बुरी तरह उलझा हुआ है । कहा जा रहा है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में अभी तक के टिकटों के मुताबिक करीब एक दर्जन से ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जिन पर बीएसपी उम्मीदवार सपा गठबंधन के सामने परेशानी पैदा कर सकते हैं। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवारों की भी पूरी तरह अनदेखी करना सही नहीं होगा । कई सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार चुनावी गुणा-भाग पर सीधा असर डाल सकते हैं।

बीजेपी का किससे है मुकाबला?
राजनीति के जानकार मानते हैं कि इस बार के चुनावी मैदान में मुकाबला भाजपा बनाम सपा का दिख रहा है, हालांकि जिन सीटों पर सपा और बसपा दोनों के मुस्लिम उम्मीदवार हैं या अन्य जातीय समीकरण एक-दूसरे को प्रभावित करने वाले होंगे वहां मतदाता सपा को चुन सकते हैं । इसके अलावा कुछ सीटों पर उम्मीदवार सिंबल पर निर्भर रहने के बजाय व्यक्तिगत रूप से ज्यादा मजबूत हो सकते हैं, ऐसे में  वहां समीकरण अलग देखने को मिल सकते हैं।