2 रुपये दिहाड़ी कमाने वाली बन गई हजारों करोड़ की मालकिन, ऐसे तय किया फर्श से अर्श तक का सफर

कल्पना सरोज के लिए जीवन बहुत कठिन था, छोटी उम्र में ही उनकी शादी हो गई । शादी किसके साथ हो रही है किस घर में जाना है वो ये भी नहीं जानती थीं । जानें उनके संघर्ष का सफर । 

New Delhi, Nov 27: मन कुछ कर गुजरने की इच्‍छा हो तो चट्टान भी काट कर सड़क बनाई जा सकती है, आसमान में सुराख हो सकता है और दरिया रोके जा सकते हैं । कुछ ऐसा ही काम किया है महाराष्ट्र के विदर्भ की रहने वाली कल्पना सरोज ने, एम महिला होकर जिस साहस से वो जीवन में आगे बढ़ी हैं वो कमाल है । छोटी उम्र में किसी ऐसे शख्‍स से शादी करा दी गई जिसे वो जानती भी नहीं थी । लड़का मुंबई का थातो वो उसके साथ मुंबई की झोपड़पट्टी में रहने लगीं । घरेलु हिंसा का शिकार हुईं । पुलिस में काम कर रहे पिता को बेटी का ये हाल देखा नहीं गया, वो उन्‍हें साथ लेकर वापस आ गए । लेकिन समाज के तानों ने उन्‍हें परेशान कर दिया ।

आत्‍महत्‍या का विचार आया  
कल्पना को समाज के ताने चुभने लगे थे, वो कई बार खुदकुशी करने की कोशिश भी कर चुकी थीं । लेकिन हर बार पिता उन्‍हें उनके पिता ने बचा लिया । समझ से परे था कि वो क्‍या करें । ऐसे में वो सब कुछ छोड़ मुंबई आ गई, अपने दम पर । एक रिश्तेदार के यहां सहारा लिया और एक कंपनी में सिलाई का काम किया । उधर पिता की नौकरी छूट गई तो मां पिता और बहन को भी अपने पास बुला लिया । सिलाई का काम करने वाली कल्‍पता मुंबई से दूर कल्याण में एक किराए के घर में रहने लगीं । उनके सपने अब कुछ बड़ा करने के थे ।

खुद का बुटीक शुरू किया
हजारों करोड़ की कंपनी की मालकिन बन चुकीं कल्पना सरोज बताती हैं कि उन्होंने तब एक बुटीक सेंटर खोलने की योजना बनाई । 50000 का सरकारी लोन लिया और बुटीक का काम शुरू हुआ । लेकिन उसी दौरान उनकी बहन की मौत हो गई, इलाज के लिए 2000 रुपए ना होना उनके दिल की टीस बन गया । तब से उन्‍होंने ठान लिया कि अब वो इस पैसे को अपने बस में कर के रहेंगी । बुटीक का काम अच्छा चला तो वो कुछ और करने का मन बनाने लगीं । बिल्‍डर बनने का ख्‍याल आया, कॉन्‍टेक्‍ट बनाए, किसी तरह से काम शुरू किया । इस दौरान उनके कई दुश्‍मन भी बने, धमकियां आने लगीं तो अपनी सुरक्षा के लिए उन्‍होंने पुलिस कमिश्नर से शिकायत की और लाइसेंस रिवॉलवर जारी करने की मांग की ।

कमानी ट्यूब कंपनी को उबारा
कल्पना ने बताया कि उनका नाम एक हिम्‍मती महिला के तौर पर बन चुका था, उसी दौरान उनके पास कुछ ऐसे वर्कर आए जो मुंबई की कमानी ट्यूब लिमिटेड नामक कंपनी में काम करते थे । यह कंपनी पूरी तरह से डूब चुकी थी । कल्‍पना ने बताया कि इस कंपनी पर 100 से ज्यादा लिटिगेशन के मामले थे, बहुत सारा कर्ज था । उन्‍होंने इसके लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया ।  जिसके बाद कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ कंपनी को फिर से खड़ा करने के लिए उन्हें कंपनी का डायरेक्टर बनाया । 2011 में कंपनी को सारे कर्जों से मुक्‍त कर कल्‍पना ने नई उड़ान भरनी शुरू की ।
कई अवॉर्ड से सम्‍मानित
कल्पना सरोज की मेहनत और लगन को देखकर सरकार और समाज ने भी उन्‍हें सराहना दी । उन्‍हें तमाम देशों और विदेशों से अवॉर्ड मिल चुके हैं । भारत सरकार उन्हें पद्मश्री से नवाज चुकी है ।